: पूरे इलाके में चिपके हुए हैं भाजपा सांसद कमलेश पासवान की गुमशुदगी वाले पोस्टर : बाढ़-पीडि़त लोगों की आंखें पथरा गयीं सांसद की प्रतीक्षा में : पिछली बार तब दिखे थे सांसद, जब बड़हलगंज में ढोंगी मुर्दहा-बाबा के साथ राजनीतिक हंगामा करने आये थे :
मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता
बांसगांव : “साथियों, इन शब्दों को समझिये! लापता, कुर्सी और किरदार। तीनों शब्द कितने सटीक बैठते है आज के राष्ट्रवादी पार्टी पर! गजबे मानसिकता से पोषित रहते हैं ये लोग, थोड़ा विस्तार से समझिये इन्हें। जैसे ही आप इन शब्दों का मर्म और उनका अर्थ समझ लेंगे, तब ही समझ पायेंगे कि आखिर क्या वजह है कि हमारे सांसद की गुमशुदगी का माजरा क्या है। खास तौर पर तब, जबकि यह पूरा क्षेत्र बाढ़ से त्राहि-माम् त्राहि-माम् कर रहा हो।
जी हां, इस तरह के सवाल पूरे बॉसगांव में उछल रहे हैं। लोग बेहाल हैं, लेकिन सांसद का कोई अता-पता तक नहीं चल पा रहा है। हालत की विभीषिका का अंदाज आप केवल इसी तथ्य से लगाया जा सकते हैं कि क्षेत्र के आहत-व्यथित नागरिकों ने स्थानीय सांसद की गुमशुदगी का एक पोस्टर तक बाकायद छपवा कर चपका दिया है। ऐसे हजारों पोस्टर क्षेत्र में जहां-तहां चिपके दिख जाएंगे, जहां लापता सांसद को खोजने वाले को ईनाम तक दिये जाने की बात की जा रही है। आपको बता दें कि भाजपा के सांसद हैं कमलेश पासवान।
एक स्थानीय ग्राम प्रधान ने बताया कि पिछले दो दिन अचानक इन सांसद जी ने क्षेत्र में अपना दर्शन दिया, तो जनता ने अपना अहोभाग समझ कर उनका स्वागत-वंदन किया। लेकिन उनके आने के चंद मिनट बाद ही जनता को पता चल गया कि सांसद जी इस क्षेत्र में त्रासदी जैसी बाढ़ की समस्याओं से बेहाल लोगों की मदद अथवा उनकी कुशल-क्षेम पूछने के लिए नहीं, बल्कि अपने लटक माने जाने वाले ढोंगी मुर्दहा-बाबा के साथ यहां के बड़हलगंज में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में विघ्न-वर्षा करने आये थे।
स्थानीय नागरिक कुणाल तथा गौरव दुबे बताते हैं कि क्षेत्र अभी कुछ महीने पहले बाढ़ से प्रभावित था, लोग बाढ़ की विभीषिका से पीड़ित थे। जनता का सेवक इस विषम परिस्थिति में गायब था, जनता हैरान और परेशान थी। तब जनता ने अपने सेवक की लापता होने की सुचना समाचारपत्रो सहित क्षेत्र में पोस्टर लगा कर दी। और सुचना देने वाले को बकायदा नगद पुरस्कार से सम्मानित करने की बात भी कही,लेकिन जनता के सेवक कहीँ दिखें नही और जब दिखे तो कुर्सी के लिए! क्योंकि इनके लिए कुर्सी ही देश है और कुर्सी ही क्षेत्र।अब इस कुर्सी को भी समझिये!कुर्सी के कारण उदार,कुर्सी के कारण संकीर्ण,कुर्सी के लिए जब जिसकी जैसी जरूरत हो।घृणा कुर्सी के कारण,प्यार कुर्सी के कारण,जब जैसी कुर्सी की मजबूरी हो।कुर्सी के अनुरूप दिमाग बनाओं,कुर्सी के अनुरूप सिद्धांत बदलो।कुर्सी के लिए प्रजातंत्र की दुहाई दो,कुर्सी के लिए प्रजातंत्र का गला घोंटो।कुर्सी के लिए राष्ट्रीयता और कुर्सी के लिए क्षेत्रीयता।कुर्सी के लिए समाजवाद,कुर्सी के लिए फासीवाद।
अब किरदार पर आइये!गिरगिट के रंग की तरह किरदार भी होते है।किरदार की भक्ति कुर्सी से है क्योंकि कुर्सी के चलते ही विलासितापूर्ण जीवन है।ऐसे लोगों को देख कर कोई अशिक्षित व्यक्ति भी नही कहेगा कि ये जनता के सेवक है।इनके जैसे लोगों के लिए राजनीति सेवा का माध्यम नही व्यवसाय का माध्यम होता है।ये अपने वातानुकूलित कमरों और गाड़ियों से निकलना पसन्द नही करते क्योंकि इनकी इसी कुर्सी ने इनके किरदार को पूरी तरह से एक मझे हुए व्यापारी में बदल दिया है,जो हर वक़्त सिर्फ अपने नफे,नुकसान के बारे में सोचने पर मजबूर रहता है।