विचित्र-यंत्र विज्ञापन-पत्र में तो अब सिर्फ शोभित मिश्रा, दूसरो न कोय

मेरा कोना

: प्रिंट-लाइन में भी नाम दर्ज कराने के लिए उच्‍च-स्‍तरीय विचार-विमर्श करने का मजाक शुरू  :  सम्‍बन्धित बीटों के प्रभारियों ने भी समवेत गायन शुरू कर दिया : पेंशन-याफ्ता पत्रकारों की भी बल्‍ले-बल्‍ले :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अगर हास्‍य-व्‍यंग्‍य की शैली में कहें तो पत्रकारिता जगत में एक नया कमाल बुना-छापा जाने की कवायदें शुरू हो चुकी हैं। अब तक श्रेष्‍ठतम रिपोर्टर साबित हो चुके एक रिपोर्टर को अब वह सम्‍मान सौंपने की कोशिशें की जा रही हैं, जो इसके पहले कभी सोची तक नहीं होंगी। अकल्‍पनीय। बहरहाल, इस बारे में इस संस्‍थान में सारी कवायदें पूरी की जा रही हैं। तय किया गया है कि अब इस रिपोर्टर का नाम ही ही सीधे-सीधे प्रिंट-लाइन में ही छाप लिया जाए। झंझट ही खत्‍म।

जी हां, यह मामला है उस अखबार का, जिसकी सुख्‍याति अपने लिंग-वर्द्धक यंत्र के प्रचार-प्रसार के प्रति अगाध श्रद्धा और आस्‍था ही नहीं, बल्कि सक्रियता को लेकर भी है। जी हां, आपने ठीक समझा। इस लिंग-वर्द्धक अखबार का नाम है हिन्‍दुस्‍तान। हिन्‍दी हिन्‍दुस्‍तान। घनश्‍याम दास बिड़ला समूह का अखबार, जो फिलहाल एचटी मीडिया वेंचर्स की सहयोगी इकाई है। और इस रिपोर्टर का नाम है शोभित मिश्रा। इसी यंत्र समाचार पत्र के लखनऊ में पदस्‍थ रिपोर्टर हैं शोभित।

इस लिंग-वर्द्धक यंत्र-प्रचारक अखबार में आज चार आईएएस अफसरों समेत 15 से ज्‍यादा अफसरों के घर पर पड़े आयकर टैक्‍स विभाग की छापामारी की खबर को गजब स्‍थान दे दिया है। और यह काम पांच-छह रिपोर्टरों के बस का भी नहीं बताया जाता है, लेकिन इस रिपोर्टर शोभित ने अकेले ही इस खबर को कवर किया, और लाजवाब कवरेज किया, कि पूरा संस्‍थान और उसका प्रबंधन का सीना फूल कर छप्‍पन हो गया। एक सूत्र ने तो बताया कि जो काम शोभित ने किया, उसे तो पुरस्‍कृत कर उसका नाम प्रिंट-लाइन में दर्ज दिया जाना चाहिए।

हिन्‍दुस्‍तान  से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

लिंगवर्द्धक विचित्र-यंत्र विज्ञापन-पत्र

लेकिन अब उन मुए रिपोर्टरों को क्‍या करें, जो हर बात में उठा-पटक करने की फितरत और जुगत में रहते हैं। इस बार भी हुआ। अच्‍छे-खासे 56 इंची फूले सीने में जगह-जगह सुई धंसा कर उसे चिपक कर उसकी छुच्‍छी निकाली जा रही है। इन नामुरादों का ऐतराज इस बात का है कि आखिर उनकी बीट में यह हस्‍तक्षेप कर लिया गया। संस्‍थान सूत्र बताते हैं कि इस अखबार के पत्रकारों में इस बारे में खासी चर्चा और विरोध-व्‍यक्‍त करने की कोशिशें चल रही हैं।

खैर, पहले तो उस खबर पर चर्चा कर ली जाए जो इस विवाद के केंद्र में है। इस अखबार में पूरी खबर लिखने में अच्‍छे-खासे चंडूखाने को भी पिछाड़ दिया गया है। खबर में एक जगह वाणिज्‍य कर का अपर आयुक्‍त लिखा है, तो कहीं उप आयुक्‍त। इतना ही नहीं, इस अधिकारी का नाम कहीं केशव लिखा है, तो कहीं केवल नाम दर्ज कर लिया गया है। ऐसी-ऐसी त्रुटियां दर्ज की गयी हैं, कि खबर की ऐसी की तैसी हो जाए।

पत्रकारिता से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

पत्रकार पत्रकारिता

अब मूल विवाद पर चर्चा कर लीजिए, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो रहा है। व्‍यवस्‍था के तहत मुख्‍यमंत्री सचिवालय की खबरें सम्‍भालने का जिम्‍मा अजीत खरे को है, जबकि ब्‍यूरोक्रेसी वगैरह काम देखते हैं गोलेश स्‍वामी। बाकी सचिवालय के दीगर मामलों पर अजीत शाही का दखल है। वाणिज्‍य कर का काम भी एक अन्‍य रिपोर्टर करता है। लेकिन इस छापे की खबर शोभित ने कवर किया, विवाद इसी पर है। सूत्र बताते हैं कि यह काम संपादकीय व्‍यवस्‍था के प्रतिकूल हुआ है। कारण यह कि इसमें से किसी भी एंगल वाले का जिम्‍मा शोभित का था ही नहीं। वे तो अधिकतम भाजपा और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग जैसे कतिपय विभागों को देखते हैं।

केवल इतना ही नहीं, विधानसभा अध्‍यक्ष हृदयनारायण दीक्षित का साक्षात्‍कार भी इसी समय प्रकाशित हुआ, जिसे शोभित ने किया था।

ऐसे में इन सारे झउव्‍वा भर रिपोर्टरों को ओवर-कम करके इस प्रकरण को शोभित के खाते में कैसे शामिल किया गया, यह एक बड़ा सवाल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *