: भाजपा और संघ में नोट-बंदी के बाद विमर्श तेज की सुगबुगाहटें तेज : हो सकता है कुछ बड़ा फैसला, लेकिन पुख्ता अब तक नहीं : नोट-बंदी पर रणनीतियों को लेकर जन-चर्चाओं से बेहाल दिख रहा है भाजपा नेतृत्व : सुगबुगाहटें तो बेहिसाब हैं, बशर्तें यूपी चुनाव की तारीखों का ऐलान न हो जाए :
संवाददाता
लखनऊ : बस एक हफ्ते भर की देरी है। इसके बाद से ही कलेंडर पर नया साल दर्ज 16 की सीमा पार करने सीधे 17 की तरूणाई की सीमा में प्रवेश कर जाएगा। ऐसे में हो सकता है कि राजनीति की उमंगें कोई जबर्दस्त अंगड़ाई ले बैठे। वैसे भी नोट-बंदी के पचासवें दिन के बाद जनता सरकार के इस और ऐसे से जुड़े मसलों और रणनीतियों पर बहस-मुबाहिसा करना शुरू कर देगी, लेकिन खबर है कि भाजपा और आरएसएस भी इसके लिए अपनी एक खास रणनीति का खुलासा कर सकते हैं। जाहिर है कि सरकार की ओर से इस मौके पर आम आदमी को खुशखबरी का टोकरा थमाया जा सकता है।
संकेत तो ऐसे ही हैं कि 2 जनवरी के मौके पर सरकार खास कर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए अपना पिटारा खोल सकती है। दिल खोल कर। जाहिर है कि इस पिटारा में उन लोगों को ज्यादा ही लाभ मिल सकता है जिन्हें अब तक केवल निरा अनपढ़, गंवार, अशिक्षित और बेहद गरीब माना-कहलाया-पुकारा जाता है। संकेत तो ऐसे है कि हो सकता है कि किसानों पर लदे कृषि के कर्ज को माफ कर दिया जाए। पूरा भले न सही, लेकिन उनके ऊपर भार बना एक बड़ा हिस्सा तो सरकार माफ कर ही सकती है।
इतना ही नहीं, भाजपा के एक उच्च स्तरीय और विश्वस्त सूत्र ने मेरी बिटिया डॉट कॉम को बताया कि यह भी हो सकता है कि जनधन योजना में जितने भी खाते खुल चुके हैं, सरकार उनमें से प्रत्येक को दस-दस हजार रूपयों की एकमुश्त रकम जमा कर दे। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कृषि कर्ज की रकम और जनधन बैंक खाते की योजना एकसाथ ग्रामीणों को मिलेगी, या फिर इन में से एक।
सूत्र बताते हैं कि जनधन खातों को लेकर प्रधानमंत्री ने जो ऐलान किया था, उसको लेकर चली प्रतिकूल चर्चाओं से सरकार के नियंता बेहद बैकफुट में आने को व्याकुल होते दिख रहे हैं। उन्हें लगता है कि नरेंद्र मोदी ने यह बयान देकर गलत संदेश दे दिया था कि जनधन खाते में जमा की गयी पूरी रकम खाता-स्वामी की ही होगी। इस बयान के दूरगामी परिणामों को लेकर भाजपा के चिंतक-खेमे में भारी उथल-पुथल बतायी जाती है।
बहरहाल, अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि दो जनवरी-2017 के पूर्व अगर चुनाव आयोग यूपी के चुनावों की तारीखें घोषित कर देगी, तो क्या होगा। मेरी बिटिया डॉट कॉम के ऐसे सवालों का जवाब देने के लिए कोई भी सूत्र तैयार नहीं है।