जहां केशव मौर्या रहते हैं न, उस वार्ड में भी भाजपा का सूपड़ा साफ

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: दिग्‍गज केसरिया नेताओं के इलाकों में भी सन्‍नाटा, भाजपा की बज गयी पुंगी : नगर पंचायत में अध्‍यक्ष प्रत्‍याशी भी धूल सूंघ गया : विनोद सोनकर की औकात भी इस चुनाव में तितर-बितर : अब अपनी बगलें झांकने, और खुद को छिपाने की फिराक में हैं बड़े भाजपा नेता :

एलएन त्रिपाठी

इलाहाबाद : नगर निकाय चुनावों के ताजा नतीजों ने भाजपा के बड़े दिग्‍गज नेताओं का पाजामा ढीला कर दिया है। चुनाव परिणामों से बुरी तरह बौखलाये केसरिया नेतागण तो फिलहाल इतना भी साहस नहीं जुटा पाये कि हर करारी हार का ठीकरा किसी दूसरे दल की करतूतों के तौर पर थोप सकें। चाहे वह इलाहाबाद हो, या फिर चारों ही ओर भाजपा की करारी हार का ही चर्चा है, और विजयी दलों और जीते लोगों की जीत के उत्‍साह के शोर-शराबे के सामने फिलहाल अपनी चीथड़ा बन चुकी किस्‍मत पर फूट-फूट कर रो रहे भाजपाइयों का रूदन-शोर ही दब गया है।

शहरी निकायों में भाजपा की करारी हार की हालत तो इतना बदतर हो चुकी है कि कौशाम्बी में उप मुख्‍यमंत्री और प्रदेश के पूर्व भाजपा अध्‍यक्ष केशव प्रसाद मौर्या जिस वार्ड में रहते हैं वह वार्ड भी भाजपा प्रत्याशी के हाथों से फिसल गयी। हार बहुत बुरी बन गई। इतना ही नहीं, भाजपा के भगवा चीवर की चीथड़े कुछ इस तरह बिखरे, कि जिस नगर पंचायत में केशव मौर्या रहते हैं वह नगर पंचायत के अध्यक्ष का पद भी भाजपा प्रत्याशी हार गया।

इज्‍जत का फालूदा बनना और बनाना तो इसी को कहा जाता है कि विनोद सोनकर जिस संसदीय सीट को जीतकर लोकसभा सभा पहुंचे हैं उस संसदीय सीट की सारी सीटें भाजपा हार गई। हालत यह है कि यहां के भाजपाई नेता अपनी पीड़ा को बांटने और अपने आंसू पोंछने के लिए आपस में ही गले नहीं मिल पा रहे हैं। शर्म एकदूसरे के सामने में भी आ रही है इन भगवा नेताओं को।

अंतिम वाले संगम लाल गुप्ता है अपना दल के राष्ट्रीय सचिव अपनी चाची को भी अपने घर के सामने की सीट पर नहीं जीता पाए। अब समझ में ही नहीं आता है कि यह चमत्‍कार कैसे हो गया।

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