: बाराबंकी के रामनगर में सहारा प्रबंधक फांसी पर झूला, अखबारवाले इस खबर को दबाने की कोशिश में : निवेशकों का भारी दबाव, सहारा में सुनवाई नहीं : कई जगह डिपॉजिटर्स ने प्रचीन चमरौधा असलहा, जूतों से खोपड़ी गंजी कर डाली : उधर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सुब्रत राय पर लगायी जोरदार किक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : सुब्रत राय के वे दिन अब फाख्ता की तरह उड़ गये, जो ऐयाशियों और मस्तियों में बीता करते थे। मगर इसका सबसे बड़ा नुकसान तो कम्पनी में पैसा जमाये डिपॉजिटर्स पर पड़ रहा है, जिन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई सुब्रत राय के झूठे आश्वासन से भ्रमित होकर सहारा इंडिया के हाथों में थमा दिया था। म्योचैरिटी के कई बरस के बाद जब इन निवेशकों का पैसा उन्हें वापस नहीं मिला, तो वे अब बवाल पर आमादा हैं। ऐसे निवेशकों का गुस्सा वैसे तो सुब्रत राय पर सीधे-सीधे हैं, लेकिन फिलहाल तो उनके नजदीकी निशाने पर हैं सहारा इंडिया के स्थानीय सहाराकर्मी जिनके माध्यम से उन्होने अपनी रकम कम्पनी में जमा करायी थी। बाराबंकी में एक सहारा के एक वरिष्ठ कर्मयोगी ऐसे दबावों से बेहाल हो गया, तो अंतत: उसने खुद को खत्म करने का फैसला किया और अपने घर फांसी लगा दी। बाद में उसके सुसाइड-नोट के आधार पर उसकी मां ने पुलिस थाने में सुब्रत राय, ओपी श्रीवास्तव समेत करीब आधा दर्जन सहारा-प्रबंधकों व निदेशकों के खिलाफ आत्महत्या से प्रेरित करने का मुकदमा दायर कराया है। उधर खबर है कि गुजरात समेत देश के कई शहरों में भुगतान न मिलने से आजिज निवेशकों ने सहारा के कार्यालयों में घुस कर वहां मौजूद कर्मचारियों-प्रबंधकों को जूतों से पीट-पीट कर भुरकस निकाल दिया है। यह क्रम अभी भी जारी बताया जाता है। गुजरात में गुस्साए सहारा के डिपॉजिटर्स के आक्रोश की तो वीडियो रिकार्डिंग तक की गयी है। अगर आप उस वीडियो रिकार्डिंग को देखना चाहते हो तो कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
कहीं आत्महत्या, तो कहीं जूतम-पैजार
उधर खबर है कि सहारा में करीब एक बरस ने वेतन ही नहीं दिया जा रहा है। कई महीनों से वेतन कटौती हो रही है। ऐसे हिटलरी हुक्मनामे से गुस्साये सहाराकर्मियों ने दी पूरा कमांड प्रबंधन को सड़क पर लिटाने की धमकी दी है। एक अन्य खबर में पता चला है कि कम्पनी के 3 डायरेक्टरों ने दिया सहारा से इस्तीफा आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर अमिताभ घोष, सु्प्रीम कोर्ट पूर्व जस्टिस एस मोहन और न्यू इंडिया के पूर्व अध्यक्ष एसी मुखर्जी ने भी छोड़ दी निदेशक की कुर्सी। सहारा इंडिया में एक बकलोल अफसर हैं। नाम है अशोक राय चौधरी। इसी बकलोल को समझ में ही नहीं आता है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है। नतीजा यह होता है कि कर्मचारी हमेशा इस अफसर को सरेआम ललुआते-ललुहाते दौड़ाते रहते थे। आगे अफसर, बाद में पीछे-पीछे कर्मचारी। गजब दौड़-पचीसी चल रही है इस वक्त सहारा इंडिया प्रबंधन में।
