लोया की मौत पर सुनवाई, पचा गये मीडिया वाले

सैड सांग

: संदेह पैदा करती हैं लोया की मौत के इर्द-गिर्द की परिस्थितियां : दो न्यायाधीशों ने कैसे और किसकी अनुमति से इंडियन एक्सप्रेस को साक्षात्कार दिया : वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जस्टिस डेरे से जानबूझकर मामला छीना गया :

गिरीश मालवीय

नई दिल्‍ली : 4 मार्च को जज लोया केस की सुनवाई थी लेकिन मुख्य मीडिया पर कोइ खबर नही आती मीडिया चाहता है कि कोई इस बारे में बात न करे

वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने न्यायाधीश लोया की मौत के संबंध में उस समय की घटनाओं को सिलसिलेवार पेश करते हुए न्यायालय को बताया कि लोया की मौत के इर्द-गिर्द की परिस्थितियां संदेह पैदा करती हैं

दवे बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए थे। उन्होंने शक जाहिर करते हुए कहा कि क्या न्यायाधीश लोया के परिवार ने अपनी इच्छा से यह कहा है कि वे अब उनकी मौत की कोई जांच नहीं करवाना चाहते हैं? उन्होंने न्यायाधीश लोया के परिवार को ओर से दिए साक्षात्कारों की एक श्रंखलाओं का जिक्र किया और हृदयाघात के कारण उनकी मौत होने की बात कहे जाने पर सवाल उठाया।

उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति लोया के बेटे को अपने कक्ष में क्यों बुलाया और उसके बाद एक बयान जारी किया गया। यह संदेह उत्पन्न करता है। इसके अलावा दो न्यायाधीशों ने कैसे और किसकी अनुमति से इंडियन एक्सप्रेस को साक्षात्कार दिया? यह सब देश के सर्वाधिक रसूखदार व्यक्ति को बचाने के लिए प्रायोजित तरीके से किया गया।

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लर्नेड वकील साहब

सोहराबुद्दीन शेख मामले में आरोप मुक्त किए गए पुलिस अफसरों के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रही बंबई हाईकोर्ट की जज जस्टिस रेवती मोहिते डेरे से मामला छीनने पर सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई. वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जस्टिस डेरे से जानबूझकर मामला छीना गया है. समूचा तंत्र एकतरफा कार्रवाई कर रहा है.

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बेंच बदलना रूटीन काम है. अन्य हाई कोर्टों में जिस जज ने मामला सुना है, वही आगे सुनता है लेकिन बंबई हाईकोर्ट में यह प्रैक्टिस नहीं है.

सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ कांड की सुनवाई करने वाले जज बीएच लोया की मौत की जांच के लिए दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण को भी अपना पक्ष रखने की अनुमति प्रदान कर दी है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अजय खानविलकर और धनंजय चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष सेंटर फोर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन(सीपीआईएल) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने अर्जी दायर की. अर्जी में कहा गया है कि सीपीआईएल ने एम्स के जानेमाने फोरेंसिक विशेषज्ञ डा. आरके शर्मा और कार्डियोलोजी के डा. उपेन्द्र कौल की राय ली है.

दोनों प्रमुख डाक्टरों की राय ईसीजी रिपोर्ट पर आधारित है.

Joy Krishna Das ने इस रिपोर्ट की मुख्य बाते यहाँ फ़ेसबुक पर शेयर की है

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जस्टिस और न्‍यायपालिका

CPIL के मुताबिक़ उन्होंने जस्टिस लोया की ECG report and histopathogy रिपोर्ट भारत के सबसे नामी कार्डियोलॉजिस्ट Dr. Upendra Kaul, former professor of cardiology at AIIMS and Padmashiri awardee., को भेज उनसे पूछा —

1- Could this person have suffered a serious heart attack, one-two hours before this ECG is taken?

2- Is the histopathology report of his coronary arteries and heart muscle consistent with his death being due to acute myocardial infraction or coronary thrombosis?

3- Whether a person who has died due to myocardial infraction could show significant congestion of the dura, liver, spleen, kidney, larynx, trachoa and Bronchi, lungs?

4- Is it possible for this congestion of all his organs as mentioned in the post mortem report, to have taken place because of CPR administered at the time of his death?

इन सवालों के जबाब में डॉक्टर कौल का कहना था –

Dr. Kaul answered the first question in the negative, stating that “the ECG has no evidence of a recent myocardial infarction”. The answers to the other two questions also negative .

if Judge Loya had died due to a heart attack, some part of the heart muscle would have died, which is not the case here.

डॉक्टर कौल के सिवा एक दुसरे डॉक्टर Dr R. K. Sharma, former head of the Forensic Medicine and Toxicology Department at AIIMS, and the President of the Indian Association of Medico-Legal

Experts ने भी अपनी opinion में जस्टिस लोया की हार्ट अटैक से मौत की वजह को सिरे से खारिज किया है

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