डीजीपी से चाय पीनी हो तो डंडा छोड़ दारोगा, इश्‍क कर

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: यूपी के डीजीपी ने दिया है मधुप नाथ मिश्र को 10,000 का ईनाम, साथ में अपने साथ चाय का ऑफर भी : बरसों पुरानी झगड़े कोई एक क्षण में निपटा दिया बहराइच के मधुप नाथ मिश्र ने : जरवल रोड थाने के इंस्पेक्टर हैं मिश्र, ईमानदारी के जीवंत प्रतीक। जुझारू और सरल भी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अरे दरोगा जी, अरे यार एक गुजारिश है। अब आप ऐसा कीजिए कि अपनी जुबान में जहर भरी गाली की खदानों को खोदना बंद कर दीजिए। लोगों पर बल प्रयोग करने के लिए डंडा का इस्तेमाल बंद कर दीजिए और उसके बाद केवल अपने उस दिमाग को खोलिए जो किसी भी इंसान की इंसानियत का राजमार्ग होता है। फिर देखिए, आप देखेंगे कि आपकी जिंदगी किसी गिरोहबंद पुलिसवाले की तरह नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए अपने समर्पण और व्यवहार को लेकर कितनी लाजवाब लहलहाती फसल की तरह दिखाई पड़ेगी। आप देखिए तो तनिक, कि आपके दिल-दिमाग के खुले रास्तों से सकारात्मक प्रयासों ने कैसा रंग दिखाया है कि आज आपको यूपी का पुलिस महानिदेशक अपने घर चाय पिलाने के लिए बेकरार है।

आया यकीन, या नहीं ?

यह कोई कपोल-कल्पित या किसी पौराणिक तोता-मैना की कहानी का हिस्सा नहीं है, बल्कि बहराइच के सीमांत क्षेत्र के पुलिस थाना यानी जरवल रोड का मामला है। इस इंस्पेक्टर ने आम आदमी पर बल प्रयोग के बजाय इसने अपनी समझदारी का उपयोग करते हुए एक ऐसा करामाती कमाल कर दिया है कि आज उसकी बीनें कामकाज और उसके ढंग के चलते पूरे पुलिस महकमे पर बज रहे हैं। तारीफ राग-रागनियां झूम रहे हैं और आम आदमी इस दरोगा की कोशिशों पर पूरे गर्व के साथ नाच रहा है। ऐसा क्यों न हो, ऐसे इंस्पेक्टर ने वैसा काम कर दिया है कि इसके पहले किसी ने न कभी सोचा था न किया था।

इस पुलिस इंस्पेक्टर का नाम है मधुप नाथ मिश्र। बस्‍ती के मूल निवासी और फिलहाल बहराइच के इंस्‍पेक्‍टर मधुप इस वक्त बहराइच के जरवल रोड थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर है। लेकिन इनकी ख्याति जिले और मंडल से ऊपर हो चुकी है। पूरा पुलिस महकमा उनके नाम का बिल्‍ला अपने माथे पर चस्पा किए घूम रहा है। इतना ही नहीं, मधुप नाम के इस शख्स को लेकर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने मजबूर कर दिया कि, मैं उसे उसकी कोशिशों का सम्‍मान करूं, उसको प्रश्रय दूं, और पूरे पुलिस महकमे पर रंग दिया जाए।

हुआ यह कि यहां बस्‍ती में एक सड़क को लेकर विवाद चल रहा था। मामला प्रतिष्‍ठा और दबंगई का था। कई बार सिर-फुटव्‍वल हो चुका था। थाने पर किलो के हिसाब से अर्जियां कई बरसों से पड़ी थीं। मधुप ने इस मामले को देखा, और एक दिन इस मामले पर हस्‍तक्षेप कर दिया। बस दो दिन में ही यह पूरा मामला निपट गया। जिस राह पर एक आदमी तक नहीं निकल सकता था, वहां 11 फीट चौड़ी तक निकाल दी। नतीजा यह हुआ कि बस्‍तीवालों ने मधुप को माला पहनायी और पुलिसवालों को मिठाई।

उधर इसके लिए ओपी सिंह ने मधुप सिंह को अपने घर चाय पर बुलाया है कि वे हमें बताएं कि कैसे यह उन्होंने किस तरह आम आदमी को कैसे पुलिस के प्रति विश्वास जगाया। और जो समस्या कानून व्यवस्था और न्यायपालिका तक के लिए एक बेहद गंभीर वजह बन सकती थी, उसे चुटकियों में निपटा दिया। डीजीपी ने फैसला किया है कि वह अपने कार्यालय में बुलाएंगे मधुप नाथ मिश्र को, उनकी खुशियों का ब्यौरा सुनेंगे और फिर मधुप की उस रणनीति को पूरे पुलिस महकमे की खुशियों में शामिल कर लेंगे। यानी मधुप नाथ मिश्र इस मामले में यूपी पुलिस के ब्रांड एंबेसडर होंगे।

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पत्रकार

तो अब यूपी पुलिस के सारे जिलों सारे डीआईजी, आईजी, एडीजी ही नहीं, बल्कि प्रदेश के डीजीपी यानी पुलिस महानिदेशक तक के वाट्सऐप ग्रुप्स में इंस्पेक्टर मधुप नाथ मिश्र का डंका बज रहा है। एडीजी के वाट्सऐप ग्रुप में डीजीपी ओपी सिंह द्वारा मधुप नाथ मिश्र को दी गई इस बारे में बधाई और उन्हें दस हजार रूपयों का पुरस्कार दिए जाने की खबर वायरल हो चुकी है।

पुलिस की अब तक रही हरकतों से हम सब सोचने को मजबूर रहे हैं कि पुलिस की करतूतों से हम सिर्फ पिंड छुड़ा लें। लेकिन मधुप नाथ मिश्र का यह किस्सा आम आदमी के मन में पुलिस के प्रेम और सम्मान का एक नया आयाम बनने जा रहा है ।

बेशक, और आमीन भी

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बड़ा दारोगा

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