बस्‍ती में पत्रकार हरिशंकर का बेन-हैमरेज में मृत्‍यु

सैड सांग

: अमर उजाला के संवाददाता के तौर पर काम करते थे हरशंकर : तीखी नजर, मारक कलम और मृदु व्‍यवहार का अद्भुत मिश्रण थे हरिशंकर त्रिपाठी : कल होगा नदी के किनारे अन्तिम संस्‍कार, ग्रापए द्वारा  शोकसभा बृहस्पतिवार को बस्‍ती मुख्‍यालय पर आयोजित होगी :

मेरी बिटिया संवाददाता

बस्‍ती : जिले के यशस्‍वी पत्रकार और बस्‍ती ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य पत्रकार हरिशंकर त्रिपाठी अब हमारे बीच नही रहे। परसों बस्‍ती में उन्‍हें मस्तिष्‍क आघात हुआ था, स्‍थानीय अस्‍पताल के डाक्‍टरों ने उनकी हालत नाजुक देख कर उन्‍हें लखनऊ के लोहिया अस्‍पताल के लिए रेफर किया था। हरिशंकर त्रिपाठी यहां अमर उजाला समाचार पत्र के संवाददाता के पद पर कार्यरत थे।

घाघरा के कछार में बसे और पूरे जनपद में सर्वाधिक पिछड़े गांवों में शुमार नइकापार गांव के रहने वाले थे 35 वर्षीय हरिशंकर त्रिपाठी। बेहद गरीबी के विकट परिवारी हालातों में उन्‍होंने अपना जीवन जिया। बेहद कष्‍टप्रद हालातों में भी हरिशंकर लगातार जीवट बरकरार रखे, और स्‍नातक तक की पढ़ाई करने के बाद वह सीधे अपने प्रिय विषय पत्रकारिता के क्षेत्र में जुट गये। अपने तेवर, तेज लेखन और खबर की सशक्‍त समझ रखने वाले हरिशंकर त्रिपाठी जल्‍द ही अमर उजाला से जुड़ गये। अमर उजाला समाचार संस्‍थान द्वारा उन्‍हें यहां दुबौलिया विकास खंड क्षेत्र के संवाददाता के तौर पर नियुक्‍त किया गया था। लेकिन उनकी खबरों की समझ को देखते हुए उन्‍हें जिला मुख्‍यालय में ही दायित्‍व सौंप दे दिया गया था।

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बस्‍ती, इज्‍जत बहुत सस्‍ती

करीब ढाई महीना पहले ही हरिशंकर त्रिपाठी की पत्‍नी की भी ब्रेन स्‍ट्रोक के चलते मृत्‍यु हो गयी थी। उसके बाद से ही हरिशंकर बहुत परेशान हुआ करते थे। वजह थी नाममात्र की खेती, वृद्ध माता-पिता और दो बेटी व एक बेटे के तौर पर बेहद मासूम और अबोध संतान के साथ ही साथ पूरे परिवार को चलाना और साथ ही अपने पत्रकारीय दायित्‍वों का निर्वहन करना उनके लिए लगभग नामुमकिन होता जा रहा था।

परसों दिन में उन्‍हें बस्‍ती में ही ब्रेन हैमरेज के बाद राममनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ ले गए थे। जहाँ डाक्टरो ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। खबर मिली है कि त्रिपाठी का अंतिम संस्‍कार कल 6 दिसम्‍बर को होगा। विपदा की घड़ी में ग्रापये की तरफ से श्रद्धाजंलि। गामीण पत्रकार एसोसियेशन के प्रवक्‍ता पंकज त्रिपाठी ने बताया है कि संगठन इस विपत्ति की घड़ी में हर तरीके से उनके साथ है। उन्‍होंने बताया कि उनको लेकर परसों यानी सात दिसम्‍बर को मुख्‍यालय में एक शोकसभा आयोजित की जाएगी।

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