संतरी ने किया कन्यादान एसपी ने दिया आशीर्वाद
माओवादियों और पुलिस के रिश्तों में बदल रही है फिजा
अभिभावक बनकर पुलिस ने कराई प्रेमी जोड़े की शादी
अगर आपको कुछ ऐसा निमंत्रणपत्र मिले तो कैसा लगेगा, जिसका मजमून कुछ यूं हो। स्वागताकांक्षी- हेम प्रकाश नायक (थाना प्रभारी, मानपुर) , संजय सिंह (थाना प्रभारी, मदनवाड़ा), भूनेश्वर सूर्यवंशी (थाना मानपुर), गिरीश धुर्वे (थाना प्रभारी मोहला), दर्शनाभिलाषी- समस्त थाना स्टाफ और नक्सल पीडि़त परिवार । बाराती और घराती साथ-साथ (सफेद पोशाक में दूल्हा)।
लेकिन यह सच है। मोहला-मानपुर की नक्सल इलाके में जाने से पहले दस बार सोचने वालों को प्रेरित करने वाली एक खबर है। आमतौर पर डंडे बरसाने के लिए ही खबरों में रहने वाली पुलिस ने वहां एक ऐसी शादी कराई, जिसमें सारे कड़क पुलिसिए हाथों में फूल-माला लेकर मीठी मुस्कान लिए अतिथियों के स्वागत को पलकें बिछाए खड़े थे। रविवार को मानपुर थाना परिसर में अनोखी शादी हुई। जोड़ा कभी नक्सली वर्दी पहना करता था जो आज खाकी वर्दी धारियों के आगे सात फेरे ले रहा था।
पारडी गांव का नरेश उसारे और सहपाल निवासी संतरी बाई पिछले एक साल से मानपुर पुलिस की शरण में हैं। उन्होंने आत्मसमर्पण के बाद आम जिंदगी बिताने की सोची और पुलिस को ही अपना अभिभावक मान लिया। दोनों ने विवाह करने का फैसला लेकर पहले मानपुर थाना प्रभारी एचपी नायक को ही अपनी मंशा बताई। नायक ने इसका जिक्र अपने साथियों से किया।
मानपुर इलाके में पुलिस के बैनर तले शादी कराए जाने से बेहतर बात वहां आबादी से दूर जंगलों की खाक छानते अधिकारियों और जवानों के क्या हो सकती थी कि पुलिस ने ही शादी के कार्ड छपवाए और लड़की वाले बन गए। इसलिए बारात स्वागत से लेकर गृहस्थी के सामान तक का पूरा इंतजाम पुलिसवालों ने ही मिलकर किया।गांववाले बाराती बनकर आए और घराती पुलिसियों की सेवा का मजा लिया। मानपुर थाना परिसर में बने शिव मंदिर में नरेश और संतरी ने दांपत्य जीवन की कसमें खाईं। बाजे-गाजे के साथ शादी की पूरी रस्में पूरी हुईं। पुलिस ने जिलेभर में शादी के कार्ड बांटे थे, इसलिए वहां जनप्रतिनिधियों के साथ आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में गणमान्य आए। रात को रिसेप्शन भी हुआ। मानपुर में करीब १०० से अधिक नक्सल पीडि़त ग्रामीण पुलिस की शरण में निवासरत हैं।