: हुक्का-बार के मालिक ने गुजारिश की थी कि अपनी पत्रकारिता का बोझ मेरी स्कूटी से हटा लो, तो मैं आगे बढ़ जाऊं : बस फिर क्या था, पत्रकारों ने कलम छोड़ कर लात-पांव वाली पत्रकारिता का कहर तोड़ दिया : 500 कापी छापो, और सचिवालय में फ्री बंटवाओ, बस हो गयी पत्रकारिता :
मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता
लखनऊ : गजब की पत्रकारिता हो रही है। जब से पत्रकारिता में धंधेबाजों का आगमन हुआ है तब से सब कुछ गन्धा गया है। चार-चार पट्टे के अखबार निकाल…गाड़ी पर सस्ते गल्ले की दुकान जैसा PRESS का बोर्ड लटका कर पत्रकारिता की दुकानें खोल ली हैं। जिन्हें धोबी की दूकान में भी जगह नहीं मिल पायी, वे अब सारे लड़बोंग टाइप लौंड़े-लफाड़ी लोग अब पत्रकार बन चुके हैं। मकसद है, कमाई। कैसे भी हो। सिर्फ कमाओ।
तो जनाब, गोमती नगर में एक हुक्काबार वाला इस बार पत्रकारिता की आजादी का शिकार हो गया…जब तक फ्री में हुक्का पिलवाया तब तक पत्रकारिता की आजादी खतरे में नहीं पड़ी लेकिन फ्री का कोटा जैसे ही खत्म हुआ …पत्रकारिता का गंदा पुलिस के मार्फत हुक्काबार पर टूटा। हुक्काबार का धुआं बंद हो गया। एक दिन इसी हुक्केबार के संचालक लड़के का वाहन हुक्काबार के सामने खड़ा था। पत्रकारिता के कुछ अलंबरदार उसके वाहन पर अपनी पत्रकारिता का बोझ टिका बैठे थे। हुक्काबार संचालक के बेटे ने कहा कि भाई अपनी पत्रकारिता का बोझ हटा लें तो वह अपना वाहन ले जाए ….
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भाई लोगों ने कहासुनी बढ़ने पर पत्रकारिता की आजादी का हाथ खोल दिया ….वह भी पिटने के बाद अपने साथियों को बुला लाया …और दोनों ओर से झड़प हो गई ….बस पत्रकारिता की आजादी खतरे में पड़ गई….जैसे मोटा माल अंदर करने के बाद एक बड़े न्यूज चैनल की पत्रकारिता की आजादी खतरे में है …..
ये लतखोरों…दलालों और उठाईगीरों की फौज ईमानदारी से जीने वाले पत्रकारों को भी मुंह दिखाने लायक न छोडेगी….ये वि चार पन्ने का अखबार है जो DAVO न होने के बाद भी सूचना विभाग से करोडों का विज्ञापन डकार गया…कुछ दिन पहले लाखों रूपए का सूचना विभाग से प्रिटिंग का आर्डर भी झटक ले गया है। गजब की पत्रकारिता कर रहा है 500 कापी छापकर पूरे सचिवालय और एनेक्सी में फ्री में बटवा देता है और जिस अधिकारी के खिलाफ STORY करता है उसके घर और उसके अगल-बगल के आठ-दस घरों में पहुँचा देता है
….जय हो पत्रकारिता की…. संजयशर्मा की जय हो ….4 पीएम वालों के समर्थकी वाले पत्रकारों की जय हो….
( यह खबर नहीं, बल्कि हकीकत है, 4 पीएम को लेकर भड़के विवाद पर एक बेबाक टिप्पणी। दरअसल लखनऊ के एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस बारे में हमें मेल पर यह खबर लिख कर भेजी थी। वे अपना नाम जगजाहिर नहीं करना चाहते थे। हमने उनकी आज्ञा को सिर-आंखों पर लिया है। सम्पादक )
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