सामूहिक पाण्डाल में आठ दुल्हनें गर्भवती मिलीं, विवाह खारिज

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मप्र में फिर वर्जिनिटी व प्रेग्नेंसी टेस्ट का हौव्वा

: हरदा गांव में आयोजित सामूहिक विवाह में शामिल हुई थीं 90 दुल्हिनें : उनके कौमार्य और गर्भ-जांच से मामला तूल पकड़ा : चार साल पहले भी हो चुका है मप्र में ऐसे ही एक कांड :

भोपाल : मध्य प्रदेश के बैतूल में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह के दौरान कौमार्य एवं गर्भ परीक्षण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। कम से कम आठ दुल्हनों के गर्भवती पाए जाने के बाद उनकी शादी रोक दी गई। उन्हें दिए गए दहेज के सभी सामान वापस ले लिए गए। इस मामले को लेकर महिलाओं में काफी नाराजगी है। पता चला है कि बैतूल जिलाधिकारी राजेश प्रसाद मिश्रा ने इस सनसनीखेज मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत हरदा गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में भी ऐसे कांड उछले से मामला तूल पकड़ गया था। यहां के सामूहिक विवाह पांडाल में 90 आदिवासी महिलाएं दुल्हंन बनीं थीं और उनमें से कई के गर्भवती होने की खबर आने पर प्रेग्नेंसी और वर्जिनिटी टेस्टं शुरू कराये गये हैं। डीएम राजेश प्रसाद मिश्र ने कहा कि इस प्रकरण पर अस्सिटेंट कलेक्टर नेहा मालवीय जांच करेंगी और महज 7 दिनों में जांच रिपोर्ट देंगी। सूत्रों का कहना है कि वरजिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट सरकारी अधिकारियों के आदेश पर किए गए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजधानी से करीब 225 किमी दूर बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के हरदू गांव में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था। इसमें करीब 400 जोड़े मौजूद थे, जिनमें ज्यादातर आदिवासी थे। स्थानीय अधिकारियों द्वारा कुछ लड़कियों के गर्भवती होने के शक के बाद कई का गर्भ व कौमार्य परीक्षण कराया गया। इनमें से कम से कम आठ लड़कियों का टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद इनकी शादी का रजिस्ट्रेशन रद कर दिया गया और दहेज में दिया गया सारा सामान वापस ले लिया गया।

जिलाधिकारी राजेश मिश्रा ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि कुछ युवतियां गर्भवती पाई गई हैं, लेकिन उनका कहना है कि नियमत: इस तरह के टेस्ट का शासन की ओर से कोई दिशा-निर्देश नहीं है। इसके बावजूद जांच क्यों और किसके आदेश से किया गया इसकी जांच की जाएगी। सहायक जिलाधिकारी नेहा मालवीय को अगले कुछ दिनों में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। श्रमिक आदिवासी संगठन के अनुराग मोदी ने बताया कि युवतियों को न केवल गर्भ परीक्षण बल्कि कौमार्य परीक्षण के लिए मजबूर किया गया। इसकी वजह से उन्हें काफी अपमान सहना पड़ा है।

जिलाधिकारी राजेंद्र मिश्रा ने कहा कि कौमार्य व गर्भ परीक्षण की जानकारी उन्हें ग्रामीणों से मिली। वहीं, चिचोली के बीएमओ डॉ. एनके चौधरी का कहना है कि दो-तीन साल से ऐसी जांच कराई जा रही है। इसकी सूचना पहले ही पंचायत विभाग के कर्मचारियों को दे दी गई थी। ऐसी ही घटना चार साल पहले भी घटी थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने नियमों को और कड़ा कर दिया था और पंचायत व ब्लॉक अधिकारियों को सामूहिक विवाह के लिए आवेदनकर्ताओं की कड़ाई से जांच करने का आदेश दिया गया था।

इस पूरे प्रकरण पर मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने आदिवासी समुदाय से माफी मांगी है, जबकि विपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा है कि अधिकारियों ने परीक्षण के लिए युवतियों को अस्पताल तक ले जाना मुनासिब नहीं समझा। उनका परीक्षण सरकारी स्कूल स्थित समारोह स्थल पर ही किया गया। इससे पहले शहडोल में इसी योजना के तहत सामूहिक विवाह से पहले 151 युवतियों का कथित गर्भ परीक्षण कराया गया था जिसमें 14 लड़कियां गर्भवती पाई गई थी। तब भी कांग्रेस ने इसका सख्त विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया था।

मालूम हो कि पिछले कुछ वर्षो में मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ने काफी सुर्खियां बटोरी है। इस योजना के तहत गरीब परिवार की लड़कियों की शादी सरकारी खर्चे पर कराई जाती है और जोड़े को 15 हजार रुपये तक के उपहार दिए जाते हैं।

इस प्रकरण की दीगर खबरों को पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें:- मध्‍यप्रदेश में सामूहिक विवाह

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