: यह है समाजवादी सरकार में न्याय-व्यवस्था की हालत। युवती थाने में बंद रही, अपराधी जश्न मनाते रहे : तीन दिनों तक थाने में अवैध तरीके से बंद बलात्कार पीडि़त बच्ची को आखिरकार मिली रिहाई : कुशीनगर के पडरौना में अभियुक्तों के घर बंटी मिठाइयां, दगे पटाखे और मनाया गया जश्न : पीडि़त बिटिया के यहां का मोबाइल पर या तो ऑफ है या फिर नो-रिप्लाई : खूब बंटी रकम, हर मेज तक, हर कुर्सी तक : नेता से लेकर अफसर तक छक कर मस्त हुए :
कुमार सौवीर
लखनऊ : लखनऊ : कुशीनगर के पडरौना कस्बे में जिस बच्ची के साथ कथित सामूहिक बलात्कार का मामला हुआ था, खबर है कि उसे पुलिस ने तीन दिनों बाद थाने से रिहा कर दिया है। उधर एक अन्य खबर के अनुसार उस बिटिया की खबर लखनऊ तक पहुंचने के बाद महिला आयोग ने उस मामले में हस्तक्षेप किया है और कुशीनगर पुलिस और प्रशासन को नोटिस जारी की है। पूछा गया है कि वे उस घटना पर पूरे तथ्य महिला आयोग को यथाशीघ्र भेजें। इस मामले में तीसरे मोड़ में पुलिस ने अब तक किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया है।
लेकिन असल उस सवाल को लेकर है कि उस बच्ची को किस आधार पर पुलिस ने तीन दिनों तक अपनी कस्टडी में क्यों बन्द रखा था। आज भी कुशीनगर के पुलिस अधीक्षक से कई बार प्रयास करने की कोशिश की गयी, लेकिन अब तक उन्होंने अपना मोबाइल नहीं उठाया। यही हालत जिलाधिकारी के मोबाइल का भी रहा। कुछ भी चर्चाएं तो इसी बात की चल चुकी हैं कि इस मामले में नेता, पुलिस और अफसरों ने जमकर पैसा खींचा है।
आपको बता दें कि विगत शुक्रवार की रात अपने पति के साथ पडरौना के सिद्धार्थ-इन होटल में यह युवती जलपान के लिए गयी थी। उसने वहां जैसे ही पानी पिया, उसे चक्कर आने लगा। इस पर उसकी तबियत ठीक होने तक का सान्त्वना देते हुए होटलवालों ने इस होटल में ही एक कमरे में उसे लिटा दिया। हालांकि बाद में यह भी पता चला है कि उसकी बेहोशी की हालत के लिए शायद उसका खुद का पति ही जिम्मेदार था। एक अन्य जानकारी के अनुसार उसका पति विकास उस रात उस बच्ची को जान से मार देने की साजिश करने की जुगत में था।
बहरहाल, वह बच्ची रात भर होटल में रही और जब सुबह वह जागी तो पाया कि वह पूरी तरह निर्वस्त्र है। उसके पूरे शरीर में खरोच के निशान थे। दरवाजा खुला हुआ था। होटलवालों ने उसे ढाई सौ रूपया दिया और फिर उसे उसके घर छोड़ने गये। लेकिन रास्ते में पुलिस थाना देख कर वह गाड़ी से कूद कर थाने में घुस गयी और अपनी आपबीती सुनायी। मगर महिला थाना वालों ने उसे टरका दिया, उसके बाद वह कोतवाली पहुंची। वहां भी उसे दुत्कार मिली। अब तक उस बच्ची की तबियत बहुत खराब हो चुकी थी। खबर आसपास के बाजारों तक फैल चुकी थी। लोग उस बच्ची को लेकर अस्पताल ले गये। बताते हैं कि उस समय तक वह बच्ची बुरी तरह बदहवास हो चुकी थी।
उसके बाद ही पुलिस हरकत में आयी। लेकिन इस मामले को मोड़ने के लिए पुलिस ने हरचंद कोशिश-साजिश की। पुलिस को पता चल चुका था कि इस मामले में इस होटल के मालिक खासी हैसियतदार हैं। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए साजिशें बुनी गयीं। बच्ची के शरीर पर लगी चोटों की तो मेडिकल जांच करायी गयी, लेकिन इस मामले में निर्णायक हो सकते वाले तथ्यों को पूरी तरह पचा लिया गया।
बहरहाल, पता चला है कि समाजवादी पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी इस मामले में कूद पड़े थे। होटल मालिक के पक्ष में। इसीलिए मामले की रिपोर्ट भी तहस-नहस करके ही दर्ज करायी गयी। न तो कोई पर्याप्त मेडिकल जांच की गयी और न ही अभियुक्तों को दबोचने की कोई कवायद।
हां, इतना जरूर रहा कि जिस बच्ची के साथ यह सामूहिक बलात्कार की बात की जा रही है, उसे न्याय दिलाने के बजाय, उसे उल्टे तीन दिनों तक थाने में बंद रखा गया। और जैसे ही पुलिस, नेता और अफसरों की तिकड़ी उन अभियुक्तों के साथ मिल कर अपनी योजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर चुके, उसके बाद ही उस बच्ची को थाने से रिहा किया गया। हां, तब उस हादसे के अभियुक्तों के यहां जश्न मनाया जाना शुरू हो गया।