जादुई लिली सिंह: यूनिसेफ ने बनाया ग्‍लोबल एम्‍बेसेडर, वेतन डेढ़ करोड़

बिटिया खबर

: दुनिया भर के किशोरों की धड़कन बन चुकी है लिली सिंह : भारतीय मूल की लिली सिंह कनाडा में रहती है : दिल्‍ली के ली मेरिडियन में जब लिली पहुंची, मानो तूफान आ गया : आमलेट पकाने का नायाब तरीका जैसे क्रियेटिव वीडियो तैयार करती है लिली :

कुमार सौवीर

लखनऊ : भूल जाइये सलमान, शाहरूख या कैटरीना जैसों को। यह नाम भले ही 25 साल की उम्र के बाद के जवानों के दिल धड़काते रहे होंगे, लेकिन किशोर-किशोरियों के लिए लिली सिंह के अलावा कुछ नहीं। खास कर बड़े शहरों में लिली का अंदाज धूम मचा रहा है। इस धमाल का चमत्‍कार देख कर ही यूनिसेफ ने लिली को अपना वैश्विक सद्भावना दूत बनाया है। वेतन है डेढ़ करोड़ रूपया महीना।

यू-ट्यूब में अपना निजी चैनल संचालित कर रही लिली की उम्र बमुश्किल 28 साल है। लेकिन पिछले दस बरस से वह डिजिटल दुनिया में अपनी धूम मचा रही है। यू-ट्यूब पर 11 मिलियन फॉलोअर हासिल करने वाली लिली का नाम एक अभिनेत्री, कॉमेडियन और लेखिका के तौर पर पहचाना जाता है। इस साल उन्होंने अपनी अंतर्राष्ट्रीय और न्यूयार्क टाइम की बेस्ट सेलिंग किताब ‘हाउ टु बी ए बॉसे’ लॉन्च की है। इतना ही नहीं, उन्होंने वो फॉर्ब्स की मनोरंजन सूची में भी पहले पायदान पर जगह बना चुकी हैं। आपको बता दें कि यूनिसेफ के सद्भावना दूत की सूची में पहले से बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चौपड़ा, डेविड बेखम, ओर्लांडो ब्‍लूम, लियाम नीसन, शकीरा आदि हस्तियां शामिल हैं। यूनिसेफ के इस फैसले के बाद से लिली सिंह भी इस सूची में शामिल हो गई।

15 जून को लिली सिंह नई दिल्ली में आयोजित यूनिसेफ के यूथफॉरचेंज अभियान के तहत भारत के बच्चों और युवाओं से मिलने आई थीं। एक विज्ञप्ति में बताया गया कि यह कार्यक्रम विशेष रूप से युवाओं के लिए है, जो स्वास्थ्य, बाल श्रम और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों की बात करता है। इसके पहले लिली को मध्‍यप्रदेश में आयोजित एक समारोह में बुलाया गया था, जहां वहां के युवाओं-किशोरों ने भी लिली का जबर्दस्‍त स्‍वागत किया।

उत्‍तरी भारत के प्रमुख समाचार-पत्र समूह ट्रिब्‍यून के नेशनल ब्‍यूरो हेड डॉ उपेंद्र के शब्‍दों में लिली सिंह मनोरंजन, शैक्षिक डिजिटल दुनिया की नयी अवतार हैं। किशोरों से आत्‍मीयता साधने में लिली का कोई जवाब नहीं। सवालों का जवाब बेहद आसान लेकिन बेहद प्रभावशाली अंदाज लिली को विशिष्‍ट बनाता है। शनिवार को दिल्‍ली में लिली से हुई बातचीत डॉ उपेंद्र ने प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के साथ साझा किया। उन्‍होंने बताया कि किस तरह उन्‍होंने सामाजिक ताना-बाना को समझ कर उसे सुलझाने की कोशिश की है। लिली की खासियत है कि वे किसी भी आरोप-उलाहना का सीधा जवाब नहीं देतीं। बल्कि उसे अपनी क्रियेटिविटी से तैयार करते हैं, ताकि आम आदमी की समझ में आ जाए। लिली किशोर-किशोरियों को पूरी आजादी देने की हिमायत करती हैं, लेकिन अपने अभिभावकों और वरिष्‍ठ जनों के साथ भी पूरी आत्‍मीयता से पेश करने की मिसाल तैयार करती हैं।

मसलन, डॉ उपेंद्र बताते हैं कि एक व्‍यक्ति ने लिली को उलाहना दिया कि तुम लड़की हो, जाओ घर का काम सम्‍भालो। चूल्‍हा-चौका निपटाओ। जाओ, आमलेट बनाओ। इस बात पर लिली झुंझलायी नहीं, बल्कि उसे चुनौती मान कर उसका प्रेरक वीडियो तैयार कर दिया। बकौल डॉ उपेंद्र, अपने वीडियो में लिली बताती हैं कि:- पहले एक प्‍याज लो। फिर उसका ऊपरी छिलका उतारो, ठीक उसी तर्ज में जैसे अपने मन की मैल उतारते हो। फिर उसके आसपास के गले-सड़े हिस्‍से को काट कर अलग कर डस्‍टबिन में फेंक दो, जो तुम्‍हारा हठ-आक्रोश-नाराजगी या बुराई जैसी है। फिर अपने मन में दूसरों के प्रति बसी कड़वाहट का प्रतीक मान कर मिर्च के छोटे-छोटे टुकड़े काटो। फिर अपने भय-संशय या डर को किसी अण्‍डे की तरह तोड़ो और उसे प्‍याज में फेंट लो। सरलता के तेल को तवे पर डालो, सक्रियता की उर्जा का बर्नर जलाओ और फिर प्रयासों की कलछुल से उसे पकाओ, उलट-पलट करो। लो हो गया तुम्‍हारे लिए आमलेट और मेरा किचन-चौका का कामधाम।

डॉ उपेंद्र बताते हैं कि अपने घर के एक कमरे में ही लिली ने एक कैमरे और एक माइक से अपने अधिकांश वीडियो तैयार किये हैं। आज इस बाला की मासिक कमाई लाखों रूपया है।

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