आरटीआई की बरसी: आयुक्त बिष्ट ने की थी गुंडागर्दी

सक्सेस सांग

: बेहूदगी की बरसी पर यह याद आया कि अपने राजनीतिक रिश्‍तों के चलते कितनी बेहूदगी कर चुके हैं यूपी के सूचना आयुक्‍त लोग : राज्य सूचना आयोग के अफसरों की मनमर्जी बेलगाम थी, कार्यकर्ताओं में क्षोभ भड़क गया था : लेकिन अब सत्‍ता बदलते ही राइट-टाइम हो गये हैं सूचना आयुक्‍त :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी छवि चमकाने और पार्टी की जड़ों को जमाने की लाख कोशिश कर लें, उनके अनेक बड़े सूबेदार सारा मटियामेट करने में जुटे हैं। यह कमेंट सूचना आयुक्‍त मुख्‍यालय के एक आयुक्‍त अरविंद सिंह बिष्‍ट के बारे में एक बरस पहले तक खूब चर्चित हुआ करता था। खास तौर पर तब, जब अरविंद बिष्‍ट ने सूचना मांगने के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए आने वाले वादियों के बीच चला करता था। ऐसी चर्चाओं के अनुसार मुलायम सिंह यादव के समधी होने की धौंस और गुरूर में झूमते अरविंद बिष्‍ट किसी भी वादी से अभद्रता कर सकते हैं, किसी भी वादी पर हमला कर सकते है, कमरे या गलियारे में किसी को भी पीट सकते हैं। पिछले बरस एक आरटीआई कार्यकर्ता तनवीर के साथ जो बदतमीजी सूचना मुख्‍यालय में हुआ, वह सारी सीमाओं को तोड़ गया था।

तब मामला उठा था राज्य के चर्चित सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह विष्ट का, जिन्होंने आज दोपहर एक सूचना कार्यकर्ता के साथ भरे दफ्तर गालियां दीं और अपने सुरक्षाकर्मियों को बुला कर उन्हें एक कमरे में बंद करा दिया। ताज़ा खबर मिलने तक तनवीर बिष्ट के कमरे में गैरकानूनी ढंग से नज़रबंद हैं और उन्हें किसी से भी मिलने से पाबंदी लगा दी गई है।

आपको बता दें कि बिष्ट पत्रकार होते हुए सूचना आयोग में आये हैं। मुलायम सिंह यादव के सगे समधी होने के चलते बिष्ट को सूचना आयुक्त की कुर्सी मिली, लेकिन इसके बाद से बिष्ट का लहजा अभद्र होता जाता रहा। चूंकि बिष्ट आयुक्त पद पर हैं और लगातार यही प्रचार कर रहे हैं की सपा सरकार में वे जो भी चाहें, कर सकते हैं। इसलिए अफसरशाही में उनकी पकड़ होती जा रही है। यही से पकड़, दबाव और धंधे की दूकान चल रही है बिष्ट की।

इतना भी रहता तो भी ठीक था, लेकिन अब बिष्ट का दर्प-घमंड अब उनके सर पर चढ़ कर बोल रहा है। अपने कार्यालय में सूचना कार्यकर्ता-आवेदकों से बिष्ट आयेदिन अभद्रता और उन्हें बेइज्जत करने पर आमादा रहते हैं। अनेक कार्यकर्ताओ का आरोप है कि अफसरों से सूचना दिलाने के बजाय बिष्ट अफसरों को कृपा बरसाते हैं और अफसरों के सामने ही कार्यकर्ताओं-आवेदकों सरेआम गरियाते और सुरक्षाकर्मियों की धौंस पर आवेदकों को नजरबन्द तक कर देते हैं। कई बार तो सूचना आयोग में आवेदकों की पिटाई तक करायी जा चुकी है।

आज बिष्ट का कहर तनवीर सिद्दीकी पर टूटा। बेहद गंभीर और शालीन प्रवृत्ति वाले तनवीर ने दो दिन पहले ही हजरतगंज वाले गांधी प्रतिमा पर सैकड़ों सूचना कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन और धरना दिया था। इस आंदोलन का मकसद सूचना आयुक्तों की मनमर्जी और निर्णयों में हो रही उनकी धांधली का विरोध करना ही था।

लेकिन बिष्ट इस पर भड़क गए। आज जैसे ही तनवीर को बिष्ट ने देखा, तनवीर को गालियां देना शुरू कर दिया। तनवीर ने जब उनकी अभद्रता का विरोध करना चाहा तो बिष्ट ने अपने सुरक्षाकर्मियों को बुला कर उन्हें एक कमरे में बंद करा दिया।

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