: शर्म आने लगी है शिक्षक के नाम पर, कुकृत्यों का ग्रंथ हैं गिरि संस्थान के निदेशक : प्रो सुरेंद्र ने समझौता की बात तो की, लेकिन उसके कारणों का खुलासा नहीं किया : गलतफहमी है बच्ची को, समझौते में उसके पिता की नौकरी बचाने का मुद्दा काहे बनाया, हैरत है :
कुमार सौवीर
लखनऊ : गिरि सामाजिक अध्ययन संस्थान का नाम भले ही कभी सामाजिक विषयों को लेकर आकर्षित छात्रों के बीच पूरे सम्मान के साथ विख्यात होता रहा हो, लेकिन आज हालत तो यह है कि यह संस्थान और उसका पूरा प्रबंध-तंत्र केवल झूठ और दुराचार में ही लिप्त है। जाहिर है कि इस संस्थान की कुख्याति अब लगातार जंगल की आग की तरह फैलती-सुलगती ही जा रही है।
यहां के निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा ने यहां साढ़े चार बरसों तक जो भी कृत्य-कुकृत्य किये हैं, उसको लेकर अब कहानियां जहां-तहां फैलती जा रही हैं। हाल ही निदेशक के घर काम करने वाली नौकरानी ने प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा की विद्वत्तता का नकाब पूरी तरह नोंच कर सड़क पर फेंक डाला था। नतीजा यह हुआ कि प्रोफेसर सुरेंद्र को उस बच्ची से समझौता करना पड़ा। लेकिन उस के बाद से निश्चिन्त हो चुके प्रोफेसर सुरेंद्र को जब सवालों में घेरा गया, तो उनके पास कोई जवाब तक नहीं निकला। बस वे कैसे भी हो, सवालों की बारिश से बच निकलने को आतुर हो गये।
अब जरा सुन लीजिए इस शर्मनाक हादसे का दूसरा और असली पहलू। यह है प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा से प्रमुख न्यूज पोर्टल www.meribitiya.com के संवाददाता से हुई बातचीत का ऑडियो-क्लिप। इस बातचीत में प्रो सुरेंद्र ने कुबूल किया है कि उस बच्ची और उनके बीच कोई गलतफहमी हो गयी थी। हालांकि प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा ने यह भी बताया कि इस गलतफहमी को दोनों ही पक्षों ने मिल कर दूर किया और सारे गिले-शिकवे दूर कर लिये गये।
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लेकिन बातचीत के पहले ही उन्होंने यह सवाल दागा था कि इस संवाददाता को यह सूचना किस शख्स द्वारा मुहैया करायी गयी। बहरहाल, सुरेंद्र कुमार ने कुबूल किया कि उनका उस बच्ची के बीच हुए समझौते में उसके पिता को नौकरी से नहीं हटाये जाने की मान ली गयी है। लेकिन उस बच्ची के साथ हुए इस समझौते में उसके पिता की नौकरी न खत्म करने वाला विवाद-मुद्दा आखिरकार कैसे जुड़ गया, इस बारे में प्रो सुरेंद्र सिंह ने कोई बात नहीं की। प्रो सुरेंद्र का कहना था कि यह गलतफहमी मेरे फोन को लेकर हुई थी। लेकिन हमने जब यह पूछा कि उनकी किस बात पर उस बच्ची को गलतफहमी हो गयी थी, और उस फोन पर आपने उस बच्ची से क्या-क्या बात की थी, प्रो सुरेंद्र कुमार शर्मा ने पूछा कि आखिर यह सवाल क्यों उठाया जा रहा है।
लेकिन जब हमने यह पूछा कि समझौते के बाद यह तो सवाल उठता ही है कि आखिर किस बात पर यह गलतफहमी हुई जिसके समाधान के लिए अब समझौते तक की नौबत आ गयी, प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा का कहना था कि अब यह मामला चूंकि खत्म हो गया है, इस लिए इस मसले पर कोई भी बात करने की जरूरत नहीं है। लेकिन हमने जब यह पूछा कि यह समझौता हो जाने के बाद भी उसके मूल कारणों का खुलासा तो होना ही चाहिए, जिसके चलते वह बच्ची को सीधे पुलिस थाने तक जाने की जरूरत पड़ गयी, प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा का कहना था कि इस बारे में हम आमने-सामने ही बात करें, तो बेहतर होगा। उनका कहना था कि उस समय वे व्यस्त हैं, और जल्दी ही हम आमने-सामने बात करेंगे। हमारा सवाल था कि यह बातचीत कब होगी, प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा ने आश्वस्त किया कि वे खाली होते ही इस संवाददाता को सूचित करेंगे। लेकिन इस बातचीत को तीन दिन बीत जाने के बावजूद प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा को अब तक इस संवाददाता से बातचीत करने का समय नहीं मिल पाया है।
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कहने की जरूरत नहीं है कि जब संस्थान का अध्यक्ष ही इस मामले को दबाने की साजिश करेगा, तो फिर शिक्षा जगत में शुचिता और सम्मान का स्थान कैसे बन सकेगा।
बहरहाल, पूर्व राजदूत प्रोफेसर एसआर हाशिम और प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा से प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के संवाददाता से हुई फोन की बातचीत का ऑडियो-क्लिप हमारे पास मौजूद है। जो भी इच्छुक व्यक्ति अगर चाहे, हमसे सीधे हासिल कर सकता है।