: सुब्रत राय की रिहाई के लिए हर महीना दो सौ करोड़ की फिरौती अदा हो रही, कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं : सेलरी की मांग कर दी, तो दूर-दूर किया जा रहा है कर्मचारियों को तबादले : अब सीधी कार्रवाई के मूड में हैं सहारा इंडिया के बेहाल कर्मचारी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : इसकी टोपी, उसके सिर पर पहनाने में कुख्यात सहारा इण्डिया वाले सुब्रत राय का यह नया पैंतरा है तबादला। सहारा में अब बुरी तरह खदबदा रहे कर्मचारियों के आक्रोश को निपटाने के लिए सुब्रत राय ने अब तूफानी तबादलों का भूचाल पैदा कर दिया है। खबर है कि इस पैंतरे के चलते पिछले छह महीने में अकेले लखनऊ में ही करीब एक हजार कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया है। और मजेदार बात तो यह है कि यह तबादले यूपी ही नहीं, बल्कि इनमें से अधिकांश कर्मचारियों को देश के दूरस्थ क्षेत्रों में कर दिया गया है। मकसद सिर्फ यह कि कैसे भी हो, इन कर्मचारियों से पिण्ड छुड़ा लिया जाए।
जी हां, यह कहानी है उस शख्स की जो अब दुनिया का सबसे बड़ा डिफाल्टर और स्थापित आर्थिक धोखेबाज की है। नाम है सुब्रत राय। एक वक्त था जब सु्ब्रत राय ने अपना नाम सहारा-श्री रख लिया था। तब सुब्रत का दावा हुआ करता था कि सुब्रत राय कोई कम्पनी नहीं, बल्कि एक परिवार है, जिसमें दस लाख से अधिक कर्मयोगी हैं। लेकिन आज अपनी इन्हीं कर्मयोगियों की जिन्दगी तबाह करने पर आमादा हैं सुब्रत राय। उस दौर में जिन कर्मचारियों के बल पर सुब्रत राय अपना साम्राज्य खड़ा होने का दावा करते थे, आज वही सुब्रत राय उन्हीं कर्मयोगियों को भूखों मार डालने पर आमादा है।
खबर है कि अकेले लखनऊ में तैनात सहारा के कर्मचारियों में से अधिकांश को सहारा प्रबंधन ने लखनऊ और प्रदेश से बाहर तबादले पर जाने का आदेश दे दिया है। सहारियन कामगार संगठन के अध्यक्षऋषि कुमार त्रिवेदी, महामंत्री निर्भय सक्सेना और प्रवक्ता राजकुमार श्रीवास्तव आदि पदाधिकारियों का आरोप है कि कि इन कर्मचारियों के भविष्य के सामूहिक हत्याकांड नुमा अभियान में सहारा इंडिया के ऐसे एक हजार से ज्यादा कर्मयोगियों को लखनऊ के बाहर दिया है। यह तबादले 25-30 की संख्या में टुकड़ों-टुकड़ों पर किये गये। क्योंकि अगर एकसाथ ऐसा किया जाता तो वे सारे कर्मचारी हंगामा कर बैठते।
यह तबादला तब हुआ है, जब पिछले दो बरसों से इन कर्मचारियों को एक भी धेला का भुगतान नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, इस पूरे दौरान यह तक नहीं देखा-समझा गया है कि तबादले पर भेजे गये इन कर्मचारियों और उनके परिजनों को कोई भुखमरी या बीमारी है भी या नहीं। बिना वेतन के लम्बे समय से सहारा की सेवा में जुटे इन कर्मचारियों की माली हालत अब भुखमरी की हालत तक पहुंच गयी बतायी जाती है।
जाहिर है कि सहारा मैनेजमेंट का साफ मकसद है कि कैसे भी हो, इन कर्मचारियों से पिण्ड छु़ड़ा लिया जाए। क्योकि इन कर्मचारियों की हालत ऐसी नहीं है कि वे तबादले पर बाहर जा सकें। ऐसे में उन कर्मयोगियों के पास केवल यही रास्ता होगा कि वे सहारा इंडिया से इस्तीफा दे दें।
लेकिन अब ऐसा हो नहीं हो पायेगा। सहारियन कामगार संगठन ने तय किया है कि ऐसे तबादले पर भेजे गये कर्मचारियों को लेकर अब बड़ा आंदोलन छ़ेड दिया जा। इसके तहत अगले सप्ताह से ल खनऊ के विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन की शुरूआत की जाएगी।
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