दुनिया की सबसे उम्रदराज बाघिन ने दम तोडा

सैड सांग

मुंद गयीं बाघिन शंकरी की आंखें

 

छत्तीसगढ के अभयारण्य में शंकरी ने आखिरी सांसें

शंकरी की याद में बनाया जाएगा एक संग्रहालय

पूरे अभयारण्य में शोक की लहर, सन्नाटा

मैनपुर के जंगलों से लायी गयी थी शंकरी

लोगों के खास आकर्षण का केंद्र रही शंकरीरायपुर.राजधानी के मिनी जू नंदनवन में दुनिया की सबसे बूढ़ी बाघिन शंकरी गुरुवार दोपहर चल बसी। सुबह तक उसकी हालत सामान्य थी। दोपहर 12.30 बजे अचानक लंबी सांसों के साथ हांफने लगी और कुछ देर में ही उसकी मौत हो गई।

वन विभाग के मुताबिक शंकरी दुनिया की सबसे ज्यादा दिनों तक जीवित रहने वाली बाघिन थी। उसे मैनपुर के जंगलों से पकड़ा गया था। इलाज के बाद उसको नंदनवन में ही रखा गया था।

वन विभाग में शोक: शंकरी की मौत से पूरा वन विभाग शोक में डूबा है। शाम 4 बजे उसके शव को पिंजरे से निकालकर सजी हुई अर्थी पर रखा गया। नंदनवन के पीछे वाले गांव के रास्ते उसकी शव यात्रा निकाली गई।

पोस्टमार्टम कर शंकरी का नंदनवन के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस दौरान वाइल्ड लाइफ के सीएफ राकेश चतुर्वेदी, डीएफओ एएच कपासी, डीएफओ वाइल्ड लाइफ एचएल रात्रे, प्रभारी आरएस मिश्रा ने उसे श्रद्धांजलि अर्पित की। डीआईएल के एक्सपर्ट डॉ. वीएस अवस्थी के नेतृत्व में डा. जयकिशोर जड़िया, डॉ. संजय जैन व डॉ. एसके पांडे ने पीएम के दौरान शंकरी के पूरे शरीर की जांच की।

शंकरी के नाम बनेगा स्मारक: नंदनवन प्रभारी आरएस मिश्रा ने बताया कि शंकरी के नाम से नंदनवन में स्मारक बनाया जाएगा, जिसमें उसकी झलक देखने को मिलेगी। गांव वालों ने भी शंकरी के शोक में स्मारक बनवाने के लिए जमीन देने की पहल की है।

गांव वालों का कहना है कि शंकरी के नाम से नंदनवन के बाहर स्मारक बनवाया जाए। वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी स्मारक को लेकर मौखिक स्वीकृति दे दी है।

बंद रहा नंदनवन: सीएफ चतुर्वेदी ने शंकरी की मौत के शोक में शुक्रवार को नंदनवन बंद रखने की घोषणा की। चतुर्वेदी ने बताया कि शंकरी ने वैसे तो दुनिया में सबसे ज्यादा जिंदगी जीने का रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन वह अगर 14 जनवरी तक जिंदा रह जाती तो 23 वर्षो का नया रिकॉर्ड बन जाता।

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