पूर्वांचल में फिर शुरू निरीह-वृद्ध सा‍धुओं की हत्‍या का दौर

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

जौनपुर में खुटहन के अंगुली गांव में सिर कूंच कर मारा गया साधु
चार साल बाद फिर 60 वर्षीय श्रीराम की हुई मंदिर में हत्‍या

जौनपुर। पूर्वांचल में साधुओं की जान पर एक बार फिर बन आयी है। चार साल पहले थमी निरीह और बूढे साधुओं की हत्‍या के बाद यह सिलसिला फिर शुरू हो गया। बीती रात खुटहन के अंगुली गांव के एक मंदिर की दशकों से देखभाल कर रहे श्रीराम नाम के साधु की सिर कूंच कर हत्‍या कर दी गयी। पुलिस इस मामले की छानबीन कर रही है, लेकिन प्रथमदृष्‍टया यह मामला मंदिर की जमीन कब्‍जाने को लेकर हुआ लग रहा है। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।
गौरतलब है कि पूर्वांचल के जौनपुर और आजमगढ समेत कई जिलों में सन 2004 से मंदिरों की व्‍यवस्‍था सम्‍भालने वाले साधुओं की ताबडतोड हत्‍याओं ने सनसनी फैला दी थी। अगले तीन साल के भीतर करीब 32 साधुओं की जघन्‍य हत्‍याएं हुई थीं। इन सभी साधुओं और पुजारियों की हत्‍याओं का तरीका निहायत क्रूर और जघन्‍य था। इन सभी मामलों में साधुओं को ईंटों से कूच कर या लाठी-गंडासे से काट कर बेहद निर्ममतापूर्वक मारा गया था। इससे और भी असुरक्षा का माहौल बनने लगा था। ऐसी करीब 29 हत्‍याएं तो अकेले जौनपुर में ही हो गयी थीं। कुछ हत्‍याएं तो शहरी सीमा में ही हो गयी थीं। हालांकि हत्‍या के बाद ली गयी मंदिरों की तलाशी में कुछ खास चोरी नहीं गया था, इसी से अंदाजा लगाया जाने लगा था कि इन हत्‍याओं का कारण जमीन पर कब्‍जा करने को लेकर ही हुआ। लेकिन पुलिस किसी भी मामले का खुलासा आज तक नहीं कर पायी। इसके चलते नागरिकों में भारी आक्रोश व्‍याप्‍त हो गया था।
इसी दौर में देश के एक प्रख्‍यात वैज्ञानिक, हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्‍युलर ऐंड मॉलीक्‍यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के तत्‍कालीन निदेशक और अजगर के आधार पर भारतीय तरीके से डीएनए की खोज करने वाले पद्मश्री डॉक्‍टर लालजी सिंह के बीच शहर वाले मकान पर धावा बोलकर परिवार के पांच लोगों की भी निर्मम हत्‍या कर दी गयी थी। हालांकि बाद में इस घटना में शामिल बताते हुए सात लोगों को पुलिस ने मुठभेड में मार डाला था। लेकिन इसके बावजूद पुलिस के दावे पर किसी को यकीन नहीं आया था। और तो और, इसके कुछ ही दिन बाद एक बेहद मेधावी वैज्ञानिक की भी बीच शहर में घुस कर निर्मम हत्‍या कर दी गयी थी। खुलासा तो इस हत्‍या का भी नहीं हो सका। बाद में एक अन्‍य वैज्ञानिक डॉक्‍टर अजीत सिंह को गोलियों से छलनी कर मार डाला गया, जब वे जलालपुर से चक्‍के महाविद्यालय जा रहे थे।

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