: पिटने की परम्परा काफी पुरानी है, हेमंन्त तिवारी के पूर्वजों से भी और उनके वंशजों तक : जयपुर के पिंक-सिटी प्रेस-क्लब से पहले और बाद तक खबरें बिछी हैं जूतम-लात की : हरदोई में जमकर कूटे गये जी-टीवी के पत्रकार साहब, नशे में फायर कर रहे थे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : देवी-देवताओं फूल बरसाओ, जन-समूह स्वागत-गीत गाओ। तुम्हारा लतियाया हुआ पत्रकार आया है। जी भर कर कूटा गया है, लुटा-पिटा हुआ आया है। अब अपने खिलाफ कई मुकदमे लाद कर आया है। देवी-देवताओं फूल बरसाओ, स्वागत-गीत गाओ, लतियाया पत्रकार आया है।
जी हां, पत्रकारों में एक नया जोश-खरोश और नया शौक चर्राया हुआ है। अब तक यही पत्रकार लोगों की खाल खींचा करते थे, अब पब्लिक उनकी खाल खींचने पर आमादा है। हरकतें ही ऐसी है इन पत्रकार साहबों की, कि वक्त-बे-वक्त पिट ही जाते हैं। कभी जयपुर में, कभी रायपुर में, कभी बस्तर में, कभी इलाहाबाद में, कभी बहराइच में, तो कभी लखनऊ में। हर जगह उनका स्वागत करने के लिए लोग-बाग अपने पलक-पांवड़े बिछा ही लेते हैं। कि कब पत्रकार साहब आयें, और तब उनका हार्दिक स्वागत- अभिनन्दन किया जाए।
ताजा मामला है हरदोई का। यहां एक भौकाली, धाकड़ और नामचीन पत्रकार जी एक बड़ी पार्टी में पिट गये हैं। खबर यह है कि इस हंगामे के बाद पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया और फिर हंगामा पर आमादा इस पत्रकार को पुलिस ने दबोच कर जीप पर लादा और फिर उन्हें डायरेक्ट कोतवाली की हवालात में फिक्स-डिपॉजिट की तरह जमा करा दिया। इसके बाद उन्होंने रात भर मच्छर-चूहों के साथ बिताया, और फिर सुबह जमानत पर रिहा हो गये। इतना ही नहीं, उन्होंने शाम को पुलिस कप्तान की प्रेस-कांफ्रेंस में हंगामा किया, नतीजा यह कि उनकी करतूतों से आजिज होकर कप्तान ने उनकी रिवाल्वर को निरस्त करने का मुकदमा दर्ज करने का आदेश कर दिया।
मामला है जी न्यूज का। इन पत्रकार साहब का नाम है आनन्द शुक्ला उर्फ मुन्ना-जी। जी वाले मुन्ना-जी। खबर है कि स्थानीय नेता और पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल के छोटे भाई मुकेश अग्रवाल ने अपने विवाह के वार्षिकोत्सव पर एक बड़ा समारोह आयोजित किया था। खूबसूरत पांडाल सजा, लाजवाब व्यंजन रहे, शराब के झरने फूट पड़े। खासी भीड़ जुटी। खूब हल्ला-हंगामा हुआ।
चूंकि मुकेश और मुन्ना-जी की दोस्ती दांतों-काटी है, इसलिए उन्होंने ठांस कर दारू गटकना शुरू किया। उनके साथ की गलबहियां शुरू हो गयी कल्लू रस्तोगी से जो मुकेश अग्रवाल के चंटू-पिंटू जाने-माने जाते हैं। जल्दी ही सुरूर ने तूफान की सूरत अख्तियार कर लिया। मुन्ना-भी गालियां देने लगे। पाण्डाल में सन्नाटा हो गया। केवल मुन्ना-जी और कल्लू साहब ही बवाल कर रहे थे। अचानक कुछ पुलिसवालों ने हस्तक्षेप किया तो लुढक-मंडी बने झूमते लुडि़साये मुन्ना-जी ने अपनी लाइसेंसी निकाली और झूमते हुए दे दनादन, दे दनादन फायरिंग करना शुरू कर दिया। पुलिसवालों ने पहले तो फायरिंग से बचने की कोशिश की, लेकिन अचानक एक पुलिसवाले ने न जाने कैसे उचक कर उन पर एक करारा कन्टाप रसीद कर दिया। मुन्ना जी का काम केवल इतने में ही तमाम हो गया। इसके बाद से यही दोनों ही जमीन पर लम्बलेट हो गये।
अब बारी थी पब्लिक की। उन्होंने मुन्ना-जी और कल्लू-साहब को दबोचा और फिर उनकी कुटाई शुरू कर दी। हालत यह थी कि एक ओर मुन्ना-जी और कल्लू-साहब गालियां दे रहे थे और बाकी लोग उनकी कचूमर निकाल रहे थे। गोविंदा की तर्ज में कहें तो वहां भी मारा, जहां मारना था लेकिन वहां भी मारा, जहां नहीं मारना चाहिए।
इसके बाद पुलिस ने इन दोनों को जीप में लादा कर हवालात में बंद कर दिया।
अब अगले दिन कप्तान ने प्रेस-कांफ्रेंस बुलायी थी। हालांकि चोट बहुत थी, लेकिन मुन्ना-जी कैसे भी वहां पहुंचे। बताते हैं कि वहां पहुंच कर उन्होंने खुद को पीटने वाले दारोगा को गालियां देते हुए कहा कि अगर उस दारोगा पर कार्रवाई नहीं हुई तो मुन्ना-जी उसकी टांग तोड़ देंगे।
बताते हैं कि इस पर कप्तान गुस्सा हो गया। उसने सार्वजनिक तौर पर फायरिंग करने का मुकदमा दर्ज करते हुए मुन्ना-जी की लाइसेंसी रिवाल्वर का लाइसेंस खारिज करने का मामला दर्ज कर लिया है।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इसके बाद से ही मुन्ना-जी के सारे हौसले पस्त हो गये हैं। अब तो उनके शरण-दाताओं ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया है। नतीजा, अब मुन्ना जी अपने घर में अपने आंसू बहा रहे हैं।
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