: योगी जी ! फर्रूखाबाद की जनता से आपकी पुलिस ने शैतानी हरकत की : प्रताड़ना और भयावह शोषण की सारी सीमाएं तोड़ दीं पुलिस ने :
कुमार सौवीर
फर्रूखाबाद : दर्द जब भी असह्य पीड़ा की हर सीमाएं से परे होने लगता है तो ठीक ऐसा ही होता है, जैसा फर्रूखाबाद में हुआ। यहां के करथिया गांव के रहने वाले सुभाष बाथम ने जो कुछ भी किया, वह तो उसका दर्द था ही जिसके लिए उसने प्रतिशोध लेने की सारी तैयारियां कर डालीं। लेकिन उसका जो जवाब पुलिस ने दिया, वह इंसानियत को ही चकनाचूर कर गया। पुलिस ने सुभाष बाथम तो फर्जी एनकाउंटर में गोलियों से भून डाला, जबकि घटनास्थल पर मौजूद भीड़ को पूरी छूट दे दी कि वह सुभाष बाथम की पत्नी को मॉब-लिंचिंग कर दे। अब पुलिस इस मामले में अपनी चमड़ी पर इस अपराध का कींचड़ धोने के लिए लगातार साजिशें कर रही है। बात-बात पर झूठ की बिसात पर झूठ का पानी फेंका जा रहा है। और जब इसमें भी सफलता नहीं मिल पायी है, तो पुलिस कप्तान समेत सभी बड़े अफसर भी फोन पर भी बिसुक जाते हैं।
जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर गांव है करथिया गांव। आबादी है तेरह सौ के आसपास। ज्यादातर पिछड़ी जाति के लोग हैं यहां, और अधिकांश लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए पंजाब जाने वाली ट्रेन पकड़ते हैं। बूढ़े, महिलाएं और बच्चे यहीं गांव में ही रहते हैं। लेकिन सुभाष बाथम यहीं गांव में रहता था। अपनी बिना ब्याही बीवी रूबी और एक दो बरस की बेटी गौरी के साथ उसकी जिन्दगी मुश्किलों के साथ ही बीत रही थी।
आमदनी का कोई ठोस जरिया था ही नहीं सुभाष के पास, सिवाय इसके कि वह ग्रामीण किसानों के यहां खेत मजूरी करे। लेकिन इसमें न तो कोई पर्याप्त आमदनी होती थी, और न ही कोई स्थाई भविष्य। गांव के लोगों ने बताया कि इसी बीच उसने ग्राम प्रधान के पति से सरकारी शौचालय और सरकारी मकान देने की गुजारिश की, तो प्रधान-पति ने उसे सार्वजनिक रूप से उसे फटकारा और कहा कि सरकारी योजनाओं के लिए मोटी रकम अदा करनी होती है। बिना अफसर की जेब गरम किये कोई भी योजना का लाभ किसी को नहीं मिल सकता। यह करीब दो बरस पुराना किस्सा है।
बढ़ई जाति के लोगों को ही बाथम कहा जाता है। सुभाष इसी बढई जाति का था। लेकिन अपने आसपास के लोगों से उसका कोई लेना-देना ही नही होता था। वजह थी वही आर्थिक संकट से उपजी हताशा, उपेक्षा और आत्मकेंद्रित होते जाने की हालत, जिसने संतोष को खब्ती यानी अवसाद तक पहुंचा डाला था। जेब और सामाजिक हालत कंगाल थी। ऐसी हालत में सुभाष बाथम शादी नहीं कर पाया। लेकिन कुछ बरस पहले एक शादी में उसकी आंखें रूबी नाम की एक युवती से लड़ी थी, और संतोष उस बिना ब्याही रूबी को अपने घर ले आया। लेकिन इससे गांव में उसकी हालत और दयनीय हो गयी। रूबी कठेरिया जाति की थी, जिसे धानुक कहा जाता है। यह जाति सुवर पालन में मशहूर है। इससे गांव से उसका रहा-बचा रिश्ता भी हमेशा के लिए टूट गया। दो बरस पहले रूबी ने गौरी को जन्म दिया। इसके बाद से बच्ची आस-पड़ोस के बीच एक सेतु की तरह उगने लगी।
लेकिन भूख की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। ऐसे में सुभाष ने कच्ची शराब और हल्की-फुल्की चोरी-सियारी का धंधा भी थाम लिया। पुलिस का कहना है कि एक दिन एक दूकान से पाइप चोरी होने के मामले में संतोष पकड़ा गया। हालांकि बीस बरस पहले भी सुभाष को अपने मौसा की हत्या के मामले में जेल जाना पड़ा था, लेकिन चोरी जैसा कोई आरोप उस पर कभी भी आयद नहीं हुआ था। पाइप चोरी के मामले में उसकी जिन्दगी ही तबाह होने लगी। अमर उजाला के जिला प्रभारी सुबोध कुमार दुबे बताते हैं कि इस मामले में पुलिस की स्वाट यानी एसओजी-टीम ने उसे दबोचा था, और उसके बाद से ही सुभाष पर भयावह प्रताड़ना का दौर शुरू हो गया। पता चला है कि इस मामले में एसओजी के सिपाहियों ने सुभाष को भयावह यंत्रणाएं दीं। उसके साथ क्या-क्या हुआ, उसका अंदाज केवल इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि पुलिसवालों ने सुभाष के गुप्तांग यानी शिश्न पर कई-कई दिनों तक करंट के झटके तक लगाये थे। सुबोध दुबे बताते हैं कि 30 जनवरी की घटना के दौरान लगातार यही मांग कर रहा था कि उसे और कुछ नहीं चाहिए, बस एसओजी के सचिंद्र और अतुल तिवारी को पकड़ लाओ। मैं उससे हिसाब पूरा कर लूंगा, बस।
सवाल यह है कि सुभाष यह मांग क्यों कर रहा था। इसका जवाब उस घटना के दौरान सुभाष बाथम खुद ही चिल्ला-चिल्ला कर खुलासा करता था। चश्मदीद बताते हैं कि संतोष बाथम का कहना था कि जब वह थाना समेत कई स्थानों में बंद रखा गया था, उस दौरान उसकी बिन-ब्याही पत्नी रूबी उसे छुड़ाने के लिए पहुंची तो पुलिसवालों ने कई दिनों तक और कई बार बलात्कार किया था। यह सिलसिला कई दिनों तक चला, और उसके बाद सुभाष को पुलिस ने दफा-25 में जेल भेज दिया। दफा-25 के बारे में आपको बता दें कि जन-चर्चाओं के मुताबिक इस धारा के तहत सिर्फ फर्जी तरीके से लोगों को फंसा कर उन्हें जेल रवाना कर देती है। दोलत्ती संवाददाता से बातचीत में फर्रूखाबाद के जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने माना है कि उस दौरान सुभाष गुप्तांग में करंट लगाने और उसकी पत्नी पर बलात्कार जैसे आरोप पुलिसवालों पर लगा रहा था।