आईएएस राजीव और डीपी यादव के नौकर सुखदेव में क्‍या कोई फर्क है। दोनों का ही हाल-पता जेल

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: नीतीश कटरा हत्याकाण्ड में सुखदेव व घोटाले में आईएएस राजीव कुमार अब जेल में हैं : कुख्‍यात डीपी यादव की क्रूरता में सुखदेव, नीरा यादव के तलवे चाटने में फंस गये राजीव कुमार : एक होनहार पहलवान बन गया अपराधी : जरा निहार लीजिए मालिक के पालितों की दुर्गति– एक :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सुखदेव को आप जानते हैं? अरे वही कुशीनगर जिले में पटहेरवा निवासी सुमही तरूअनवा गांव के वाले अतरौल टोला का रहने वाला सुखदेव। जी हां, वही निहायत शरीफ, सज्‍जन और आज्ञापालक सुखदेव। आजकल वह डासना जेल में है। अरे जेलर नहीं है वह, जेल में बंद है। कुख्‍यात अपराधियों में से उसका नाम है। एक निहायत शरीफ युवक की नृशंसता के साथ हत्‍या के मामले में उसे 20 साल की सजा दी है सुप्रीम कोर्ट ने। नितीश कटारा हत्‍याकांड में, जिसे सुन कर किसी भी देशवासी के रोंगटे खड़े हो सकते हैं।

और अब राजीव कुमार को भी जानते होंगे आप। अरे वही राजीव कुमार, जो आजकल डासना जेल में चक्‍की पीस रहा है। जी हां, वही राजीव कुमार जो आईएएस अफसर था। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्‍लाट के बेशकीमती प्‍लॉटों के घोटालों में उसका नाम आया और आजकल वह तीन साल के लिए जेल में बंद है। मूलत: निहायत ईमानदार, आत्‍म-केंद्रित और सज्‍जन माना जाता था।

इन दोनों ही एक ही जेल में हैं अपने दुर्दन काट रहे हैं, लेकिन दरअसल यह दोनों ही हैं सगोत्रीय। रक्‍त-सम्‍बन्‍ध या बेईमानी में नहीं। सिर्फ आज्ञापालन में। जिसकी नौकरी की, उसको अपना खुदा समझ लिया। संविधान, नियम, कानून और सरकार ही नहीं, जन व लोक-प्रति‍बद्धता के बजाय अपने मालिकों की जूतियां चाटने की श्‍वान-प्रवृत्ति के चलते। उसे लगा कि जिसके अधीनस्‍थ वह काम कर रहा है, वही ही उसका खुदा है और वह उसका भव-सागर पार करा देगा, विष्‍णु की तरह ऐश्‍वर्य-मूलक जीवन व्‍यतीत करा देगा। लेकिन ऐसे सपनों पर साष्‍टांग करने के चक्‍कर में यह लोग आज जेल में हैं।

तो पहला नाम सुखदेव का। कुशीनगर में सुखदेव का नाम हुआ करता था। लेकिन कुश्ती की दुनिया में कभी जिले का उभरता हुआ नाम आज जेल की अंधेरी कोठरी में सिसक-सिसक कर जिंदगी काटने को मजबूर है। कभी मशहूर पहलवान बनने का सपना संजोए कुशीनगर का सुखदेव कब पश्चिम यूपी के एक कुख्‍यात अपराधी-बाहुबली डीपी यादव के चरणों में अपना सर्वस्‍व अर्पित कर अपना जीवन तबाह कर सकता है, उसे पता तक ही नहीं था। उसकी सरपरस्ती में आज वह अब अपराधी ही नहीं घोषित हुआ है बल्कि हत्या जैसे संगीन जुर्म में सजा पा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने सुखदेव को गाजियाबाद के चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में बीस साल की सजा सुना दी है। एक कुख्‍यात बाहुबली की सरपरस्ती में कैसे अच्छे खासे शरीफ और जिम्मेदार भी अपराधी बन जाते हैं, सुखदेव पहलवान इसकी बानगी भर है। उसकी यह कहानी उन युवाओं के लिये एक सीख भी है जो बाहुबल और माफिया की रॉबिनहुड छवि से प्रभावित होकर जाने-अनजाने में समाज विरोधी कार्यों में लिप्त हो जाते हैं।

कुशीनगर जिले के पटहेरवा थाना क्षेत्र स्थित सुमही तरूअनवा गांव के अतरौल टोला निवासी सुखदेव का सपना एक बड़ा पहलवान बनना था। गरीब परिवार से ताल्लूक रखने के बावजूद कुश्ती लड़ना और युवकों को कुश्ती के गुर सिखाना उसका शौक था। पर अपनी मुफलिसी और परिवार की तंगहाली दूर करने के लिये शहर जाने का निर्णय लिया। उसे क्या पता था कि यह निर्णय उसकी जिंदगी बदल देगा। गाजियाबाद जाना और वहां कुश्ती लड़ना सुखदेव के साथ-साथ पूरे परिवार की जिंदगी में ऐसा अंधेरा भर गया कि उससे पार पाना मुश्किल है। उसके पांच बच्चे, पत्नी और बुढे पिता रो-रोकर दिन बीता रहे हैं।

राह से भटके हुए राहगीर को भले ही बाद में रास्‍ता मिल जाए, लेकिन ईमानदार स्‍वामी को पहचान न पाने का दंश हमेशा मौत जैसा ही होता है। चाहे वह डीपी यादव के पुत्रों की करतूतों से हुए नितीश कटारा हत्‍याकाण्‍ड में संलिप्‍त कुख्‍यात डीपी यादव जैसे लोगों का हो या फिर यूपी की मुख्‍य सचिव रहीं नीरा यादव जैसी बेईमानों के चरण पखारने में जुटे लोग। इस पूरे मामले को समझने के लिए कृपया निम्‍न लिंक को क्लिक कीजिए: – फिर फर्क क्‍या बचा उसमें तुममें

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