: किसी चोर की तरह से चुपके से अपना जिला छोड़ लखनऊ आये थे तुम, कोई खास वजह तो जरूर होगी : विनय वर्मा तो दारोगाओं से घड़ी-जंजीर तक उतरवा लेता था : तीन-टंगा की कारस्तानियां तो सचिवालय, डीजीपी से लेकर सिपाही तक को पता है : लखीमपुर में एक महिला पर रेप का मामला वापस करने के लिए जघन्य हरकतें कर चुके सत्येन्द्र सिंह : शराब में धुत्त एसपी मिश्र ने एक छात्रा को जौनपुर चौराहे पर दबोचा था : गला-दबोच वसूली में अव्वल कुख्यात नाम है ओपी पाण्डेय का : राकेश शंकर ने अनाथ बच्चियों का जीना हराम कर रखा था :
कुमार सौवीर
लखनऊ : नाम : राजीव मल्होत्रा। पद : हरदोई में बड़ा दारोगागिरी, यानी पुलिस अधीक्षक। काम : इससे कोई लेना-देना नहीं। करतूतें : किसी लम्पट सियार की तरह मौके से चुपके से निकल भागना। दायित्व : दायित्वहीनता। जिम्मेदारी : जिम्मेदारी से भागना। धंधा : येन-केन-प्रकारेण मलाईदार पोस्टिंग हासिल करने के लिए जुगत भिड़ाना। आउटपुट : सरकारी जीप को चोरी करवा देना।
मेरा ख्याल है कि आईपीएस राजीव मल्होत्रा के बारे में इतना परिचय पर्याप्त होगा। वैसे यूपी के कई बड़े दारोगाओं बायोडॉटा कमोबेश यही है। बस नाम बदल दीजिए, चरित्र और करतूतें एक-समान ही पायेंगे आप। हां, बस कुछ ज्यादा बोलते दिखेंगे, तो कुछ भड़भडि़या। कोई डींगें मारते दिखेंगे, तो भीगे बिलौटे की तरह अपने में ही दुबके दिखेंगे। लेकिन वसूली, गुण्डागर्दी और आपराधिक चरित्र तथा उसे अमली जामा पहनाने की शैली एक ही तरह। बिलकुल सटीक और मारक।
राजीव मल्होत्रा आजकल अपनी सरकारी जीप की चोरी को लेकर चर्चा में हैं। हरदोई के एसपी के तौर पर उन्हें यह अतिरिक्त जीप मिली हुई थी। सूत्र बताते हैं कि छह दिन पहले राजीव मल्होत्रा बिना सरकार और बिना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताये हुए, किसी शातिर चोर-सियार की तरह हरदोई से लखनऊ आये। अपने शालीमार एंक्लेव वाले आलीशान मकान में रहे। सुबह उनकी जीप गायब मिली तो, राजीव के हाथों से तोते उड़ गये। जीप में वायरलेस लगा था, जो बेहद खतरनाक और संगीन मामला था। ऐसे में राजीव मौके से रफूचक्कर हो गये और हरदोई पहुंच कर लखनऊ पुलिस को खबर दी। गुरूवार के इस हादसे की रिपोर्ट रविवार को दर्ज करायी गयी। इसका जवाब किसी के पास नहीं। हैरत की बात है कि अगर राजीव उस जीप से नहीं आये, तो उनका गनर क्यों जीप के साथ गया था। यह तो गुरदासपुर और पठानकोट जैसे मिलिट्री हादसे जैसा खतरनाक मामला था।
दूसरा सवाल यह कि यह जीप कैसे चोरी हुई। राजीव के मुताबिक उनके ड्राइवर ने बताया कि जीप का इग्नीशन मिस कर रहा था, ऐसे में उसे खड़ा कर दिया था। हैरत की बात है कि जो खराब जीप थी, उसे लेकर चोरों ने न केवल स्टार्ट किया, बल्कि उसे लेकर नौ-दो-ग्यारह भी हो गये। ऐसा भागे कि जीप की पूंछ तक का अतापता अब तक नहीं चल पा रहा है।
जाहिर है कि विरोधाभास है, और अगर लोग इसमें कोई बड़े षडयंत्र की बात सूंघ रहे हैं तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं। वैसे भी, राजीव मल्होत्रा की छवि ऐन-वक्त पर भाग निकल पाने वालों की है। जहां-जहां भी राजीव की पोस्टिंग हुई, वहां-वहां कोई न कोई काण्ड राजीव के चलते हो ही गया। चाहे वह फतेहपुर का मामला रहा हो, या फिर बलरामपुर का, राजीव का मन केवल वसूली में लगता है, बाकी वक्त तो वे कामचोरी और ड्यूटी से फरारी में लगाते हैं।
यूपी के कुछ बड़े दारोगाओं की करतूतें कभी रंगीनियों से लिथड़ी-सनी हैं या फिर भारी-भरकम वसूलियों को लेकर चर्चित हैं। बहरहाल, राजीव मल्होत्रा के इस ताजा हादसे से साफ पता चल गया कि इन दारोगाओं का चरित्र क्या है। इस लेख-श्रंखला में अगला नाम है सत्येन्द्र सिंह का, जो लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक से हटा कर निलम्बित हो चुके हैं।
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