जो आम भगवा नहीं बन पाता, हम उसकी चटनी बना देते हैं

मेरा कोना

: पहले मोदी को पानी पीकर गालियां दिया करते थे मुसलमान, अब रचनात्‍मक शैली अपना ली : न जाफरी, न अहमदाबाद, योगी के बाद शालीनता का कमाल महौल : गजब व्‍यंग्‍य, हास्‍य, पीड़ा, दुख और आनंद के साथ कष्‍ट वाला बेमिसाल चटखारा लेने लगे हैं मुसलमान :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सन-14 से मुसलमानों और सेकुलरों ने पानी पी-पी कर मोदी और भाजपा को जाफरी, अहमदाबाद, गुजरात वगैरह मसलों पर गालियां देना शुरू कर दिया था।

लेकिन योगी के आगमन से ही फिजां ही बदल गयी। अब गालियां नहीं, रचनात्‍मक विमर्श उठने लगे गालियां नहीं, खूबसूरत व्‍यंग्‍य रचने लगे हैं। खासकर मुसलमान खेमे से। सेकुलर तो अपनी खोपडि़यां अपने ही घुटनों में छिपा कर स्ट्रिच-बिहैवियर अपनाने लगे हैं। कई ने तो 11 मार्च के विप्‍लव के फौरन बाद अपनी सारी महीनों-बरसों में दर्ज फेसबुक वाल पर झाड़ू  मार दिया।

इतना ही नहीं, एक ने तो अमित शाह की बेहिसाब तारीफ करते हुए यहां तक लिख मारा कि ऐसी ऐतिहासिक जीत हासिल करने का कारण बनी रणनीतियां अब शोध-छात्रों के लिए गम्‍भीर विषय बन सकती हैं।

लेकिन यह सब तो खैर छिछोरापन ही कहा जाएगा, मगर मुसलमानों की सकारात्‍मक रचनाशीलता काबिल-ए-तारीफ रही।

मेरे एक मित्र मोहम्‍मद असलम खान ने लिखा है, इसमें दुख, कष्‍ट, पीड़ा, व्‍यंग्‍य, आनन्‍द और गजब रचनाशीलता है:-

फलों का राजा होता है आम।

आम हरा होता है।

लेकिन उसकी पूर्णता भगवा रंग में बदल जाना ही होती है, उसके बाद ही वह मीठा, सुगन्धित और स्‍वादिष्‍ट बन पाता है।

लेकिन जो आम भगवा रंगा नहीं अपना पाता है, हम उसे चटनी बना डालते हैं।

तो बोलो:- भारत माता की जय

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