सरकार खंभा नोंच रही, दुर्गा की रक्षा में पूरा देश

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सपा मानो रंजिश निकालना चाहती है दुर्गा नागपाल से

: अपनी ही नौकरशाही पर यह टिप्प्णी करके आखिर क्‍या साबित करना चाहती है यूपी सरकार : बेहद शर्मनाक है आजम का यह बयान कि निलंबन और बहालियां तो रोजमर्रा की बातें हैं : संविधान-पुत्र हैं आईएएस अधिकारी, इनके बारे में सोच-समझ कर बोलिये :

कुमार सौवीर

यूपी विधानमंडल के संयुक्त सदन में अभिभाषण के दौरान मुख्ये विपक्षी सदस्य कागज के गोले बना कर राज्यपाल पर फेंकते-हमला करते हैं और राज्यपाल उनसे बचने के लिए खुद को इधर-उधर हिलते-डुलते दिखायी पड़ते हैं। हां, उनके बचाव के लिए मार्शल यानी सदन-रक्षक ही दीवार बन कर खड़े हो जाते हैं। जुम्मा-जुम्मा चंद दिन की आईएएस अफसरी हासिल करने वाली मासूम दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में भी यही हो रहा है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से लेकर प्रदेश की समाजवादी सरकार के मुखिया से लेकर छोटे-बड़े ओहदेदार मंत्री लगातार इस समय इस नवजात-अफसर बच्ची पर हर कोने-कुतरे पर हमले कर रहे हैं। मानो दुर्गा नागपाल कोई पाकिस्तानी कुख्यात दुश्मन हो। जबकि होना यह होना चाहिए कि यह सारे नेतागण सरकार की ब्यूरोक्रेसी की सबसे नन्हीं नवजात सदस्य को संरक्षण देते, उन्हें दुलारते, उसके हौसलों पर हौसला-आफजाई करते, उसकी गलतियों को नजरअंदाज करते या फिर बहुत हुआ तो उसे हल्का डांट-फटकार कर देते। लेकिन इस वक्त नजारा बेहद शर्मनाक लग रहा है। अपनी पूर्ववर्ती बसपा सरकार की शैली के ही रास्ते को प्रशस्त् करते हुए सपा सरकार के मुखिया अखिलेश यादव और उनके कारिंदे लगातार इस प्रकरण को इस तरह पेश कर रहे हैं, मानो दुर्गा कोई सबसे बड़ी सांप्रदायिक शत्रु है और उसको येन-केन-प्रकारेण मार ही डालना श्रेयस्कर है। लेकिन इस शर्मनाक हालातों के विपरीत सुखद संकेत तो यह उभर रहे हैं कि सदन के मार्शल-रक्षकों की तरह अब इस दुर्गा को बचाने के लिए पूरा का पूरा देश एक हो गया है। खासतौर पर मीडिया तो सीधे-सीधे दुर्गा नागपाल के पक्ष में रक्षा-पंक्ति बना चुकी है।

दो दिन पहले पशुपालन विभाग के एक कार्यक्रम में अखिलेश ने अपने सरकारी आवास पर एक समारोह आयोजित कराया था। चंद और चुनिंदा पत्रकार ही इसके लिए बुलाये गये। वजह थी, इस कार्यक्रम में अखिलेश ने अपने एक कारिंदे और चिकित्सा मंत्री अहमद हसन को माइक थमा दिया और अहमद हसन ने बेलौस अंदाज में दुर्गा नागपाल को झुट्ठी तक साबित कर दिया। हसन तो यहां तक बोल गये कि अगर दुर्गा के खानदान का खुलासा करूंगा तो कयामत हो जाएगी। इस प्रकरण में कई सवाल उठे। पहली तो यह कि पशुपालन विभाग के मामले में चिकित्सा मंत्री कैसे पहुंचे। फिर अखिलेश के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के बजाय अहमद हसन इस तरह क्यों बोले। दरअसल, यह पेशबंदी थी। पुरानी रंजिश भी थी। दुर्गा के श्व सुन भी दारोगा रह चुके हैं और अहमद हसन भी बीस साल पहले दारोगा की नौकरी से रिटायर हो चुके हैं। कुछ भी हो, अपनी निजी रंजिश पर अहमद हसन द्वारा आखिर इस तरह निकालना किसी को भी पसंद नहीं आया। बल्कि यह बयान ही मूर्खतापूर्ण ही माना गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी समेत कई आला अफसरों का भी मानना है कि दुर्गा का खानदान तो पूरी तरह बेदाग रहा है, लेकिन अगर अहमद हसन की पुलिस के दौरान की नौकरी की हिस्ट्रीशीट खोल दिया जाए, तो अच्छे-अच्छों की छींकें निकल जाएंगी।

खैर, अब ताजा मामला देखिये। आजम खान भी इस मामले में कूद गये हैं। यूपी सरकार के छह दर्जन से ज्यादा मंत्रियों में से महज एक मंत्री की हैसियत रखते हैं आजम खान। लेकिन आज एक बयान में उन्होंने सीधे-सीधे सोनिया गांधी को ही कर्री-कर्री बातें सुना दीं। यह सोचे बिना कि उनके इस बयान का निहितार्थ आखिरकार कितना जहरीला हो सकता है। आजम खान ने सोनिया गांधी पर व्यंग्य  किया कि ‘ सोनिया गांधी का इतना स्तर गिर गया कि उन्होने एक अदने से एसडीएम जैसे के लिए लिख दी चिट्ठी’। राजनीतिक विष्लेषकों का कहना है कि यह बयान आजम खान का अपने हैसियत से बाहर निकल कर दिया गया है, जो बेअंदाजी और बेहूदगी की सीमा तक के बाहर निकल गया। आपको बता दें कि आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में शुरू हुई जुबानी जंग अभी खत्म नहीं हुई है। आजम खान ने कहा, ‘सोनिया जी इस स्तर पर उतर आईं हैं कि एसडीएम तक के लिए चिट्ठी लिख देती हैं.’

गौरतलब है कि आइएएस अफसर के निलंबन के बाद सोनिया गांधी ने चिट्ठी लिखकर पीएम से अनुरोध किया था कि किसी भी अधिकारी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. जैसे ही चिट्ठी की खबर सार्वजनिक हुई समाजवादी पार्टी ने सोनिया गांधी पर सियासत करने का आरोप लगा दिया. दुर्गा के निलंबन को सही ठहराते हुए आजम खान ने कहा, ‘निलंबन और बहालियां तो रोजमर्रा की बातें हैं.’ इसके पहले दुर्गा शक्ति के निलंबन पर केंद्र द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने पर एसपी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा था, ‘केंद्र चाहे तो सारे आईएएस अफसर वापस बुला ले. हम उनके बिना यूपी में शासन कर सकते हैं.’

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