डायल 100: दावा 10 मिनट में पहुंचने का, लगा एक घंटा

सैड सांग

: आईआईएम के सामने हुए हादसे में एक घंटे तक कार में फंसा ही रहा बुरी तरह घायल डॉक्‍टर, पुलिस नहीं फटकी : असलियत का नमूना है स्मार्ट पुलिसिंग के बेहतरीन उदाहरण यूपी डायल 100 का : खुद को देश की सबसे बड़ी पुलिस कार्रवाई मानती है यूपी पुलिस :

श्‍वेतपत्र संवाददाता

लखनऊ : दावा है कि यूपी पुलिस का डायल 100 सिस्‍टम देश का यह पहला पेपरलेस नियंत्रण कक्ष है। इतना ही नहीं, अब महज एक फोन कॉल और 10 मिनट में स्पॉट पर मदद के लिए पुलिस के जवान पहुंच जाते हैं। इस व्यवस्था के बाद शहरों में 10 मिनट में और गांवों में 20 मिनट में पुलिस पहुंचती है। दावा तो यह भी है कि यूपी डायल 100 सेवा देश के किसी भी राज्य की पुलिस द्वारा शुरु की गई सबसे बड़ी योजना है, जो अमेरिका में चल रही डायल 911 सेवा की तर्ज पर प्रदेश में शुरू होने वाली यह परियोजना गेम चेंजर है। दावों के अनुसार इस योजना का लाभ पूरे प्रदेश भर से कही से उठाया जा सकता है।

लेकिन आज इसके ठीक विपरीत है। नजीर है दो दिन पहले शहर के प्रतिष्ठित प्रबंध संस्थान आईआईएम यानी भारतीय इंस्‍टीच्‍यूट ऑफ मैनेजमेंट। यह संस्‍थान देश का सर्वोत्‍तम संस्‍थान है। लेकिन इसके ठीक सामने बीती 30 जुलाई-17 की दोपहर को एक ट्रक पलट गया। उसका टायर फट गया था। ट्रक पर मक्‍का लदा हुआ था। बहरहाल, इस ट्रक पास खड़ी एक कार पर जा गिरा, जिसके फलस्‍वरूप कार पर बैठे एक बड़े डॉक्‍टर इस्‍लाम उसके नीचे दम गये। आनन-फानन लोगों ने डायल 100 और पुलिस को खबर भेजी, लेकिन पूरे एक घण्‍टे तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। जबकि मौके से दो सौ मीटर दूर डायल 100 की एक कार मौजूद थी, जिस पर बैठे पुलिसवाले मोबाइल पर वीडियो देख रहे थे। बाद में जब हंगामा हुआ, और पुलिस वाले मौके पर पहुंचे, तो नाराज नागरिकों ने उन पुलिसवालों को दौड़ा कर भगा दिया।

जाहिर है कि यह असलियत है डायल 100 की, जिस का मुख्यालय लखनऊ में ही है। पुलिस का दावा है कि यहीं पूरे प्रदेश डायल 100 की गाड़ियों पर नजर रखी जाती है। यही नहीं डायल 100 योजना को चलाने के लिए जिले स्तर पर आधुनिक पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। जहां से यह योजना चलाई जाती है। इन नियंत्रण कक्षों को लखनऊ स्थित महानियत्रंण कक्ष से जोड़ा गया है ताकि इनकी मॉनटरिंग की जा सके।

हैरत की बात है कि पुलिस के दावों के अनुसार डायल 100 का नेटवर्क पूरी तरह इंटरनेट और रोड मैपिंग पर आधारित है। वहीं शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे नियंत्रण कक्ष से जुड़े रहते हैं। पूरे शहर को स्क्रीन के जरिए देखा जाता है।  जहां घटना होगी,  वहां का लैंडमार्क और मैपिंग सैटेलाइट के जरिए लोकेट की जाती है। पीड़ित व्यक्ति के कॉल करते ही वहां की लोकेशन तत्काल लिया जाता है। जब पीड़ित डायल 100 पर कॉल करता है तो उसके सबसे पास के कैमरे और लोकेशन को ट्रैस किया जाता है। वहीं नियंत्रण कक्ष सबसे पास में मौजूद डायल 100 की वैन में तैनात पुलिसकर्मियों को वायरलेस सेट पर सूचना देता है। जिसके बाद पुलिस पीड़ित की मदद करती है।

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