: अब तो सुनहरे सपनों को कत्ल करने पर आमादा है लाखों छात्रों का भविष्य छानने वाला उप्र लोकसेवा आयोग : एक अध्यक्ष और सात सदस्य आखिर इलाहाबाद में कितने मच्छर मार रहे हैं : पांच बरस से सिर्फ धांधली और बेहिसाब काहिली : युवकों के भविष्य, बनाम योगी जी का घण्टा – दो :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कोई मुर्गी जब कुड़ुक हो जाती है, यानी हमेशा-हमेशा के लिए अंडा देना बंद कर देती है, तो उसका हश्र अगले ही दिन उसके गोश्त से तैयार बोटी-कबाब के तौर पर सामने आ जाता है। ठीक यही हालत बिजली के ट्रांसफार्मर अथवा नलकूप या ट्यूबवेल की भी होती है, जब उनके फेल होते ही उन्हें तत्काल उखाड़ कर दूसरा नयी मशीन स्थापित कर दी जाती है। इतना ही नहीं, कोई कर्मचारी जब अपने दायित्वों को पूरा करने में असफल हो जाता है, उसकी नाकारा हरकतें हद पार कर चुकी हैं, तो फिर पहले तो निलंबित और फिर बर्खास्त कर दिया जाता है।
मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात और है। वे विशाल हृदय के नेता हैं, कुछ भी सहन कर सकते हैं। यह भी सहन कर सकते हैं कि उनके युवाओं के सपनों की सामूहिक नृशंस हत्याएं हो रही हैं। वे देख रहे हैं कि उनके खुद के संकल्प धूल-धूसरित होते जा रहे हैं, और इसके लिए जिम्मेदार अफसर लोग लगातार मस्ती और हरामखोरी पर आमादा हैं। वे यह भी बर्दाश्त कर सकते हैं कि अगले ही बरस यानी 2019 में लोकसभा का आम चुनाव है, जिसमें भाजपा ही नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्य नाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लग सकते है।
जी हां, यह मामला है उप्र लोक सेवा आयोग की बेशर्मी का। पिछले पांच बरसों से यह आयोग बाकायदा किसी सफेद हाथी की तरह होनहार युवाओं के भविष्य को खाता-चरता जा रहा है, लेकिन अपनी स्थापना के मकसदों से यह आयोग कोसों-योजनों दूर हो चुका है। पिछले तीन बरस से इस आयोग ने कोई परीक्षा ही आयोजित नहीं की है। तीन बरस पहले पीसीएस की परीक्षा तो हो गयी, लेकिन उसका रिजल्ट तक नहीं सार्वजनिक कर पाया है यह उप्र लोकसेवा आयोग।
वहज है बेईमानी, काहिली, नाकारा पन, भ्रष्टाचार और धांधली के कारनामे। पहले पांच साल तो धांधली के आरोप लगे और अब लगातार एक साल से परीक्षा का पूरा कार्यक्रम बेपटरी हो चुका है। रुकी पड़ी है पीसीएस 2016/2017 व 2018 की भर्ती। शर्मनाक बात तो यह है कि इस आयोग ने लोकसेवा आयोग का परीक्षा पैटर्न तो अपना लिया मगर उप्र लोकसेवा आयोग ने लोकसेवा आयोग की नियमितता के पैटर्न पर एक बार भी महसूस करने की कोशिश नहीं की है।
आपको बता दें कि हाल ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि जल्द ही पांच लाख से ज्यादा नौकरियां भरी जाएंगी। उधर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी घोषणा की थी कि भारत में तत्काल रूप से कम से कम 98 लाख नौकरियों की सख्त जरूरत है। लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि उप्र लोकसेवा आयोग जैसी संस्थाओं की काहिलियत के कारण ऐसे लक्ष्य कैसे अपने मुकाम तक पहुंच सकेंगे। (क्रमश:)
किसी भी युवक-युवती की कल्पनाओं में सबसे श्रेष्ठ काम होता है अपनी कल्पनाओं को पंख देना। इसके लिए प्रतिभागी लोग अपनी जान लगा देते हैं। प्राण-प्रण से मेहनत करते हैं। ताकि उनके सपनों को किसी सम्मानित मुकाम पर जगह मिल जाए। लेकिन ऐसे सपनों को अमल में लाने के पहले औपचारिक परीक्षाओं का संचालन करने वाली संस्था इस वक्त नपुंसक साबित होती दिख रही है। पिछले तीन बरसों से जिस तरह यूपी लोकसेवा आयोग ने लाखों प्रतिभागियों के साथ जो बेशर्मी और आपराधिक हरकतें की हैं, वह अकल्पनीय है। इस पूरे दौरान अपनी हरकतों से इस आयोग पर प्रतिभागियों का गुस्सा बेहद बरस रहा है। वह तो बड़प्पन तो इन प्रतिभागियों का है कि वे पूरे संयम के साथ खामोश है, वरना न जाने क्या हो जाता।
वैसे भी उप्र का लोकसेवा आयोग हमेशा से ही विवादों में घिरा ही रहा है। आज अपनी पूर्व निर्धारित परीक्षा का कलेंडर 24 जून का कार्यक्रम भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर इस आयोग ने साबित कर दिया है कि लाखों प्रतिभागियों के भविष्य के प्रति उनका कोई भी लेनादेना नहीं है। हम इसी मसले को श्रंखलाबद्ध तरीके से प्रकाशित करने जा रहे हैं। आज से उसकी बाकी कडि़यों का प्रकाशन नियमित रूपे से किया जाएगा। आपको इस बारे में कोई भी जानकारी हो, आयोग का कोई पक्ष हो, कोई अन्य जानकारी हो, तो उसे हमें तत्काल बताइयेगा। हम उसे अपने प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरीबिटिया डॉट कॉम पर पूरे सम्मान के साथ और अनिवार्य रूप से प्रकाशित करेंगे।
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