भाजपा: जो दगे कारतूस थे, अब “ते मृत्युलोके भुवि भारभूता”

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: इत्‍ता कचरा भाजपा में दगे कारतूसों की भारी आमद : उजड़ी बाती, सूखा तेल और चिटके दीपकों का अम्‍बार लगता जा रहा है राम-पार्टी में : रीता बहुगुणा, चंचल सिंह, ब्रजेश पाठक जैसे लोगों की भीड़ कहीं पार्टी में भेंडि़या-धसान न मचा दे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : चुनाव का दौर है न, इसलिए। भाजपा में चारों ओर की ताल-तलइयों में सड़ांध के चलते पानी उबल-उछल रहा है। भाजपा इस पानी को अपनी झील में छीनने के चक्‍कर में इन तालों से कई-कई चुल्‍लू पानी उलीचने में व्‍यस्‍त है। लेकिन इस हालत ने आम भाजपाइयों में छटपटाहट पैदा कर दी है। उनको लगता है कि पार्टी के प्रति उनकी जिन्‍दगी भर की निष्‍ठा पर यह नवागंतुकों की टोली डाका डालने आ रही है। हालांकि भाजपा में एक बड़ा धड़ा ऐसा भी है जो इन लोगों को पार्टी के प्रति ठीक उसी प्रकार का का भाव रखे हैं, जो महर्षि भर्तहरि ने अपनी सुभाषितानि में लिखा था :- “येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानम् न शीलं न गुणो न धर्मः, ते मृत्युलोके भुवि भारभूताः मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति ||”

तो असल खबर यह है कि दीगर पार्टियों में रहने के दौरान जो लोग पानी पी-पी कर राम-नाम की चिन्‍दी-धूल उड़ाते घूमा करते थे, अब वे भाजपा में शरणागत बन कर रामधूलि चाटेंगे। प्रदेश की कांग्रेस कमेटी की अध्‍यक्ष रह चुकीं रीता बहुगुणा जोशी, गाजीपुर से निर्दल एमएलसी चंचल सिंह, पूर्व विधायक लल्‍ला भइया, राकेश सिंह और उन्‍नाव के पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक जैसे लोगों की आमद को भाजपा ने कुबूल कर लिया है। मगर भाजपा के एक वरिष्‍ठ नेता ने बताया कि यह सब के सब दगे कारतूस हैं, जो भाजपा में किसी काम के नहीं हैं। ऐसे लोग केवल अपना ही पैसा फूंक कर बैनर-बोर्ड बनवा कर अमित शाह, राजनाथ सिंह और कैलाश मौर्या आदि के साथ अपनी फोटो लगा कर प्रचार करेंगे। इस नेता को यकीन है कि भाजपा ऐसे दगे कारतूसों पर इस बार दांव नहीं लगायेगी।

एक अन्‍य पदाधिकारी का दुख व्‍यक्‍त किया कि ऐसे लोगों की आमद से भाजपा के कार्यालयों में भीड़ और चकाचौंध तो जरूर बढ़ जाएगी, लेकिन आम भाजपा के मन में ऐसे लोगों के प्रति विक्षोभ का भाव भी खूब खदबदायेगा। उसकी वजह यह कि अब भाजपा में पूंजी का टकराव बढ़ेगा। अधिकांश नये आये लोग अपने साथ पुरानी पार्टी से कमाये धन का प्रदर्शन करने को लेकर खासी चर्चित और कुख्‍यात हैं, जबकि निष्‍ठावान भाजपाइयों के पास केवल राम-नाम के प्रति अगाध श्रद्धा और सस्‍नेह की पूंजी है, जो भाजपा के खाते में श्री-वृद्धि करती रही है। ऐसे में इन दो तरीकों की पूंजी के बीच का टकराव टाला नहीं जा सकेगा।

भाजपा के बड़े नेताओं को सीधे उपकृत करके इन लोगों ने भाजपा में अपनी जगह बना ली, लेकिन उनके इस नये गृह-प्रवेश से भाजपा में अपना प्राण तक देने को तैयार निष्‍ठावान कार्यकर्ताओं में भारी कसमसाहट और असंतोष फैलता जा रहा है। उन्‍हें अंदेशा इस बात का भी है कि कहीं उनकी सारी मेहनत को यह नये इन नवजात-रामनामी लोग न छीन लें। उन्‍हें यह भय है कि अगर ऐसा हुआ तो आम भाजपाई की राजनीतिक जमीन ही पूरी तरह खिसक जाएगी।

हकीकत तो यही है कि भाजपा में जो भी कचरा इस वक्‍त इकट्ठा हो रहा है, वह लखनऊ नगर निगम के कूड़ाघर से कम नहीं है, जहां पूरे महानगर की गंदगी एकत्र कर उसेे किसी विशाल पर्वत की तरह पेश करने की कवायद में जुटी है भाजपा। कहने की जरूरत नहीं कि भाजपा ने लखनऊ नगर निगम के अपने पिछले दस बरसों के कब्‍जे के दौरान सबसे उपलब्धि हासिल की है, वह है कूड़ाघर की समृद्धि को वोटों में तब्‍दील करने की असफल और बेमतलब-निरर्थक कोशिशें। मेरी बिटिया डॉट कॉम इस मसले पर लगातार खबरें परोसती रहेगा। इससे जुड़ी खबरों को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- भाजपा का कूड़ा-कचरा प्रबंधन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *