इसे पहचानो, जिसने पत्रकार-साथी की मौत बेच डाली

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: साथी पत्रकार की मौत के नाम पर इस बड़े पत्रकार ने मोटा माल उगाहा है : शिक्षा समेत कई विभागों और अफसरों से मदद के लिए गुहार लगायी थी, और रकम लेकर रफूचक्‍कर हो गया : पत्रकार संघ ने भी ठोस मदद नहीं, सिर्फ श्रद्धांजलि-समारोह कर अनुष्‍ठान सम्‍पन्‍न करा दिया :

मेरी बिटिया संवाददाता

जौनपुर : आपको याद होगा कि कुछ महीना पहले जौनपुर के एक पत्रकार की मौत हो गई थी। सड़क दुर्घटना में। इतनी गंभीर चोटें आई कि मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया। अस्पताल तक जाने की नौबत ही नहीं आएगी। इस पत्रकार का नाम था यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज”।

इस पत्रकार की मौत पर जाहिर है कि पत्रकार बिरादरी काफी दुखी थी। उसके असमय काल कलवित होने की घटना के बाद पत्रकार बिरादरी ने अपनी शोक श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पत्रकार संघ भवन पर एक बैठक बुलाई थी। सभी दुखी थे। सभी ने यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” को याद किया और उससे जुड़ी अपनी यादें साझा किया। बैठक में पत्रकारों ने तय किया कि यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” के शोक संतप्त परिवारीजनों को आर्थिक सहायता दिलाने के लिए सरकार से अपील की। इस बारे में तय किया गया कि संघ के लोग एक अर्जी मुख्यमंत्री कोष से आर्थिक सहायता हासिल करने के लिए भेजेंगे। अब उस अर्जी का क्या हुआ इस बारे में तो किसी को कोई अता पता ही नहीं, लेकिन लोग कहते हैं कि संघ के महामंत्री ने यह अर्जी लिखने का वायदा किया था और जिसे संघ अध्यक्ष के हस्ताक्षर से लखनऊ भेजने की बात की गई थी। इतना ही नहीं, उस आर्थिक सहायता देने वाली अर्जी के साथ जौनपुर के बड़े भाजपाई, नेताओं, विधायक, मंत्रियों के साथ ही साथ जिला प्रशासन के लोगों को भी अग्रसारित करा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भेजने की बात हुई थी। लेकिन अब तक यह पता नहीं पाया कि ऐसा हुआ या नहीं।

मगर इतना जरूर हो गया यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” की मौत कुछ निकृष्ट पत्रकार की मुट्ठी गरम कर गई, यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” के घर का चूल्‍हा भले ही ठण्‍डा पड़ा हो, लेकिन इस निकृष्‍ट पत्रकार के घर नोटों की बारिश हो गई। और इस तरह मनोज दुबे की मौत इस निकृष्‍ट पत्रकार के घर खुशाली की बयार ले आई। कई दिनों तक मौज ही मौज मनाया इस पत्रकार और उसके परिवार ने।

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पत्रकार पत्रकारिता

विश्‍स्‍त सूत्रों के अनुसार मामला है बड़ा संगीन। हुआ यह इस बड़बोले पत्रकार ने जिले के कुछ दफ्तरों और अफसरों के पास जाकर यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” की मौत पर खूब आंसू बहाए थे और यह कहा था कि यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” चूंकि ईमानदार पत्रकार-सेनानी था इसलिए उसके शोक संतप्त परिवारीजनों को कुछ आर्थिक सहयोग जरूर दिया जाना चाहिए। निजी तौर पर कुछ अफसरों ने क्या लेनदेन किया, इसका तो कोई पुख्ता खबर नहीं है लेकिन शिक्षा विभाग के एक दफ्तर में यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” की मौत उस पत्रकार के घर छप्पर फाड़ के खुशहाली हो गयी।

सूत्र बताते हैं कि खुद को बड़ा पत्रकार कहलाने वाले इस शख्‍स ने इस बड़ा दार्शनिक अंदाज में तमाम घडि़याली आंसू बहाते हुए आर्त स्वर में अपील की थी कि मृत यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” के परिवार का सहयोग करना मानवता ही नहीं, बल्कि पत्रकार हित और उनके ईमानदार सेनानियों को भी बल भी देगा। इसके लिए उस पत्रकार ने चंदा भी जुटाया। बताते हैं कि एक दिन के भीतर केवल अकेले एक दफ्तर से 25000 रूपयों से ज्‍यादा की कर ली थी। इस ववरिष्ठ पत्रकार तो दूर, कुछ अन्‍य हवा-हवाई पत्रकारों ने भी अपने क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों से यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” के घरवालों के नाम पर भारी पैसा उगाया था।

गौरतलब बात यह है कि यादवेन्द्र दत्त दुबे “मनोज” के परिवारी जनों तक इन दफ्तरों या व्यक्तियों से जुटायी गई रकम का एक धेला तक नहीं पहुंचा।

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