अरे उल्लू के पट्ठों ! स्त्री तुम्हारा शौचालय नहीं है रे
: मानव के प्रजनन अंगों का वेद बुना है वात्सायन व कोका पंडित ने, उसकी भावुकता व संवेदनाओं की व्याख्या की है ओशो ने : ओशो यानी ओशनिक, अर्थात समुद्र की तरह गहरा, प्रशांत और रत्न-सागर : सहवास। अछूते सवालों पर चर्चा ओशो से पहले भगवान तक ने जरूरी नहीं समझा : स्त्री को नर्क […]
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