: बस अड्डों पर न छिड़काव हुआ, न कर्मचारियों को मास्क, सेनेटाइजर या ग्लव्स : खुद पर मौत का साया, सुरक्षा का पैसा अफसरों की जेब में : कर्मचारियों में भय, प्रवासियों को कैसे पहुंचाएं उनके घर :
दोलत्ती संवाददाता
लखनऊ : हालात तो यही बताते हैं कि रोडवेज बसों को कोरोना-वाहन बनाने पर आमादा हैं रोडवेज के अफसर लोग। यही वजह है कि लॉक-डाउन के दौरान मुम्बई, दिल्ली, पंजाब, गुजरात आदि इलाकों से अपने घर-दुआर तक जाने वाले प्रवासियों को सरकार ने रेल-साधन तो मुहैया करा दिया, लेकिन रेलवे स्टेशन से उनके गांव तक पहुंचने की जिम्मेदारी संभाले यूपी रोडवेज में कर्मचारियों की जान सांसत में आ गयी है।
वजह यह कि इन रोडवेजकर्मियों को न तो मास्क दिया जा रहा है, और न ही ग्लव्स अथवा सेनेटराइजर। जो भी प्रवासी रेल से अपने गन्तव्य तक जाने के लिए रोडवेज की बसों से भेजा जा रहा है, उसमें तो साक्षात काल की तरह कोरोना का संक्रमण भी भेजा जा रहा है या नहीं, इसका कोई भी पुरसाने वाल नहीं बचा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीगर प्रदेशों से लाये जा रहे प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का जिम्मा यूपीएसआरटीसी को सौंपा दिया था। व्यवस्था के मुताबिक उन मजदूरों को रेल से उनके घर-गांव-दुआर तक पहुंचाने के लिए सैकड़ों रोडवेज की बसों को तैयार करने के निर्देश दिये गये थे। तैयारियों के लिए रोडवेज के एमडी राजशेखर ने ताबड़तोड़ आदेश पर आदेश जारी करना शुरू कर दिया था। आदेशों का क्रम अब तक निर्बाध जारी है।
लेकिन एमडी के एक भी निर्देश का कोई भी पालन रोडवेज में नहीं हो पा रहा है। यह देखिये वह आदेश जो राजशेखर ने जारी किया है।
लेकिन कर्मचारियों को गुस्सा इस बात पर है कि यह सारी कागजी कवायद केवल कागजों पर ही फल-फूल रही है। जमीन पर एक भी आदेश का पालन नहीं हो रहा है। किसी भी रोडवेज बस डिपो में न तो आदेश दिख रहा है, न निर्देश का पालन हो रहा है और न ही ऐसे आदेश-निर्देश का कोई अण्डा-बच्चा दिख रहा है, जहां कोई सम्भावनाएं दिखायी पड़ें। किसी भी बसअड्डे पर सेनेटाइजेशन नही हो रहा। यही हालत बसों की हालत है। यात्रियों में कौन संक्रमित है, उसका कोई भी जांच-पड़ताल नहीं। न ही बसों पर दवाओं का छिड़काव हो रहा है।
इतना ही नहीं, कर्मचारियों को सेनेटाइजर या ग्लव्स दिया जा रहा है और न ही उन्हें मास्क दिया जा रहा है। अफसर केवल फोटो खिंचवाने तक ही सीमित हैं। कागजों पर सेनेटाइज किया जा रहा है। जनता के लिए मिले सेनेटाइजर से अधिकारियों के घर दिन में तीन बार सेनेटाइजेशन हो रहा है। अधिकांशअधिकारी तो अपने घरों से बाहर तक नही निकल रहे हैं। जबकि बसों के चालक और परिचालकों को भोजन और विश्राम तो लगता है कि रोडवेज कर्मचारियों की ड्यूटी-शेड्यूल्ड से बाहर छीना जा चुका है। आइये, जरा इस बातचीत का ब्योरा देखिये, जो कर्मचारियों की यूनियन और कर्मचारियों के लिए बने एक वाट्सऐप में चिल्लपों चल रही है।
रोडवेज के अधिकारी खुदै करौना हैं
बगैर पईसा लिहे कौनो काम न करतेन कुल मिला
इनकी तुलना आप घाट पर रहने वाले डोम से कर सकते है जो मरने वालों का कफ़न तक ले लेता है
रोडवेज के अधिकारी खुदै करौना हैं बगैर पईसा लिहे कौनो काम न करतेन कुल मिला
इनकी तुलना आप घाट पर रहने वाले डोम से कर सकते है जो मरने वालों का कफ़न तक ले लेता है