सेवा आयोग: सीबीआई लाने वाले युवाओं के सपने भस्‍म

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: जिसने सच खोला, उसे पांच हजारी अपराधी बनाया पुलिस ने : लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच मूल रूप से 2019 आम चुनाव पर निर्भर करेगी : जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक कई छात्र ओवरएज हो जाएंगे और इनका अमूल्य समय बर्बाद होता रहेगा :

अशोक पांडेय

इलाहाबाद : ( गतांक से आगे ) डॉ अनिल यादव के कार्यकाल का सभी परिणाम विवादित रहा। तीन हजार  से अधिक मुकदमे आयोग के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चलें चले। जरा सोचिए! क्या प्रतियोगी छात्र मुकदमा लड़ने आता है?

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के इतिहास में 29 मार्च 2015 पीसीएस 2015 प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक होता है । छात्रों के उग्र आंदोलन के बाद प्रथम पाली का परीक्षा निरस्त किया गया और छात्रों के साथ गंदा मजाक किया गया।यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता है। समीक्षा अधिकारी 2016 का पेपर भी लीक होता है जिसका जांच आज भी लंबित है और अभ्यर्थियों के अमूल्य समय को बर्बाद किया जा रहा है।यह सब एक सुनियोजित तरीके से होता रहा और भ्रष्टाचार का सिलसिला बढ़ता गया। हमारे नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहा सरकारें चुप थी और नौजवान परेशान था।

लोकतंत्र को यदि हम उत्तर प्रदेश के परिपेक्ष में देखें,तो यहां लोकतंत्र में लोक खत्म हो गया था। और तंत्र ही बचा था।इसका तत्कालीन उदाहरण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध में उतरे लाखों प्रतियोगी छात्रों पर 48 बार लाठीचार्ज 7 बार फायरिंग वाटर कैनन,आंसू गैस के गोले छोड़े गए । प्रतियोगी छात्रों को जेल भेजा गया बात यहीं नहीं खत्म होती है। कई बार तो  छात्रों पर संगीन धाराएं लगाई गई। जैसे 7A /CLA गुंडा एक्ट। यहां तक कि कुछ छात्रों को 5000 का इनामी अपराधी तक घोषित कर दिया गया था। इस बात से उस समय में लोकतंत्र का अनुमान लगाया जा सकता है । लोक सेवा आयोग के भ्रष्टाचार को करीब से समझने और लिखने वाले इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश मिश्रा कहते हैं, आयोग में त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था जब लागू हुआ तो छात्रों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया बाद में आयोग ने इसे बदला तो भ्रष्टाचार खुलकर सामने आया।

उस समय  इलाहाबाद के SP सिटी रहे शैलेश यादव ने आंदोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया लेकिन असफल रहे।  आयोग पर लगातार लिखने वाले इलाहाबाद के वरिष्ठ संवाददाता विकास गुप्ता जी कहते हैं कि अनिल यादव की नियुक्ति ही गलत तरीके से हुई थी। जब एक  डिग्री कॉलेज का प्रधानाचार्य को लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष  चुना गया तो  लोगों को सोचना चाहिए । वहीं जब डॉ अनिल यादव भर्तियों में खुलकर भ्रष्टाचार करने लगे तो लोगों की नींद टूटी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। आगे विकास गुप्ता जी ने सीबीआई के परिपेक्ष में कहा कि यदि आम चुनाव के बाद भी सीबीआई ऐसे काम करती रही तो बेहतर परिणाम की उम्मीद है ।

आयोग के खिलाफ लड़ने वाले प्रतियोगियों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले देश के कई अफसर, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता भी शामिल थे। उनमें से एक आईजी अमिताभ ठाकुर कहते हैं कि अनिल यादव के कार्यकाल में  भ्रष्टाचार हुआ था। लेकिन अब सीबीआई की जांच शुरू होने से एक बेहतर परिणाम की उम्मीद है। वहीं छात्रों के मार्गदर्शक के रुप में कार्य करने वाले पूर्व मंडलायुक्त बादल चटर्जी जो रोड से लेकर कोर्ट तक छात्रों के हित लिए लड़ते रहे। वह कहते हैं कि जो लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य बनाये जाते उनको ईमानदार कर्मठ और जातिवाद से ऊपर उठा होना चाहिए। किसी विद्वान को ही लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए जिसके अंदर दृढ़ इच्छाशक्ति और सुशासन स्थापित करने क्षमता हो।

खैर निजाम बदला सरकार बदली और नौजवानों को उम्मीद की किरण दिखाई दी नई सरकार से। चुनाव के समय भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने वादा किया था कि लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच जरूर होगी अगर सरकार बनेगी तो अंत में बीजेपी सरकार प्रचंड बहुमत से उत्तर प्रदेश में आई।सरकार ने अपने वादे को पूरा करते हुए 31 जुलाई 2017 को लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच की सिफारिश केंद्र सरकार से की और केंद्र सरकार ने 24 नवंबर 2017 को इसे स्वीकृति प्रदान कर दिया। यह जांच 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक की भर्तियों के लिए किया गया है। सीबीआई ने 5 मई 2018 को पहला FIR दर्ज कराया यह कहते हुए कि हमारे पास व्यापक रूप से गड़बड़ियों के साक्ष्य हैं। इसमे सरकारी व गैर सरकारी व्यक्तियों की संलिप्तता पाई गयी है। सूत्रों की माने तो सीबीआई जांच टीम ने 600 से अधिक परीक्षाओं के परिणाम की प्राथमिकता तय की है। प्रमुखता से पीसीएस 2015 समीक्षा 2014 लोअर पीसीएस  2013 तथा पीसीएस 2011 में अधिक अनियमितता दिखाई दे रहा है। लोक सेवा आयोग की  व्यापक छानबीन कर सभी जरूरी दस्तावेजों को सीज कर दिया गया है। जल्द ही गिरफ्तारी भी की जा सकती है।

यदि वर्तमान स्थिति को देखें तो निसंदेह छात्रों में उत्साह दिखाई दे रहा है। लेकिन साथ में निराशा भी है क्योंकि नौजवानों का अमूल्य समय जो बर्बाद हो रहा है। पहले तो प्रतियोगी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गए।और अब जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक कई छात्र ओवरएज हो जाएंगे और इनका अमूल्य समय बर्बाद होता रहेगा। यह सोचनीय विषय है ?जानकारों का मानना है कि अगर सीबीआई जांच सत्ता के दबाव से हटकर हुआ तो तत्कालीन सरकार तक जाएगी। लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच मूल रूप से 2019 आम चुनाव पर निर्भर करेगी । परिणाम क्या होगा ?

इस प्रकार यदि हम उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में देखें तो विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है। वस्तुतः स्वतंत्रता के इन वर्षों में लोगों में जो चेतना जागृत हुई है उसका भी राजनेताओं ने गलत लाभ उठाया है।अतः नौजवानों की चेतना संकीर्ण चेतना बनकर  क्षेत्रवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी समस्याओं के रूप में देखने को मिलती है ।इस तरह हम संक्षेप में भारतीय समाज के परिदृश्य ओर दृष्टि डालें तो संविधान के आदर्शों जैसे स्वतंत्रता, समानता, भ्रातृत्व, सामाजिक न्याय, पंथनिरपेक्षता और कानून के शासन से काफी दूर दिखता है ।यही नहीं नक्सलवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और जातिवाद की शक्तियां नकारात्मक रूप में उभरी है। जो भारत में एकता और अखंडता के प्रयासों को निरंतर कमजोर कर रही हैं ।

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