अप्रैल से शुरू हो रहे संवत का राजा है चंद्रमा
केतु वृष में और राहु वृश्चिक में जाएगा इस दौरान
कोलकाता : इस वर्ष अप्रैल से शुरू हो रहे नए संवत् 2068 का राजा चंद्रमा है। इस दौरान हर क्षेत्र में महिलाएं राज करेंगी और चौतरफा जनता जनार्दन की जय होगी। जनहित के खिलाफ आचरण करने वालों की क्षय होगी, जबकि पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में बडे परिवर्तन की संभावनाएं हैं।
यह कहना है, प्रख्यात ज्योतिषी तथा भारतीय ज्योतिष परिषद के
राष्ट्रीय अध्यक्ष के.ए.दुबे पद्मेश का। उन्होंने वर्ष 2011 को महिलाओं के प्रभाव व वर्चस्व के लिहाज से अहम कहा है। एक विशेष बातचीत में श्री पद्मेश ने बताया कि अपने-अपने क्षेत्रों में लंबे समय से संघर्षरत महिलाएं इस साल सफल बन कर उभरेंगी। महिलाएं चाहे राजनीति के क्षेत्र में हों, या फिर व्यवसाय या खेल जगत में। उनके संघर्ष का दौर खत्म होगा और यह
साल उन्हें बुलंदी दिलाएगा। इस वर्ष नौ ग्रहों का राशि परिवर्तन हो रहा है, जो अदभुत संयोग है। अंगारक योग से शुरू होने वाला यह वर्ष महत्वपूर्ण परिवर्तन और चिंतन की दिशा देगा। कन्या राशि पर चल रहा शनि 15 नवम्बर को अपने उच्चस्थ राशि तुला में पहुंचेगा और वृहस्पति मेष राशि में होगा। केतु वृष में और राहु वृश्चिक में जाएगा। मंगल की राशि मेष में वृश्चिक का होना भारतीय राजनीति में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन के संकेत दे रहा है।
देश के लिए यह ग्रहस्थिति सुखद बदलाव की है। श्री पद्मेश ने ग्रहीय विवेचना और अध्ययन के आधार पर कहा कि नौ ग्रहों का राशि परिर्वतन इस साल की विशेषता है और इसका लाभ आम जनता को मिलेगा। नए समीकरण बनेंगे और जनता परेशानियों से उबरेगी। उसकी बेहतरी का रास्ता आसान होगा। आम आदमी को परेशानियों से निकालकर निर्णायक भूमिका में खड़ा करने वाला साल भी होगा
2068। उसकी हैसियत व क्षमता बढ़ेगी। इस सप्ताह महानगर के संक्षिप्त दौरे पर रहे श्री पद्मेश ने बताया कि आगामी 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश के बरेली में ज्योतिष व प्राचीन भारतीय शास्त्रों पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश विदेश के नामी ज्योतिषी जुटेंगे। अब तक हजारों की संख्या में सटीक ज्योतिषीय भविष्यवाणियां कर चुके केए दुबे पद्मेश ने कानपुर में पदमेश इंस्टीच्यूट आफ वैदिक साइंसेज की स्थापना की है, जो आधुनिक शोध को बढ़ावा दे रहा है।