: पागलखाने के डॉक्टर बोले:- जब यह बच्ची पागल ही नहीं, तो यहां क्यों लाये : गैंग-रेप की पीडि़ता को पागल करार देने की हरचंद कोशिशें जमीन सूंघ गयीं : कल दोपहर को बनारस भेजी गयी रेप-पीडि़त किशोरी लेकर पुलिसवाले लौट आये : शासन ने भी इस मामले पर हस्तक्षेप किया, खबर फैलते ही मचा हड़कम्प़ : नयी कवायद के तहत पूरा ठीकरा अब सीएमओ के सिर फोड़ने की कोशिश : अगर एसपी, डीएम, और कमिश्नर की करतूतें ऐसी हैं, तो बात है निहायत शर्म की :
कुमार सौवीर
लखनऊ : चाय-पकौड़ी चांप चुके तुम बेशर्मों, तो अब जाओ और चुल्लू भर पानी में डूब मरो। नौ दिन पहले गैंग-रेप बच्ची को जौनपुर के जिलाधिकारी भानुप्रताप गोस्वामी और एसपी शिवशंकर यादव ने पूरी साजिश करके उसे पागल करार देते हुए वाराणसी पागलखाने में भेज दिया था, वह चंद घंटों बाद बैरंग वापस जौनपुर आ गयी है। वाराणसी के पागलखाने के डॉक्टरों ने उसे अपने पागलखाने में भर्ती करने से इनकार कर दिया है। बच्ची को लेकर पागलखाने गये पुलिसवालों को वहां के डॉक्टरों ने जमकर लताड़ा। बोले:- जब यह बच्ची पागल है ही नहीं, तो उसे यहां क्यों ले आये हो? अब उसे लेकर अगर यहां लाना हो तो सीधे अदालत से आदेश लेकर आना, वरना नहीं। चलो भागो यहां से, हमें अपना काम करने दो।
मामले में आये इस नये ट्विस्ट को देख कर प्रशासन अब इस मामले पर सीएमओ पर ठीकरा फोड़ने की कवायद कर सकता है। उधर पता चला है कि मामले में शासन ने भी हस्तक्षेप कर लिया है।
केवल दलाली और कमीशनखोरी के लिए नेताओं-आकाओं के तलवे चाटने वाले संवेदनहीन प्रशासन और पुलिस अफसरों के चेहरे पर वाराणसी के पागलखाने के डॉक्टरों ने करारा तमाचा रसीद किया है। पूरे नौ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही इस बच्ची की पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने और उसका मेडिकल कराने कराने के बजाय जौनपुर के जिलाधिकारी भानुप्रताप गोस्वामी और पुलिस अधीक्षक शिवशंकर यादव ने बाकायदा एक साजिश के तहत उसे पागल कराने का तानाबाना बुन डाला। कल यानी 24 फरवरी की दोपहर को चुपचाप इस बच्ची को वाराणसी के सरकारी पागलखाने में भेज दिया। लेकिन इन अफसरों के चेहरे पर कालिख पोतते हुए वहां के डॉक्टरों ने इस बच्ची को अपने पागलखाने में भर्ती करने से इनकार कर दिया। पता चला है कि वहां के डॉक्टरों ने बच्ची को लेकर आये पुसिलवालों को जमकर लताड़ा और कहा कि जब यह बच्ची पागल है ही नहीं, तो उसे क्यों पागल करार देने पर आमादा हो तुम लोग? बच्ची को हम यहां नहीं रखेंगे। अगर आइंदा उसे लेकर आना ही पड़े तो सीधे अदालत जाना और वहां जज के आदेश लेकर ही यहां आना।
खबर है कि वाराणसी के पागलखाने के डॉक्टरों ने पाया है कि यह बच्ची पागल नहीं है। हां, इस समय उस पर एंग्जाइटी का असर है। इसके लिए वहां के डॉक्टरों ने उसे नींद की दवायें लिखीं हैं। सूत्रों के अनुसार जब वहां के डाक्टरों ने पूछा कि उस बच्ची को एंग्जाइटी का कारण क्या बलात्कार वगैरह है, तो उन डॉक्टरों ने इस बारे में केवल यह बताया कि यह हालत आमतौर पर भारी हादसे से दो-चार होने के कारण भी होती है। लेकिन बलात्कार की जांच को महिला डॉक्टर की जांच के बाद ही बताया जा सकता है।
पागलखाने के डाक्टरों के इस दो-टूक जवाब के बाद जौनपुर जिला प्रशासन और पुलिस के हाथपांव फूल गये हैं। नतीजा, अब ठीकरा सीएमओ पर फोड़ने की तैयारी चल रही है। कारण यही है कि जब किसी बच्ची को बिना अदालती आदेश के पागलखाने नहीं भेजा जा सकता है, तो फिर सीएमओ ने उसकी पागलखाने की रवानगी के पहले वह सारी खानापूरी क्यों नहीं की। प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया है कि इस इस बच्ची को वाराणसी के पागलखाने से बैरंग वापस भेजने की कवायद के चलते प्रशासन के चेहरे पर कालिख पुत गयी है। खबर यह भी है कि शासन ने भी इस मामले में हस्तक्षेप कर दिया है।