: इस्तीफा नहीं दे रहे थे आजतक से, नतीजतन जबरिया बर्खास्त किये गये : लाख जुगत लगायी, लेकिन एक भी तरीका रामबाण नहीं बन पाया : अब तो एक-एक करके खुलेंगी गांठें कि कब, कहां, कैसे, कितना, क्या और क्यों खेल हुए :
कुमार सौवीर
लखनऊ : जो इसके पहले तक केवल अरूणाचल में ही मुमकिन हुआ करता था, अब न्यूज चैलन आजतक में हो गया। छह महीना पहले ही नौकरी से इस्तीफा देने के हुक्मनामा जारी होने के बावजूद अनूप श्रीवास्तव अपनी कुर्सी से चिपके ही रहे। बावजूद इसके कि उनकी कुर्सी पर कोई दूसरा व्यक्ति दिल्ली से भेज दिया गया, लेकिन कुर्सी से धउ़ाम हो चुके अनूप ने कुर्सी का पिण्ड नहीं छोड़ा और कुर्सी का पायां दबोचे रहे। बहरहाल, अब इस नौटंकी पर यवनिया-पतन यानी पर्दा गिर चुका है, अनूप अब आफिस से निकाल बाहर कर दिये गये हैं। बदनामी की बड़े-बड़े किस्सों-गाथाओं के साथ।
देश में केवल अरूणाचल प्रदेश ही इकलौता प्रदेश है, जहां चाहे कुछ भी हो जाए, कई मुखियाओं यानी राज्यपालों ने अपनी कुर्सी को किसी भी कीमत पर अपनी छाती पर चिपकाये रखा गया। लेकिन आखिरकार केंद्र सरकार ने ही इसपर हस्तक्षेप किया, और फिर उन्हें बाकायदा बर्खास्त कर जबरिया अरूणाचल राजभवन से प्रदेश-बदर किया गया। आजतक के अनूप श्रीवास्तव ने इस मामले में सबसी बड़ी नई इबारत दर्ज कर ली है। खबर यह है कि येन-केन-प्रकारेण अपनी कुर्सी पर शीर्षासन लगाये अनूप को इंडिया टुडे समूह ने बाकायदा बेइज्जत करने निकाल बाहर कर दिया है।
आजतक में फर्श से अर्श तक, और फिर बैक-गियर लगा कर वापस फर्श पर चारों-खाने-चित्त हो चुके अनूप श्रीवास्तव का किस्सा यहीं तक नहीं निपटा हुआ है। उनके साथ अब एक नहीं सैकड़ों गाथाएं जुड़ चुकी हैं। उन्होंने कब, कहां, कैसे, कितना, क्या और क्यों खेल किये, उसका शिजरा तो मेरी बिटिया डॉट कॉम में अगले अंकों में दर्ज किया जाएगा, लेकिन इस अंक में फिलहाल इतना जरूर है कि अनूप श्रीवास्तव के खिलाफ बेहिसाब शिकायतों का अम्बार इंडिया टुडे प्रबंधन तक पहुंच चुका था। इसमें सबसे बड़े आरोप तो आर्थिक ही थे, प्रशासनिक गड़बडि़यों की भी फेहरिस्त अनूप पर आयद हो चुकी थी, जिनका मूल-आधार आर्थिक ही थे।
सूत्र बताते हैं कि इन आरोपों की उच्च स्तरीय जांच के बाद जब प्रबंधन को ईत्मीनान हो गया कि अनूप पर लगे आरोप पूरी तरह पुख्ता और सच की कसौटी पर खरे हैं, तो प्रबंधन ने अनूप को साफ शब्दों में कह दिया था कि वे तत्काल आजतक चैनल से हट जाएं। यह जून के पहले हफ्ते बात है। लेकिन अनूप श्रीवास्तव लगातार इस कोशिश में थे कि उनकी नौकरी बची रहे। इसके लिए उन्होंने अपने खेमा का खूब सहारा लिया। तब के इनपुट-शाखा के प्रबंध सम्पादक सुप्रिय प्रसाद से अपनी करीबी का वास्ता देते हुए वे इस जुगत में लगे रहे। लेकिन प्रबंधन ने अनूप की जगह दिल्ली से बालकृष्ण को भेज कर उन्हें यूपी ब्यूरो चीफ बना कर भेज दिया। इसके बावजूद अनूप श्रीवास्तव ने यह कुर्सी छोड़ने में छह महीना लगा दिया। अन्तत: आजतक प्रबंधन ने अनूप श्रीवास्तव को बाकायदा आजतक-बदर कर दिया।