महंगाई भत्‍ता बढ़ा था 2 फीसदी, हिन्‍दुस्‍तान ने छापा 4 फीसदी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: सम्‍पादक जी ! खबरों को विचित्र-यंत्र की सान पर मत चढ़ाओ : मदक खींचने का स्‍थान किसी कोने-कुतरे में होता है, सम्‍पादकीय डेस्‍क को मत गंदा करो : हिन्‍दुस्‍तान ने तो अपने विचित्र-यंत्र पर महंगाई भत्‍ते को भी दो गुना बड़ा, करारा और सख्‍त बना डाला :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बिड़ला जी के कभी महान रह चुके अखबार के ताजा-तरीन सम्‍पादक जी। क्‍या आपको इस बात का अहसास है कि आपकी पहचान का आधार उस विश्‍वास की खेती ही है, जिस पर आम आदमी आंख मूंद कर यकीन कर लेता है। आप पर इतना भरोसा रखती है आम जनता, कि आपकी कलम से निकला हर एक भी शब्‍द ब्रह्म-वाक्‍य के तौर पर पूजना शुरू कर देती है। राजनीति की तेज आंधी-अंधड़ में धुंधली सी दिखायी पड़ते भविष्‍य को वह पूरी तरह से देखने-समझने के लिए सिर्फ आपकी नजर पर ही निर्भर होती है।

लेकिन आप आजकल लगातार इसी यकीन को तोड़ने पर आमादा दिख रहे हैं आप सम्‍पादक जी।

गौर कीजिए तो आपको पता चलेगा कि पिछले दिनों आपने प्रदेश के करीब 22 लाख सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के विश्‍वास को ठोकर मार दी है। यह असह्य और पीड़ाजनक दृष्‍टांत है महोदय। आपको शायद एहसास तक नहीं है कि आपकी कलम से जो शब्‍द निकले हैं, उन्‍होंने आम कर्मचारियों के भरोसे को तहस-नहस कर दिया है।

मामला है महंगाई भत्‍ते का। प्रदेश के इन सभी 22 लाख कर्मचारियों को महंगाई भत्‍ते के तौर पर दो फीसदी की बढ़ोत्‍तरी का आदेश प्रदेश सरकार ने किया है। इस फैसले को आम आदमी तक पहुंचाने का जिम्‍मा सम्‍भाले अखबारों और चैनलों समेत अन्‍य सभी समाचार संस्‍थानों ने खूब छापा। सब ने पहले पन्‍ने पर मोटे-मोटे हरफों में छापा कि सरकारियों को दो फीसदी की रकम महंगाई भत्‍ते के तौर पर अतिरिक्‍त तौर पर दी जाएगी।

लेकिन हिन्‍दुस्‍तान अखबार ने इस खबर को चार फीसदी के तौर पर प्रकाशित किया है। जाहिर है कि इस खबर से कर्मचारियों में भारी भ्रम की हालत उत्‍पन्‍न हो गयी है। आपको बता दें कि सरकार ने हाल ही जनवरी में कर्मचारियों को 2 फीसदी का महंगाई भत्‍ता देने का फैसला किया था, और उसके बाद अब अचानक फिर छह महीने बाद दोबारा 2 फीसदी की बढ़ोत्‍तरी कर दी गयी।

मगर अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि हिन्‍दुस्‍तान ने यह खबर 4 फीसदी के तौर पर किस आधार पर प्रकाशित की है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह खबर विशेष संवाददाता ने छापी है। लेकिन एक बार भी इस अखबार ने इस बारे में स्‍पष्‍टीकरण जारी करने की जरूरत नहीं समझी। एक कर्मचारी ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि मदक-गांजा खींचने का स्‍थान किसी अंधेरे गली के किसी कोने-कुतरे में होता है, लेकिन इस अखबार ने तो सम्‍पादकीय डेस्‍क को ही गंदा कर दिया।

एक अन्‍य कर्मचारी नेता ने कटाक्ष किया कि इस अखबार ने तो अपने विचित्र-यंत्र पर महंगाई भत्‍ते को भी दो गुना बड़ा, करारा और सख्‍त बना डाला है। कहने की जरूरत नहीं कि यह अखबार अपने यहां छपने वाली खबरों से नहीं, बल्कि अपने पन्‍नों पर विभिन्‍न लिंग-वर्द्धक यंत्रों के दर्जन भर विभिन्‍न विज्ञापनों से ही चर्चित है, जिसमें लिंग की लम्‍बाई और चौड़ाई बढ़ाने का दावा किया जाता है।

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