लिंग-अनुपात सुधारने में गुजरात ने बाजी बारी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

भ्रूण-हत्या का समूल नाश गुजरात में

बेहद संवेदनशील भूमिका निभाई नरेंद्र मोदी सरकार ने
विवादों से घिरे रहे गुजरात में महिलाएं बेहद सुरक्षित
अधिकांश जिलों में प्रति हजार पर नौ से ज्यादा हो गयी महिलाओं की तादात

नरेंद्र मोदी की सरकार पर भले ही खूब कीचड उछल चुके हों, मगर गुजरात सरकार महिलाओं के प्रति निहायत दयावान साबित हुई है। खासकर मादा-भ्रूण संरक्ष्ण को लेकर। आर्थिक रूप से लगातार तेजी से बढते जा रहे इस प्रदेश की सरकारी मशीनरी ने गुजरात को लिंगभेद अनुपात नियंत्रित करने में आशातीत सफलता प्राप्त की है। अब राज्य के 27 में से 18 जिलों में एक हजार लड़कों पर लड़की का प्रमाण 900 से अधिक हो गया है।
कहने की जरूरत नहीं कि यह हालत देश के किसी भी राज्य से बहुत आगे है। खासबात यह है कि गुजरात को यह सफलता ऐसे ही नहीं मिल गयी है। इसके लिए सरकारी मशीनरी ने हाडतोड मेहनत की है और महज छह बरसों के दौरान वह पूरे देश में शीर्ष पर आ गया।
दरअसल लिंग-अनुपात के मामले में पूरे देश में महिलाओं की हालत शुरू से ही बेहद खराब रही है। यहां बता दें कि लिंग-अनुपात को प्रति एक हजार पुरूषों पर महिलाओं की तादात से देखा जाता है।
वर्ष 2004 में यह प्रमाण 824 के चिंताजनक स्तर पर आ गया था। गुजरात सरकार इसे बेटी बचाओ सहित विभिन्न स्तरों पर शुरू किए गए कन्या भ्रूण हत्या विरोधी अभियानों का आरंभिक परिणाम मान रही है। जनगणना.2010.11 एवं सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम ;सीआरएसद्ध की हालिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य में प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या औसतन 905 हो गई है।
डांग अव्वलरू सीआरएस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार कन्या जन्म दर में आदिवासी बहुल डांग जिला सबसे आगे हैं। इस जिले में कन्या जन्म का प्रमाण 999 रहा। वहीं 873 कन्या जन्म के प्रमाण के साथ डायमंड सिटी सबसे पिछले पायदान पर है।
मतलब शिक्षित जनसंख्या वाले इलाकों के मुकाबले अपेक्षाकृम कम शिक्षित इलाकों में जन्मदर नीचे है। हालांकि 2004 के स्तर के अनुसार सुधार अवश्य हुआ है। अहमदाबाद व राजकोट में कन्याजन्म दर प्रमाण प्रति हजार लड़कों पर क्रमशरू 883 एवं 885 रहा। अंचल वार देखें तो सौराष्ट्रए मध्य गुजरात तथा दक्षिण गुजरात में कन्या जन्मदर में सुधार का प्रमाण अच्छा रहा है। दक्षिण गुजरात अंचल में केवल सूरत को छोड़ शेष जिलों में अच्छा सुधार हुआ है।

उम्मीद से कम : बनासकांठा, पाटण, महेसाणा, गांधीनगर, अहमदाबाद, सूरत एवं राजकोट के कन्या जन्मदर प्रमाण में कोई खास सुधार नहीं दिखा है।

 

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