रद्दी से श्रेष्ठतम: कड़क प्रिंसिपल ने बनाया रिकार्ड

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बनारस रेंज में अव्वल है कंचनपुर का विद्यालय : डीएलडब्यू शाखा में इस प्राचार्य को पीटने के लिए आमादा थे लोग : बस दो मिनट, फिर उसके बाद बंद होते हैं काशी स्कूल के दरवाजे : कमाल है केन्द्रीय विद्यालय- पांच :

कुमार सौवीर

वाराणसी : केंद्रीय विद्यालय में आखिरी घंटी बजने से खत्म होने के साथ ही मुख्य दरवाजा बंद हो गया है। दौड़ कर आये और हांफते छात्र और शिक्षक-कर्मचारी गेट के बाहर चपरासी से मिन्नत कर रहे हैं कि कैसे भी हो, दरवाजा खुल जाए। लेकिन चपरासी पहले तो प्रिंसिपल को गालियां देता है, फिर गेट के बाहर खड़े बच्चों और शिक्षकों-कर्मचारियों पर झिड़कता है। मगर दरवाजा नहीं खुलता है तो नहीं ही खुलता है।

यह नजारा है वाराणसी के रेल इंजन कारखाना यानी डीएलडब्यू के कंचनपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय का। विद्यालय के कपाट बंद होने से बाहर खड़े लोग झींक रहे हैं, भुनभुना रहे हैं, कोस रहे हैं, धमकियां दे रहे हैं, ऊपर तक शिकायत करने की बात कर रहे हैं, कई लोग तो ऐसे भी हैं जो कई-कई बार तय कर चुके हैं कि आज न तो कल, इस प्रधानाचार्य की पिटाई सार्वजनिक से करायेंगे ही। लेकिन यह तो रोजमर्रा का मामला है। ऐसी धमकियां यहां के प्रधानाचार्य को रोज भी मिलती ही रहती हैं। लेकिन वह ऐसी धमकियों को मक्खी की तरह उड़ा देता है।

इस प्रधानाचार्य का नाम है बी दयाल। एक निहायत कर्तव्य-निष्ठ शिक्षक। इस शख्स का नाम उसके रजिस्टर में जाति के तौर पर दलित दर्ज है, लेकिन वह न इस इन्दराज से क्षुब्ध है और न ही प्रसन्न। उसका दावा है कि वह केवल शिक्षक है और अपना पूरा जीवन अपने इसी ध्येय के लिए समर्पित रहेगा। अनुशासन सर्वोच्च है बी दयाल के लिए। न इससे ज्यादा और न उससे कम।

सीमित आवश्यकताएं हैं दयाल जी के पास। इसीलिए वे चीकने पात की तरह निस्पृह रहते हैं। तब जब कि इस समय देश के अधिकाशं केंद्रीय विद्यालयों में कम से कम डेढ़ करोड़ रूपया सालाना का मेंटीनेंस का बजट आता है और उसमें 30 फीसदी तक की कमीशनखोरी होती है। तब जब कि कंटींजेंसी बजट का अलग अलाटमेंट होता है। तब जब कि हर केंद्रीय विद्यालय में एक दर्जन तक के संविदा शिक्षकों की भर्ती में भारी घूस चलती है। तब जबकि ऐसे धंधे प्रधानाचार्यों की रकम निश्चित होती है, बी दयाल  ने कमीशनखोरी को झटक-पटक दिया। सालाना बजट का वह ऐसा इस्तेमाल हुआ कि यह कंचनपुर विद्यालय जो पहले तक इस पूरे रेंज के पांच विद्यालयों में सबसे नीचे पायदान पर रहा करता था, आज सर्वोच्च स्थान पर है।

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