मी-लॉर्ड खफा हैं हिंदी से, वकील पर लगाया जबरदस्त जुर्माना

मेरा कोना
: इलाहाबाद हाईकोर्ट के मी-लॉर्ड से हिन्‍दी में बहस करने पर आमादा है वकील की पुंगी बजी : खतरे में है देश की बिंदी, यानी माथे की बिंदी, जिसको कहते हैं हिंदी : खबरें है कि योर ऑनर नहीं चाहते थे कि कोई वकील उनके सामने हिंदी में संबोधित करें :

कुमार सौवीर
लखनऊ : हिंदी को दुलत्ती मारने का जो जोश पिछले 30 साल वर्षों से चल रहा था, वह आज सीधे हिंदी के मुंह पर किसी करारे तमाचे की तरह पहुंच गया। ताजा हमला है न्यायपालिका की ओर से, जिसने हिंदी में बातचीत करने जैसी घिनौनी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे दिया है। जज साहब साफ फैसला कर दिया है कि चाहे प्राण चले हैं, मगर हिंदी में बहस नहीं सुनेंगे। खबर है हिंदी में ही अपनी भैंस पालने की प्रवृत्ति का विरोध करने पर आमादा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज साहब ने उस वकील को औकात में खड़ा कर दिया। उस वकील पर इतना जबरदस्त जुर्माना लगा दिया कि उसकी कई पुश्‍तें ही नहीं, बल्कि सारी नानी ही याद आएंगी।
अब हम उस वकील के नाम, उसके काम, उसकी हुज्‍जत वगैरह की कोई भी पुष्टि आज नहीं कर पाएंगे। लेकिन इतना जरूर है कि उस हादसे केवकीलों ने के बड़े हिस्से ने जिस तरह इस फैसले का विरोध किया, वह सच है। हैरत की बात है कि उस वकील पर लगे को माफ करते हुए जज साहब ने जिस तरह जुर्माना की सजा को बड़ी सरलता और सहजता के साथ, और पूरे अपने लॉर्डशिप की कृपा के अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए माफ कर दिया। वह उनकी तेजाबी माफी का एक नायाब नजीर था।
कुछ भी हो, यह खबर बिल्कुल सच है। लेकिन इसकी प्रमाणिकता हम अब तब तक नहीं खुलेआम कह सकते हैं जब तक हमारे पास कोई पुख्ता प्रमाण न हो जाए। लेकिन जो भी यह खबर हमारे पास तक पहुंची है वह पूरी तरह पुख्ता है। लेकिन हम अपने सूत्रों की गोपनीयता का चूंकि पूरी तरह सम्मान करते हैं और अपने सूत्र के सम्मान को अपने प्राणों से ज्यादा सम्मान देते हुए उसके नाम, पता और हैसियत का खुलासा कभी भी नहीं कर सकते। यह हमारी पेशागत ही नहीं, बल्कि मेरी निजी जीवन की अनिवार्य शर्ते में से एक भी है। इसलिए हम आपको केवल खबर दे रहे हैं। उस खबर का आधार गोपनीय करते हुए यह खबर पेश की जा रही है आपके सामने इस शर्त पर भी, कि यदि कोई शख्‍स इस मामले पर मुझ पर कोई गंभीर मामला दायर करता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी हम अपने सिर माथे पर लेंगे। इसका ठीकरा अपने सूत्रों के सिर पर फोड़ेंगे। मेरा लिया सीधा सिद्धांत है कि हम प्राण दे सकते हैं लेकिन सूत्रों की गोपनीयता मेरे लिए प्राण से ज्यादा अनिवार्य और सर्वोच्च है।

हाईकोर्ट की दहलीज पर हिन्‍दी की हुई छीछीलेदर पर कुमार सौवीर के हस्‍तक्षेप को अगर आप देखना चाहें, तो कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
न्‍याय-परिसर में चिचिया पड़ी हिन्‍दी। धमकी जुर्माना की

तो पहले आप खबर सुन लीजिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज साहब ने एक वकील को इस बात पर डपट लिया कि वो हिंदी में क्यों बहस कर रहा है। जज का कहना था कि जब पेटीशन अंग्रेजी में दायर हुई है तो उसे बहस पर हिंदी मिलाने पर कोई जरूरत नहीं है। इस पर वकील ने जब दबाव दिया तो जज साहब हत्‍थे से उखड़ गये। उन्होंने कहा कि अगर हिंदी में बहस किया नहीं है तो वकील को दंडित कर देंगे। इसके लिए उन्होंने एक मोटी रकम जुर्माना के तौर पर उस वकील पर तो ठोंक दिया। हालांकि बाद में वकीलों के बड़े हिस्से ने उस पर ऐतराज किया और जज साहब ने मामले को एक अलग रंग देते हुए जुर्माने की रकम को बड़ी कृपा के साथ माफ कर दिया।
फिलहाल, हमारे पास केवल इतनी ही खबर है। इससे ज्यादा भी खबर है लेकिन वह चूंकी गोपनीय ही है। इसलिए हम उनका खुलासा नहीं करेंगे लेकिन हमें पूरा उम्मीद है कि हमारे जोश और हमारी मेहनत रंग लाएगी और कल देर शाम तक हम इस पूरे मामले का पूरा खुलासा कर देंगे।
और तब तक आइए हम साथ हिन्‍दी विरोधी हवाओं के खिलाफ लगातार जुटे ही रहें।
धरती माता की जय

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