: आइये, कृषि विश्वविद्यालय के हेड रहे प्रो इंद्रसेन सिंह और करनाल संस्थान के निदेशक से भेंट कीजिए : केवल यूनिवर्सिटी में हरियाली ही नहीं, बल्कि इंद्रसेन ने फल के रसों को कोल्डड्रिंक की जगह बनायी : जीपी सिंह ने गेहूं की 25 से ज्यादा प्रजातियां विकसित की हैं :
डॉ शिव प्रताप सिंह
फैजाबाद : आइये, हम आपको देश-दुनिया में कृषि शिक्षा और शोध की दो महान विभूतियों से। जिन्दादिली और मस्ती में भी, और कार्यस्थल की गम्भीर प्रवृत्ति, शोध और अनुसंधान में भी। सच बात तो यही है कि यही जैसे लोगों ने भी आम आदमी को भोजन, स्वास्थ्य और सम्मान दिलाने की जमीनी कोशिश की है। प्रथम तो हम जैसे न जाने कितनों के शिक्षक पूर्व प्रोफसर और विभागाध्यक्ष , डा इंद्रा सेन सिंह सर। आज जो हरियाली हम कैम्पस में देख रहे हैं उसमें आपका महत्वपूर्ण योगदन है। पूर्वांचल में फल के जूस को कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में लाने में आपका महत्वपूर्ण योगदन है।
फल सरंक्षण और फलों के विभिन्न उत्पाद की विधा वाली इनकी पुस्तक लगभग वि वि के लगभग सारे घरों में विद्यमान होगी।जिससे च्यवनप्राश, कैंडी,फ्रूट जूश,आदि बनाया जाता है। एकमा फार्म को ऊसर से अमरुद और अन्य फलों के बाग़ में तब्दील आपके कर-कमलों से ही हुआ है। उन दिनों आप द्वारा तैयार फ्रुटिका जूस की शादियों में बहुत डिमांड हुआ करती थी।
दूसरे डा जी पी सिंह हैं, जो वर्तमान में भारतीय गेहुँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के निदेशक हैं। इन्होंने गेहूं की 25 से भी अधिक प्रजातियों को विकसित करने में अपना योगदान दिया है। एच डी 2967 आप की ही प्रजाति है जिसकी बहुत डिमांड है। यद्यपि ये सीएसए से पढ़े हैं पर कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किये हैं।
( लेखक डॉक्टर शिवप्रताप सिंह आचार्य नरेंद्रदेव कुमारगंज कृषि विश्वविद्यालय में असोसियेट प्रोफेसर हैं। )