: अवध बार एसोसियेशन बोले तो वकीलों का एलीट-क्लास, और एलीट बोले तो बिलकुल रप्चिक आइटम : बार और बेंच एक ही स्वर्ण-रथ का पहिया होते हैं। धुरी ही टूट जाएगी, तो क्या बचेगा : एलपी मिश्र बिलकुल रसगुल्ला हैं, तो कभी गुड़-बतासा। कभी तीखी मिर्च भी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : हमारी न्यायिक व्यवस्था में जो पुजारी है, वह सर्वाधिक बेहाल है। क्योंकि वह अरदास करने और अरदास सुनने वालों का माध्यम होने के बावजूद सबसे ज्यादा प्रताडि़त है। यह प्रताड़ना आर्थिक हो तो भी सहन हो जाता है, लेकिन जब बात सम्मान और अधिकारों को लेकर होती है, तो भगवान के प्रति आक्रोश भड़क जाता है, मगर भुगतना पड़ता है वादी को। और कहने की जरूरत नहीं है कि आक्रोश की कोई भी सीमा नहीं होती है। समय, काल, परिस्थितियों में आक्रोश अलग-अलग तरीके से व्यक्त होता है। ऐसी हालत में देवताओं का यह दायित्व है कि वे सबसे पहले तो अपने निजी देवत्व को समझ कर उसकी सुरक्षा करें, ताकि आम वादी-भक्त निराश न हो जाए। और यह दोनों हालत जब दुरूस्त हो जाएगा, तो अपने आप ही सारे पुजारी अपने-अपने कर्मकाण्डों का निष्पादन-सम्पादन करना शुरू कर देंगे।
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एलपी मिश्र, यानी लालता प्रसाद मिश्र। उप्र इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के संगठन यानी अवध बार एसोसियेशन के अध्यक्ष हैं। अवध बार एसोसियेशन का मतलब होता है वकीलों का एलीट-क्लास। एलीट-क्लास बोले, तो बिलकुल रप्चिक आइटम। यानी अदरक-इलाइची डाल कर बनायी गयी मस्त चाय, मलाई मार के। इसी मक्खनी संघ के ताजा-ताजा ही अध्यक्ष बने एलपी मिश्र का नाम खांटी वकालत के बहुआयामी कानूनची के तौर पर है। वे जीतने के लिए वकील बने हैं, और इसके लिए हर जुगत भिड़ाने में माहिर खिलाड़ी भी माने जाते हैं। समय, काल, परिस्थितियों के हिसाब से ही वे कभी रसगुल्ला बन जाते हैं, कभी गुड़-बतासा, तो कभी नमकीन से भी ज्यादा बढ़ कर तीखी मिर्च में भी तब्दील हो जाते हैं, कि चखने वाला सातों जन्म तक बिलबिलाता रहता है। आग इत्ती तेज, कि फायर-ब्रिगेड फेल हो जाए।
प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के संवाददाता ने विगत दिनों एलपी मिश्र से लम्बी बातचीत की। शुरूआत तो न्यायाधीश और वकीलों पर ही हुई। मुद्दा आया बार और बेंच के बीच उठने वाले विवादों पर। एलपी मिश्र बोले:- इसका कोई औचित्य ही नहीं, है कि दुखद बात यह है कि यह होता है, और खूब होता है। बार और बेंच को साफ तौर पर समझ लेना चाहिए कि बार और बेंच एक ही स्वर्ण-रथ का पहिया होते हैं। धुरी ही टूट जाएगी, तो क्या बचेगा। दोनों ही पक्षों को चाहिए कि वे शुचिता का ध्यान रखें।
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लखनऊ हाईकोर्ट के बड़े वकील और अवध बार एसोसियेशन के नये-नवेले अध्यक्ष हैं एलपी मिश्र। विगत दिनों प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरीबिटिया डॉट कॉम के संवाददाता ने एलपी मिश्र से काफी लम्बी बातचीत की। यह इंटरव्यू दो टुकड़ों में है। इसके अगले अंक को पढ़ने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
1 thought on “एलपी मिश्र की नजर में जज देवता और वकील पुजारी। पुजारी को आहत मत करो”