: तीन बरस पहले शाहजहांपुर में पुलिसवालों ने पेट्रोल डाल कर जांबाज पत्रकार जागेंद्र को जिन्दा फूंक दिया था : एक बड़े पत्रकार-नेता ने की बड़ी दलाली, बोले थे कि यूनियन को बीच में डालोगे तो नुकसान हो जाएगा : मुंह बंद कराने के लिए अखिलेश यादव ने दिया था 20 लाख, तो अपराधियों ने 30 :
कुमार सौवीर
शाहजहांपुर : जागेंद्र सिंह एक ऐसा कलम-सेनानी था जिसने अपने दायित्वों के साथ पत्रकारिता की, और मौत के फंदे तक पहुंच कर अपना प्राण-त्याग दिया। यूपी की वास्तविक पत्रकारिता में जागेंद्र सिंह एक अमिट स्वर्णखचित नाम है। आम आदमी के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देने वाले जागेंद्र सिंह ने मौत के सामने भी अपने घुटने नहीं टेके। आज उसकी मौत को पूरे तीन बरस हो गये हैं। जागेंद्र ने संघर्ष किया, और न्याय के लिए जुझारू तथा जीवट का प्रदर्शन किया।
दोस्तों, जागेन्द्र सिंह ने आत्मदाह नहीं किया था, बल्कि उसे पेट्रोल डाल कर जलाया गया था। और यह जघन्य कुकृत्य किया शाहजहांपुर के पुलिस कोतवाल प्रकाश राय और उसके साथी पुलिसवालों ने। इन्हीं लोगों ने जोगेन्द्र सिंह को जिन्दा फूंक डाला था। इस काण्ड के वक्त पुलिस टीम के साथ गुफरान नाम का भी एक अपराधी मौजूद था, जिस पर एक महिला ने उप्र सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा समेत तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। राममूर्ति बुरी तरह फंसने लगा था, और जागेंद्र सिंह ने अपने मृत्यु-पूर्व बयान में इस हादसे के लिए राममूर्ति वर्मा पर आरोप लगाया था कि उसने ही कोतवाल समेत पुलिस-दल के साथ मिल कर साजिश की थी।
कहने ही जरूरत नहीं कि जागेन्द्र सिंह ही वह शख्स था जो इस मंत्री और गुफरान वगैरह बलात्कारियों के खिलाफ अदालत से लेकर पुलिस तक में कार्रवाई की भरसक कोशिशें कर रहा था। जानकारों का कहना है कि गुफरान ने प्रकाश राय और पुलिसवालों को जोगेंद्र सिंह को जिन्दा फूंकने के लिए पेट्रोल मुहैया कराया और प्रकाश सिंह व पुलिसवालों ने उसे फूंक डाला। शाहजहांपुर के अनेक संवाददाताओं ने बताया है कि दोपहर 3 बजे के करीब जब यह हादसा हुआ तो उसके बाद जिले के एडीएम एफआर प्रमोद श्रीवास्तव ने जोगेन्द्र सिंह का बयान लिया था। इस बयान में जोगेन्द्र सिंह ने साफ-साफ कह दिया कि उसे गुफरान और प्रकाश राय समेत अनेक पुलिसवालों को जिन्दा फूंका।
प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के पास आज भी सुरक्षित है एक निर्भीक पत्रकार को जिन्दा फूंकने के लिए हत्यारे मंत्री-माफिया-पुलिस और पत्रकारों की चौकड़ी का जिन्दा सुबूत। यह सुबूत है कि कैसे जागेन्द्र सिंह को मंत्री और पुलिसवालों ने अंतहीन उत्पीड़न और मारक तनाव दिये, बल्कि यूपी सरकार में सच बोलने वालों को हश्र क्या होता है। मैं तब की अखिलेश यादव सरकार के मंत्री, सरकार की निर्मम-निष्ठुर-अमानवीय पुलिस, दलाल पत्रकार चौकड़ी की भर्त्सना और कड़ी निंदा करता हूं जो बिलकुल संगठित अपराध-गिरोहों की शैली अपनाये हुए।
आपको बता दें दस मई को एक हल्की झड़प के बाद अमित भदौरिया ने जागेन्द्र समेत कई लोगों पर मारपीट की तहरीर पुलिस को दी थी, जिसे बरेली मोड़ अजीजगंज पुलिस चौकी के प्रभारी ने 11 मई की सुबह बाकायदा रिसीव किया था, लेकिन इसकी एफआईआर 12 मई को दर्ज की गयी।
लेकिन इस एफआर्इआर में वह सारी सूचनाएं बुरी तरह तोड़-मरोड़ दी गयीं जो पहली तहरीर में दर्ज की गयी थीं। और जो नयी एफआईआर दर्ज करायी गयी, उसमें जागेन्द्र और उसके दोस्तों पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया गया। इतना तोड़ा कि आखिरकार जागेन्द्र सिंह को जिन्दा फूंक डाला गया।
दोस्तों, अब तो पुलिस के नाम पर उबकाई आने लगी है।