हिन्‍दुस्‍तान में नहीं भरवाया अप्रेजल-फार्म, कुंकुआते वॉच-डॉगों ने पेट में घुसेड़ी पूंछ

सैड सांग

: खौफजदा पत्रकारों में अपनी नौकरी बचाने की फिराक, कौन अप्रेजल फार्म पूछे :  मतलब यह कि इस बार या तो इन्‍क्रीमेंट का किस्‍सा खत्‍म, या फिर मनमर्जी का सिलसिला शुरू होगा : वैसे भी लिंग-वर्द्धक यंत्र अखबार में सिर्फ है पेंशनयाफ्ता लोग या गिरोहबंदों का बोलबाला :

कुमार सौवीर

लखनऊ : लिंग-वर्द्धक यंत्र वाले अखबार के पत्रकार इस वक्‍त बहुत भयग्रस्‍तता से ग्रसित हैं। वजह है यहां होने वाली वार्षिक वेतन-वृद्धि को लेकर पिछले कई महीनों से छायी हुई अनिश्चितता का माहौल। लगातार बिगड़ते जा रहे इस अखबार के माहौल में अब किसी को पता ही नहीं चलता कि यह हालत मंदी के चलते है अथवा छंटनी के बादल गड़गड़ाने लगे हैं।

जी हां, यह श्रद्धेय घनश्‍याम दास बिड़ला द्वारा स्‍थापित समाचार समूह के अखबार हिन्‍दुस्‍तान का किस्‍सा है। एचटी मीडिया वेंचर्स के नाम से बनी इस कम्‍पनी में शामिल हिन्‍दी हिन्‍दुस्‍तान अखबार में इस बार अब तक वार्षिक अप्रेजल फार्म का न भरवाया जाना ही असल समस्‍या का कारण बताया जाता है। आपको बता दें कि अप्रेजल फार्म के आधार पर ही प्रबंधन तय करता है कि किस कर्मचारी-पत्रकार की उपलब्धि क्‍या रही है। उसी मूल्‍यांकन के आधार पर ही संस्‍थान-प्रबंधन तय करता है कि किस को कितनी वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाएगी। आपको बता दें कि सामान्‍य तौर पर हिन्‍दुस्‍तान अखबार में हर साल फरवरी से ही अप्रेजल फार्म भरवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। यह काम मार्च के अंत तक सम्‍पन्‍न कर दिया जाता है और उसके बाद सामान्‍य तौर पर अप्रैल अ‍थवा मई से ही वेतन-वृद्धि की घोषणा हो जाती है।

लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। संस्‍थान के पत्रकार टापते ही रहे, लेकिन उनकी दक्षता का प्रपत्र नहीं मिल पाया।

बताते हैं कि यह हालत केवल नई दिल्‍ली अथवा लखनऊ की ही नहीं है। बल्कि बिहार और झारखण्‍ड आदि राज्‍यों में भी प्रकाशित होने वाले इस अखबार के संस्‍करण कार्यालयों तथा ब्‍यूरो में भी यही हालत बतायी जाती है। इनमें लखनऊ, वाराणसी, रांची, बिहार, भागलपुर वगैरह अनेक संस्‍करण शामिल बताये जाते हैं।

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हिन्‍दुस्‍तान पत्रकारिता

हालांकि ऐसा हर्गिज नहीं है कि एचटी मीडिया वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के सभी दफ्तरों में भी यही हालत है। ऐसा नहीं है। इस संस्‍थान के अंग्रेजी अखबारों में कार्यरत पत्रकारों के बीच तीन महीना पहले ही अप्रेजल फार्म भरवाये जा चुके हैं। इतना ही नहीं, प्रोडक्‍शन, सेल्‍स वगैरह में भी यह प्रक्रिया सम्‍पन्‍न करायी जा चुकी है। लेकिन हिन्‍दी हिन्‍दुस्‍तान अखबार के पत्रकार अब तक टापते ही रहे हैं।

लेकिन इस विलम्‍ब को लेकर इस लिंग-वर्द्धक यंत्र संस्‍थान के वॉच-डॉगों में कोई भी सुगबुगाहट तक नहीं है। ऐसा भी नहीं कि वे उसको लेकर निश्चिंत होंगे। लेकिन इनमें हिम्‍मत ही नहीं हो रही है कि वे इस बारे में किसी से बातचीत भी कर सकें। वे अपने घनिष्‍ठ मित्र-सहयोगी लोगों से भी इस बारे में चर्चा करने में बच रहे हैं। आशंका इस बात की है कि पता नहीं कि उनका कौन मित्र-सहयोगी उनकी बातचीत को सम्‍पादक अथवा प्रबंधन तक पहुंचा दे, और इशारा तक कर दे कि ऐसे लोग संस्‍थान में यूनियन बनाने की जुगत में हैं। ऐसा हुआ तो ऐसे कुलबुलाये पत्रकार की नौकरी एक झटके में ही निकाल दी जाएगी।

लेकिन इस बारे में प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम से एक पत्रकार ने बताया कि इस विलम्‍ब के चलते आशंकाएं लगातार बलवती हो जा रही हैं। इस बात की आशंका तो इसी बात को लेकर है कि कहीं सम्‍पादक इस बार अपने-अपने खास लोगों को ही उपकृत कर बाकी लोगों को लेमनचूस तक नही थमाये। इस पत्रकार ने बहुत निराशजनक शब्‍दों में बताया कि बड़े मंत्रियों-नेताओं की सिफारिश में पेंशनखोरी में जुटे लोग ही सम्‍पादकों और प्रबंधकीय लोगों के कान भरने में जुटे हैं।

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