बहरहाल, ताजा खबर यह है कि प्रबंधन द्वारा जारी सर्कुलर युनियन के दबाव मे तुरन्त सहारा प्रबंधन ने वापस लिया जो आधी सैलरी देने का आदेश था। और मिटिंग सैलरी से सम्बन्धित भवन पर चल रही है। छोटे कर्मचारीयो को पुरी सैलरी दी जाए। यह वार्ता युनियन द्वारा भी की गई। साथियो युनियन आप के हक के लिए संघर्ष करता रहेगा। आप भी युनियन पर बिस्वास करे। युनियन– सभी कर्मचारीयो पर हो रहे शोषण का पुरजोर विरोध करेगा।अब आधी अधूरी सैलरी देने का बहाना नही चलेगा।हमेशा वरिष्ठो को छोटे कर्मचारी की ही सैलरी दिखती है।वह लोग अपनी सैलरी को क्यो नही कटाते उन पर तो कोई फर्क भी नही पड़ेगा ।क्यो कि कोई पंतन्जली से कमाता है तो कोई होटलो से कमाई कर रहे है। कुछ तो वरिष्ठ कुत्तो की तरह का ब्यापार कर रहे है। और सहारा से लिफाफा भी ले रहे है। हिम्मत हो तो काट लो इन वरिष्ठो की सैलरी इन पर कोई फर्क भी नही पढेगा। कुछ विभागो मे प्रमोशन भी धडल्ले से कर रहे है। कुछ विभागो मे इंसेंटिव बाटा गया है।और छोटे कर्मचारीयो को वेतन देने उन्ही वरिष्ठो को दिक्कत हो रही है।
वैसे जानकार बताते हैं कि बड़ा मुश्किल है सहारा इंडिया का गड़बड़झाला को समझ पाना। वजह यह कि सहारा इंडिया रियल स्टेकट कार्पोरेशन लिमिटेड को कल तक सुप्रीम कोर्ट में अपने निवेशकों की सचाई पेश करनी है। लेकिन यह मामला लगातार पेंचीदा होता जा रहा है। मुश्किल इसलिए, क्योंशकि निवेशकों की सूची में जयपुर, नागपुर, औरंगाबाद और लखनऊ समेत करीब 5984 कलावती नाम की महिलाओं का नाम दर्ज है।
सुब्रत राय और सहारा इंडिया की खबरों को न छापने के लिए सहारा इंडिया ने हर हथकंडे अपनाये हैं। हमारे पोर्टल दोलत्ती डॉट कॉम और मेरी बिटिया डॉट कॉम की खबरों को रोकने के लिए सहारा इंडिया ने अपनी कानूनी मामले विभाग के प्रमुख विधि-एग्जिक्यूटिव तक को लगा दिया। वहां की एग्जिक्यूटिव श्वेता अग्रवाल ने हम पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। लेकिन हम नहीं झुके, और इतना ही नहीं, हमने तो श्वेता अग्रवाल की हमसे हुई बातचीत को भी वायरल कर दिया है।
उस बातचीत को सुनने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
कुमार सौवीर को सहारा की विधि-प्रबंधक ने दी निपटने की धमकी
सहारा इंडिया का हर धंधा ही धोखा और फरेब पर भीगा है। सहारा इंडिया ने सेबी को जो सीडी सौंपी है, उसमें करीब सवा लाख पन्ने शामिल हैं। इतना ही नहीं, इसमें 66 लाख 12 हजार और 836 निवेशकों का नाम और उनका पता दर्ज बताया जा रहा है। एक अखबार ने इस लिस्टि का गंभीरता के साथ अध्य1यन किया है। नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं। मसलन इस सूची में कलावती नाम की 55 निवेशकों का एक ही पता दर्ज है।
इतना ही नहीं, कलावती का नाम तो राहुल गांधी के ग्रामीण इलाकों में हुई चुनावी यात्रा के मशहूर हुआ था, जब राहुल गांधी ने सन-2008 में संसद में कलावती के नाम का जिक्र किया था। हालांकि सहारा समूह के प्रवक्ता अभिजीत सरकार ने इस बारे में अपनी सफाई दी है। अभिजीत सरकार का कहना है कि एक ही नाम के कई लोगों का होना कोई आश्चिर्यजनक नहीं होता है। आपको बता दें कि सर्वोच्चा न्याधयालय के जस्टिस जेएस खेहर ने सहारा इंडिया के अगस्त-2012 में दी गयी निवेशकों का सूची पर शंका जताते हुए कहा था कि अदालत पहले पेज के बाद नामों पर संकट नही है।
