सलाम तुमको अवनीश पांडे, तुमको पीढ़ियां याद करेंगीं

सक्सेस सांग

: कहानी एक ऐसी प्रतिभा की, जो प्रतिभाओं को कसौटी पर खरा उतराने के लिए अपनी की प्रतिभा को भी खत्‍म कर गया : यूपी लोक सेवा आयोग को सीबीआई के रडार तक पहुंचाने का भागीरथी प्रयास करता रहा यह युवक : आयोग की करतूतों पर आजीवन लड़ने की कसम खायी अवनीश ने :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह कहानी उस प्रतिभाशाली युवक की है, जिसने अपनी प्रतिभा को खुद ही कुल्‍हाड़ी से काट डाला। मकसद यह कि वह प्रतिभाओं की सामूहिक नर-संहारों के खिलाफ एक जबर्दस्‍त धर्मयुद्ध कर बैठा था। उसका यह प्रयास किसी महान भागीरथी-प्रयत्‍न से कम नहीं था, जिसने अपने पुरखों को तर करने के लिए अपने बरसों-बरस एक पैर पर तपस्‍या की थी। लेकिन जिस तरह भागीरथ की कोशिशें से गंगा बह निकलीं, जिसने लाखों-करोड़ों पुरखों को तृप्‍त कर दिया, ठीक उसी तरह इस युवक ने भी जिस कोशिश को सफलीभूत कराया है, उसने आने वाली सदियों में अपनी पहचान को तरसती प्रतिभाओं को तृप्‍त किया जा सकेगा।

इस युवक का नाम है अवनीश पांडेय। आज जिस तरह यूपी लोक सेवा आयोग के गिरहान को सीबीआई दबोच रही है, वह अवनीश पांडेय की कोशिशों का ही असर है। सच बात तो यही है कि आयोग तक सीबीआई के रडार को पहुंचाने का भागीरथी प्रयास अवनीश ने ही छेड़ा था। अब हालत यह है कि अवनीश आज द्वारा अभ्‍यर्थियों को दिये गये कष्टों का चुन-चुन कर बदला ले रहे हैं।

सिविल सेवाओं में आना लाखों नौजवानों का सपना होता है पर हर किसी का सपना सच नही हो पाता। कुछ लोग तैय्यारी करते हैं, चयन हो जाता है तो ठीक वर्ना दो-चार सालों में मैदान छोड़ निकल लेते हैं। पर क्या करियेगा अगर खेल कराने वाला अंपायर ही बेईमान निकल जाये? कुछ यही आरोप पिछले कई सालों से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पर लग रहे हैं। एक विशेष जाति के लोगों का चयन करने के आरोप तो सरेआम लगे उसके अलावा अनिल यादव नाम के हिस्टरीटर को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा।कई लोगों ने इन सब बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया पर एक व्यक्ति था जिसने हार नही मानी और चुन-चुनकर बदला लिया। उस व्यक्ति का नाम है अवनीश पांडे।

अवनीश पांडे वही इंसान है जिसने सबसे पहले साल 2013 में सड़कों पर उतरकर लोक सेवा आयोग में चल रहे जातिवाद के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी। ये वही अवनीश हैं जिन्होंनें हिस्ट्रीशीटर अनिल यादव को लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के लिये माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अनिल यादव को अपने पद से बर्खास्त कर दिया था। अवनीश ने अपना सारा जीवन छात्र हित के नाम कर दिया।

अवनीश को नौकरी तो नही मिल पायी पर जो काम उसने कल दिया उसके लिये उसे पीढ़ियां याद करेंगीं। शासन-प्रशासन ने कितने ही दबाव डाले, धमकियां दीं पर पांडे टस से मस नही हुए और सरकार से लोहा लेते रहे। आज भी जब कभी आप इलाहाबाद की सड़कों पर निकलकर किसी छात्र से बात करते हैं तो आपको अवनीश के चर्चे सुनने को मिलते हैं। फेसबुक पर भी अवनीश के मित्रों की एक बड़ी संख्या है जो उनके हर एक फेसबुक अपडेट की प्रतीक्षा करते रहते हैं।

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