सावन की घटाएं: काशी के कपड़े फट सकते हैं, अन्तर्मन नहीं

: सावन का मेघ बरसने लगा मोक्ष-नगर काशी में : मुतनी के, बुजरौ के, चश्ममुतनी। दिखी कोई अश्‍लीलता ? : सच कहूं तो विलक्षण है बनारस, गालियां अदभुत : अजब जगह, गजब लोग। नायाब लहजा, बेमिसाल अंदाज : कुमार सौवीर वाराणसी : चाहे वह सन-77 और सन-89 का दंगा रहा हो, मराठी समुदाय का गणेश-विसर्जन […]

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दीन के संत शेख फरीद

रूखा-सूखा खाय कै ठंडा पानी पीउ, फरीदा, देखि पराई चोपडी ना तरसाए जीउ।

हम तो उस उसके बंदे हैं जो देता है, मगर एहसान नहीं जताता
फकीर ने ठुकरा दिये सुल्‍तान बलबन के सोने-चांदी का टोकरे
बनजारे की तरह तसला भर कर चल देने के बजाय भक्ति कर
यह कहानी है उस फकीर की जिसने सुल्‍तान बलबन को टका सा जवाब दे दिया और बलबन ने आजीवन उसके आगे शीश झुका दिया। धर्म को बिलकुल नये अंदाज में दिखाने वाले ने अद्वैत की वकालत की और भगवान और अल्‍लाह को एक ही बताया।

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‘मुन्नी बदनाम हुई’ गीत की सप्रसंग व्याख्या

प्रस्तुत उत्तेजक गीत हिन्दी फिल्म जगत की सुपरहिट कृति और सर्वप्रिय चलचित्र ‘दबंग’ से लिया गया है. इसकी पंक्तियाँ एक नर्तकी की सामान्य जीवन से बदनाम जीवन तक की रोचक यात्रा का बड़ा ही मनभावन चित्रण करती हैं. नर्तकी अपने प्रेमी को अपनी इस दशा का कारण बताती है और अपने आस-पास शराबी पुरुष-मित्रों को […]

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