यह भी बताया जा रहा है कि सहारा ने तो मीडिया के सामने टुकड़े फेंक रखे हैं। बाराबंकी में आत्महत्या के मामले को दबाने के लिए अखबारों ने अपनी पूंछ सुब्रत राय के सामने से तानने से बंद कर दिया। अब सहारा को लेकर होने वाली किसी भी नकारात्मक घटना को छापने से साफ मना कर दिया गया है। पत्रकारों की औकात के हिसाब से खुला था सहारा का खजाना। कह दिया गया है कि आप खबरों के मामले में हमारा ध्यान रखिये, हम आपका ध्यान रखेंगे।
सहारा इंडिया की विधि-प्रबंधक श्वेता अग्रवाल की धमकी जिसमें उन्होंने हम पर सख्त कार्रवाई करने की धमकी दी थी। लेकिन जब हम ने उनके गरमा-गरम जवाब दिया तो श्वेता अग्रवाल ही अपनी टोन ही भड़कने के बजाय भीगी बिल्ली की तरह तैयार कर लिया।
उस बातचीत को सुनने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
सहारा इंडिया की धमकियों से जब कुमार सौवीर भड़क गये
एक तरफ तो सहारा इंडिया अपनी साख बचाने के लिए करोड़ों रूपयों का भुगतान अखबारों और समाचार चैनलों में विज्ञापन के तौर पर फूंक रहा है, वहीं दूसरी सेबी आम निवेशकों और नागरिकों की पूंजी बचाने की कवायद में जुट गया है ताकि इन लोगों की गाढ़ी-कमाई सहारा इंडिया में कहीं डूब न जाए। ताजा कार्रवाई के तहत पूंजी बाजार नियामक यानी सेबी ने निवेशकों और आम लोगों को चेताया है कि वे सहारा इंडिया समूह की दो कंपनियों से किसी भी तरह के लेन-देन न करें, वरना ऐसे लेन-देन के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे।
जी हां, यह कहानी है उस शख्स की जो अब दुनिया का सबसे बड़ा डिफाल्टर और स्थापित आर्थिक धोखेबाज की है। नाम है सुब्रत राय। एक वक्त था जब सु्ब्रत राय ने अपना नाम सहारा-श्री रख लिया था। तब सुब्रत का दावा हुआ करता था कि सुब्रत राय कोई कम्पनी नहीं, बल्कि एक परिवार है, जिसमें दस लाख से अधिक कर्मयोगी हैं। लेकिन आज अपनी इन्हीं कर्मयोगियों की जिन्दगी तबाह करने पर आमादा हैं सुब्रत राय। उस दौर में जिन कर्मचारियों के बल पर सुब्रत राय अपना साम्राज्य खड़ा होने का दावा करते थे, आज वही सुब्रत राय उन्हीं कर्मयोगियों को भूखों मार डालने पर आमादा है।
सुब्रत राय की काली करतूतों ने सहारा इंडिया को तबाह किया है। इस मामले में दोलत्ती डॉट कॉम ने बाकायदा श्रंखलाबद्ध खबरें आप तक पहुंचायीं हैं। अगर आप इन खबरों को देखना-पढ़ना चाहें तो कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिएगा जरूर:-
सुब्रत राय और सहारा इंडिया की काली करतूतें
सुब्रत राय नहीं बदल सकते। बेहूदगी और दम्भ-घमण्ड ने ही जेल की चक्की पीस पिसवा दिया इसकी टोपी, उसके सिर पर पहनाने में कुख्यात सहारा इण्डिया वाले सुब्रत राय का यह नया पैंतरा है तबादला। सहारा में अब बुरी तरह खदबदा रहे कर्मचारियों के आक्रोश को निपटाने के लिए सुब्रत राय ने अब तूफानी तबादलों का भूचाल पैदा कर दिया है। खबर है कि इस पैंतरे के चलते पिछले छह महीने में अकेले लखनऊ में ही करीब एक हजार कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया है। और मजेदार बात तो यह है कि यह तबादले यूपी ही नहीं, बल्कि इनमें से अधिकांश कर्मचारियों को देश के दूरस्थ क्षेत्रों में कर दिया गया है। मकसद सिर्फ यह कि कैसे भी हो, इन कर्मचारियों से पिण्ड छुड़ा लिया जाए।
वाह सौविर भाई साहब नमस्कार’ बेखौफ’