: ऐसे शिक्षकों को कैसे सम्मान दे सकती है यह लड़की, जो मुझे केवल सेक्स-सिम्बल ही मानते हैं : छात्रा में बौद्धिक वैभव तराशें, उसकी देह-यष्टि में त्रिकोणमिति, कैलकुलस, ज्यामिति या ज्यामिति के कोण नहीं : गुरु और शिष्या के बीच होता है पिता-पुत्री वाले विश्वास का रिश्ता :
शिवानी कुलश्रेष्ठ
फिरोजाबाद : मेरा एक प्रश्न हैं कि मैथ के टीचर लड़कियों के सीने की तरफ क्यो देखते हैं? यह मेरा निजी अनुभव हैं। मैं गणित के कई अध्यापकों से पढ़ी। जो मेरे सीने में पता नही क्या तलाशते थे? अपने ऐसे गणित के शिक्षकों के बारे में मैं केवल इतना ही कहना चाहती हूं कि वे किसी भी छात्रा में बौद्धिक वैभव तराशें, उसकी देह-यष्टि में त्रिकोणमिति, कैलकुलस, ज्यामिति या ज्यामिति के कोण नहीं।
जब मैं टीन एजर थी तो इन बातों को लेकर बहुत डिप्रेस रहती थीं क्योंकि मुझे कानून की जानकारी नही थीं। मुझे लगता था कि स्त्री के साथ बदतमीजी करना पुरुषों का मौलिक अधिकार होता हैं और स्त्रियों द्वारा उसे सहना उनका मौलिक कर्तव्य। जब भारतीय दंड संहिता में दृश्यकारिता की परिभाषा जोड़ी गई तो सारे पुरुषों ने उधम मचाया कि यह क्या बात हुई कि घूरना अपराध बना दिया तो अब मेरी बात का जबाव दीजिए कि मैथ के टीचर मेरे सीने में क्या खोजते थे? त्रिकोणमिति, कैलकुलस, ज्यामिति या क्या? शायद ज्यामिति ही खोजते थे। वृत्त, चाप, त्रिज्या, परिधि सब उसी में पढ़ते हैं न! एक मैथ के टीचर तो अमर्यादित हरकत ही कर बैठे। जब किसी को अवसर मिलें। और वह असफल हो जाए तो क्या करेगा? आपको बदनाम करेगा। समाज में आपको बैठने लायक नही छोड़ेगा।
मैं जब फिरोजाबाद कचहरी गई तो मुझे सबने ऐसे ट्रीट किया जैसे मैं सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश हूँ। सबने यहाँ बड़ा आदर सत्कार किया। पापा कहते हैं कि फिरोजाबाद जिले में वकालत करो। तु्म यहाँ टॅाप वन वकीलों में गिनी जाओगी पर यहाँ से बड़ी कड़वी यादे जुड़ी हैं। जिस शहर में इस टाइप के गुरु मिले हो वहाँ दुबारा क्या लौटना?
अगर कानून नही पढ़ा होता तो सच कहने की कभी ताकत नही मिलती। गुरु और शिष्या का रिश्ता पिता-पुत्री का वैश्वासिक रिश्ता होता हैं। इस टाइप के गुरुओं का भगवान ही मालिक हैं। पर जब यह घूरे तो इनकी आँखों मे सलाखें डाल देनी चाहिए पर सब कानून से बंधे हैं। कोई लड़ना भी तो नही चाहता। जागरुकता ही नही हैं। लड़कियाँ जीवन भर खुद को गलत समझती हैं।