: कानून से एक भी मुस्लिम नागरिक की नागरिकता नही जाने वाली, सेव सिटिजनशिप आंदोलन क्यों :
चंद्रभूषण पाण्डेय
लखनऊ : फिर अलगाव। पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी को १९ दिन बाद ज़मानत पर जेल से रिहा किया गया । उन पर नागरिकता संशोधन कानून के विरूद्ध परिवर्तन चौक लखनउ पर हुए हिंसक प्रदर्शन मे संलिप्तता का आरोप है ।
मै दारा पुरी को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ । राजनितिक विचारधारा के विँभिन्नता के वावजूद भी हम लोगो ने सामाजिक सरोकार के मामलों मे साथ साथ भाग लिया है । वह इमानदार है और वंचितो के लिए आवाज उठाते रहते है ।
कानून के विरोध मे उन्होंने हिंसा किया होगा यह मै नही मानता । और किसी कानून के विरोध के लिए उन्हें १९ दिन तक जेल ने रखने का कोई औचित्य नही है । इसके लिए पुलिस व न्यायतन्त्र दोनो दोषी है ।
लेकिन मेरी समझ मे नही आता कि दारापुरी जैसे पढ़े लिखे व समझदार व्यक्ति सी ए ए का विरोध क्यो कर रहे है ? यह कानून भारत के नागरिकों के सम्बन्ध मे नही है बल्कि जिनको नागरिकता देनी उनके लिए है । विरोध करने वालो का यह कहना कि नागरिकता देने के मामले मे मुसलमानों को छोड़ने भे धार्मिक आधार पर भेद भाव है जो संविधान का उलघंन करता है ।
दुनिया मे लगभग 4300 धर्म है जिनमें मुख्यरूप से २० धर्म है । सी ए ए मे केवल हिन्दू , सिख , ईसाई , बौद्ध , जैन ,पारसी को शामिल किया गया है । मुसलमानों को शामिल नही किया गया है । ऐसी दशा मे मुसलमानों को शामिल कर लेने के बाद भी क्या धार्मिक भेद भाव का मामला सुलझ जायेगा । क्या वाकी धर्म के साथ भेद भाव नही माना जायेगा ? अब इसके अलावा यदि यह संविधान विरोधी है तो सुप्रीम कोर्ट क्या चुप बैठा रहेगा ?
इस कानून के विरोध से देश मे एक बार फिर धार्मिक आधार पर अलगाववाद का माहौल बन रहा है जो ख़तरनाक है । इस कानून से एक भी मुस्लिम नागरिक की नागरिकता नही जाने वाली है फिर दारापुरी सेव सिटिजनसिप क्यो कह रहे है? विरोध करना है आने वाले एन आर सी की करनी चाहिए ताकि उसके बहाने किसी भी हिन्दू या मुसलमान को परेशान न किया जा सके।
चंद्रभूषण पाण्डेय वरिष्ठ न्यायाधिकारी रह चुके हैं, और इस समय लखनऊ हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं।