मिसिंग मास की सदियों पुरानी गुत्थी सुलझा दी
आस्ट्रेलिया की अमेलिया फ्रेजर के सिर पर ताज
अब तक अबूझ ही था लापता द्रव्य मान का मसला
फिलामेंट ऑफ गैलेक्सीज में एक्स-रे की मदद से झांका
सदियों बाद ही सही लेकिन ब्रह्मांड की गुत्थियों को सुलझाने में एक बिटिया ने अपने नाम का झंडा गाड ही दिया। आस्ट्रेलिया की अमेलिया फ्रेजर मैक्केल्वी नाम की एक बाइस साल की इंजीरियरिंग छात्रा ने अब उस गुत्थी को सुलझा दिया है जो ब्रह्मांडीय विज्ञान में अब तक अबूझ समझी जाती रही थी। अमेलिया ने बता दिया है कि ब्रह्मांड में द्रव्यमान लापता नहीं होता है, बल्कि वह आकाश गंगाओं के ही फिलामेंट में मौजूद रहता है।
अमेलिया यहां मेलबॉर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष इंजीनियरिंग विज्ञान शाखा की छात्रा है। उसने मिसिंग मास के उस सवाल को सुलझा दिया है जिसे खगोल वैज्ञानिक काफी लम्ब समय से खोजने में जुटे थे। लेकिन यह ताज आखिरकार अमेलिया के ही खाते में जुडा। अमेलिया की यह सफलता महिलाओं के प्रति पुरूषों का रूढिवादी नजरिया बदलने में एक बडा मुकाम माना जा रहा है।
दरअसल, ब्रह्मांड में ग्रहों, तारों और अन्यं पिंडों को मिलाकर जितना द्रव्यमान बनता है, वैज्ञानिकों के अनुसार पूरे ब्रह्मांड का वास्ताविक द्रव्यमान उससे कहीं ज्यादा है। लेकिन वैज्ञानिकों को अब तक यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि यह द्रव्यमान दरअसल है कहां और कितना है। वे यह भी नहीं समझ पा रहे थे कि अगर वह है तो कितना है और उसे साबित कैसे किया जाए। उनके सामने समस्या यह थी कि ब्रह्मांड के संचालन के लिए जितना द्रव्यमान काम करता है, उसमें से आधे से भी ज्यादा तो लापता ही है। लेकिन अमेलिया ने फिलामेंट ऑफ गैलेक्सीज को लक्ष्य करते हुए अपना शोध किया। इस काम में उन्होंने एक्स-रे की सहायता ली।