माओवादी ऐसे होते हैं, तो हमें माओवाद पर गर्व है

सैड सांग

: भाजपा नेता पूनम महाजन ने तो मुंबई पैदल मुंबई पहुंचे किसानों को माओवादी बताया : आपको तो शायद यह भी न पता हो कि साल में कितने किसान आत्महत्या कर लेते हैं : किसान जिन हालातों में किसानी कर रहे हैं और जितना श्रम कर रहे हैं हमें उनका ऋणी होना चाहिए :

प्रभात त्रिपाठी

लखनऊ : भाजपा नेता पूनम महाजन ने तो मुंबई पैदल मुंबई पहुंचे किसानों को माओवादी बताया, शहरी माओवादी। सत्ता का नशा लोगों का दिमाग खराब कर देता है, मगर आप उनके बारे में क्या सोच रहे हैं।

किसान की फसल कम हो तो वो लागत नहीं निकाल पाता है, बम्पर फसल हो जाए तो बेच ही नहीं पाता है या कौड़ियों के मोल बेच कर नुकसान उठाता है। जब हर तरफ से निराश हो जाता है और कोई राह नहीं सूझती तो आत्महत्या कर लेता है। आपको तो शायद यह भी न पता हो कि साल में कितने किसान आत्महत्या कर लेते हैं। जो कुपोषण का शिकार बन, बीमारी का शिकार बन मारे जाते हैं उनके बारे में तो कहीं कोई बात भी नहीं सुनाई देती है। जब वो किसान इस उम्मीद में कि शायद राजधानी पहुंचने पर राजधानी में डेरा डाले रहने वाले हाकिम उसके कष्टों की ओर ध्यान दें, कुछ करें, राजधानी की ओर निकल पड़ता है।

लेकिन वहां वो पाता है कि कोई सुनने समझने वाला ही नहीं है। जिम्मेदार लोग तो उसे कभी किसान मानने से ही इंकार कर देते हैं, कभी उपद्रवी बताते हैं, कभी राजनीति से प्रेरित विरोधी बताते हैं और जब ऐसा कुछ नहीं करते तो माओवादी, नक्सली कुछ भी कह कर निकल लेते हैं।

आज किसानों को उपज का मूल्य लागत और श्रम के अनुपात में न मिल पाना आपको अपने लिए लाभप्रद लग रहा होगा मगर जब ये छोटे किसान खेती छोड़ देंगे और कार्पोरेट खेती होगी तो लागत, श्रम, मुनाफा सब जुड़ने के बाद खाने के खर्चे ही आपकी कमर तोड़ देंगे।

किसान जिन हालातों में किसानी कर रहे हैं और जितना श्रम कर रहे हैं हमें उनका ऋणी होना चाहिए और उनके पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। हो सकता है आज जन दबाव में सरकारें आश्वासन देकर उन्हें विदा कर दें, मगर एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक के नाते हम सब को किसानों से जुड़े मुद्दों पर सरकार द्वारा उठाए कदमों पर सवाल करते रहना चाहिए।

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