जरा हिजाब तो उठाओ, सुजाता ने उकेरे रंग

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

देवी नहीं, महिला को महिला जैसा जीने का हक चाहिए

इंजीनियरिंग की छात्रा ने महिला की हालत कैनवस पर उतारी

नई दिल्ली.पुरुष प्रधान समाज में अपने अस्तित्व को तलाशती और एक के बाद एक नए मुकाम हासिल करती स्त्री के कई आयामों को पिछले दिनों ललित कला अकादमी की गैलरी मे प्रदर्शित किया गया। सुजाता तिबरेवाला की पेंटिंग प्रदर्शनी ‘जरा हिजाब उठाओ- द हिज-टोरी ऑफ वोमन’ मे रंगों के माध्यम में नारी के विविध भावों, रूपों और उसके शक्ति को यहां कैनवास पर दिखाया गया। 

खड़गपुर से इंजीनियरिंग कर चुकीं सुजाता ने बताया कि उन्होंने प्रदर्शनी के माध्यम से स्त्री शक्ति और उसकी काबिलियत को पेंटिंग में दर्शाने की कोशिश की है। हालांकि साथ ही उनका यह भी कहना था कि वह समाज को किसी तरह की शिक्षा देने के औचित्य से इस विषय को नहीं चुना, बल्कि स्त्री की काबिलियत से प्रेरित होकर ही उन्होंने इस विषय को अपनी कला के लिए चुना।

अपनी पेंटिंग प्रदर्शनी के विषय में उनका कहना है कि आज की नारी को श्रद्धा और दैविक रूप की ओट में रखकर दुनिया से दूर नहीं रखा जा सकता। वह अपनी शक्ति को आज पहचान चुकी है। यही कारण है कि उसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं।

उनकी पेंटिंग में शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर समझी जाने वाली स्त्री के मनोबल और हौसले को देखा जा सकता है। वह चाहे मानव के अस्तित्व को बचाए रखने की ताकत हो अथवा सीता जैसी स्वाभिमानी पतिव्रता, सुजाता की पेंटिंग में अनायास ही नजर आती है। साभार-भास्‍कर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *