: गाय माता हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोग कानून अपने हाथ में न लें : मोदी ने ऐलान किया कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा पर कठोर कार्रवाई होगी : गोरक्षा मामले को सियासी या कम्युनल रंग नहीं दिया जाना चाहिए :
कुमार सौवीर
लखनऊ : गाय, गोरक्षक और हिंसा। एक ही सिलसिले की ताजा-तरीन कडि़यां हैं। चौथी कड़ी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो गये। उन्होंने आज गोरक्षकों को अपनी हरकतों से बाज आने की चेतावनी दी, और साथ ही यह भी चेतावनी दे डाली कि अगर गोरक्षक अपनी हरकतों को जारी रखते हैं तो यह राज्यों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे उनके साथ कड़ी सख्ती करें। लेकिन ताजा माहौल में मोदी का यह बयान केवल माखौल ही बनता दिख रहा है। वजह यह कि भाजपा सरकार के नुमाइंदों ने गोरक्षकों को इतनी ज्यादा छूट दे रखी है, कि उनका दिमाग ही फिर चुका है। सच बात तो यह है कि अब वे बेलगाम हो चुके हैं, किसी की भी हत्या जैसी करतूत तक की भी सीमा तक। ऐसे में गोरक्षकों के प्रति मोदी का यह अल्टीमेटम केवल दिखावा ही साबित होगा। और अगर ज्यादा सख्ती हुई तो बात भाजपा के खिलाफ उलट भी जा सकती है। जानकार बताते हैं कि अगर इन हरकतों पर शुरूआत में ही कड़ी कार्रवाई हो जाती तो, मामला सुलझा जा सकता था। लेकिन अब यह हालत चीते की सवारी जैसी हो चुकी है। जिसकी सवारी कर पाना तो बहुत आसान होता है, लेकिन उससे उतर पाना असम्भव होता है।
आपको बता दें कि हाल ही बीफ को लेकर देश भर में तनाव की हालत बनती जा रही है। गोरक्षकों ने कानून-व्यवस्था को माखौल बना डाला है। प्रशासन पंगु और असहाय हो गया है। लोगों की सरेआम पिटाई हो रही है। लेकिन इन हादसों के कई महीनों बाद केंद्र सरकार का अपना मुंह खोलना अब गम्भीर मसला बनता दिख है।
नई दिल्ली से मिली खबरों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि गोरक्षा के लिए देश में भावनाएं हैं। बताते हैं कि पीएम ने कहा कि वे गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई करेंगे। उनका कहना था कि राज्यों का प्रशासन गोरक्षा के नाम पर कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। क्योंकि लॉ एंड ऑर्डर राज्यों के पास होता है।
मोदी ने कहा कि गाय को माता माना जाता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोग कानून को अपने हाथ में लें। मीटिंग में मोदी ने ये भी कहा कि गाय हमारी मां की तरह है लेकिन किसी को भी कानून को अपने हाथ में लेने का हक नहीं है। उनका कहना था कि अगर कोई ऐसा करता है तो राज्य सरकार को उन पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए।
बता दें कि कथित गोरक्षकों के मामले पर विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर सवाल खड़े करती रही हैं। इस मुद्दे को सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सेशन में विपक्षी दल पूरी ताकत से उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
हाल ही नागपुर में बीफ ले जाने के शक में एक शख्स की पिटाई किए जाने के मामले में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। आपको बता दें कि गोरक्षा के नाम पर देशभर में हो रही हिंसा पर गम्भीर चर्चा छिड़ चुकी है। पिछले महीने ही नरेंद्र मोदी ने इस बारे में अपना गम्भीर दुख जताया था। साबरमती आश्रम में उन्होंने कहा था, “क्या हमें गाय के नाम पर किसी इंसान को मारने का हक मिल जाता है? क्या ये गो-भक्ति है? क्या ये गोरक्षा है? ये गांधीजी-विनोबाजी का रास्ता नहीं हो सकता। हम कैसे आपा खो रहे हैं? क्या गाय के नाम पर इंसान को मार देंगे?”
उधर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कथित गोरक्षकों को नरभक्षी बताते हुए कहा है कि हर किसी को बीफ खाने का हक है। मगर “हिंसक गोरक्षक” मोदी सरकार की इमेज खराब कर रहे हैं। गोरक्षकों को कानून अपने हाथ में लेने का हक नहीं